@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: सब से छोटी बहर की ग़ज़ल

बुधवार, 26 नवंबर 2008

सब से छोटी बहर की ग़ज़ल

कुछ दिन पहले मैं ने अपने दोस्त पुरुषोत्तम 'यक़ीन' की छोटी बहर की दो ग़ज़लें पेश की थीं। तब मुझे कतई ये गुमान न था कि उन में से एक दुनिया भर में इकलौती सबसे छोटी बहर की ग़ज़ल भी है। पिछले दिनों जब वे अपने भतीजे की शादी में मिले तो उन से अनवरत पर प्रकाशित इस ग़ज़ल का जिक्र किया तो उन्हों ने बताया कि किसी शायर की एक सात मात्राओं की ग़ज़ल दुनिया की सब से छोटी ग़ज़ल के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस् में दर्ज है। उन की यह ग़ज़ल सिर्फ पाँच मात्राओं की है।

आइए उन की इस ग़ज़ल को उन्हीं की एक और छोटी बहर की ग़ज़ल के साथ फिर से पढ़ने का आनंद प्राप्त करें .....


आ गए किस मुक़ाम पर  
........................पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’



सुब्ह काम पर
शाम जाम पर

इश्क़ में जला
हुस्न बाम पर

दिल फिसल गया
‘मीम’ ‘लाम’ पर

रिन्द पिल पड़े
एक जाम पर

ग़ारतें मचीं
राम-नाम पर

आ गए ‘यक़ीन’
किस मुक़ाम पर


और ... 
दुनिया की सब से छोटी बहर की ग़ज़ल
हम चले

 ..........................पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’

हम चले
कम चले

आए तुम
ग़म चले

तुम रहो
दम चले

तुम में हम
रम चले

हर तरफ़
बम चले

अब हवा
नम चले

लो ‘यक़ीन’
हम चले 
*******************************

19 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

लाजवाब !
रामराम

P.N. Subramanian ने कहा…

आदाब अर्ज़ है. भाईजान ये क्या ले आए."तुम में हम
रम चले"
बहुत खूब.हम भी रम गये.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

बहुत खूब

राज भाटिय़ा ने कहा…

मजा आ गया वाह .
धन्यवाद

Smart Indian ने कहा…

Excellent!

bijnior district ने कहा…

बहुत अच्छी गजले हैं । चयन को बधाई
मै आपके चार अक्ष्रर की कविता देता हू। कविता के लेखक हैं हुक्का बिजनौर।
कविता का शीर्षक है प्रेम ,विवाह परिणाम, महली दो पंक्ति प्रेम को प्रदर्शित करती है। तीसरी विवाह को आैर चौथी परिणाम को
तू

मै
तूमै
तू तू मै मै

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

निराली ग़ज़ल....निराली पेशकश !
==========================
आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

रवि रतलामी ने कहा…

अद्भुत ! कल्पना और क्रियाशीलता की पराकाष्टा को इंगित करती ग़ज़ल.

अब, मास्टर (पंकज सुबीर) जी स्पष्ट करेंगे कि क्या ये वाकई ग़ज़ल कही जा सकती है?

mehek ने कहा…

waah fantastic

विष्णु बैरागी ने कहा…

गजल का आनन्‍द तो पहले ही ले लिया था । लिम्‍का बुक आफ वर्ल्‍ड रेकार्ड्स में उल्‍ल्‍ेख होने की सूचना पाकर अच्‍छा लगा ।
यकीनजी को बधाइयां पहुंचाइएगा । यह खुश खबर देने के लिए आपको धन्‍यवाद ।

गौतम राजऋषि ने कहा…

लाजवाब...जानता हूं इस दर्द को,छोटी बहर को बिठाने का दर्द..
यकीन साब को करोड़ों बधाई

विवेक सिंह ने कहा…

मज़ा आगया जी . बढिया है .

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

मान्यवर दिनेश राय द्विवेदी जी सादर नमन| दुनिया की सबसे छोटे बहर की ग़ज़ल आप के मार्फत पढ़ कर बहुत अच्छा लगा| इस विषय पर आप से आगे भी कुछ चर्चा करनी है| मेरा ई मेल पता है:- navincchaturvedi@gmail.com

my blog http://thalebaithe.blogspot.com

भाई पुरुषोत्तम 'यकीन' जो को इतने खूबसूरत आशार के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद|

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

७ और ५ मात्रा की दोनो ही ग़ज़लें बहुत ही खूबसूरत हैं| बहुत बहुत बधाई भाई पुरुषोत्तम जी|

३ मात्रा की एक और कोशिश देखने के लिए कृपया यहाँ पधारें|
http://thalebaithe.blogspot.com/2010/12/blog-post_09.html

Er.NITYANAND `TUSHAR` ने कहा…

बहुत अच्छा लगा ये ग़ज़ल पढ़ कर
आपको शायद ये विश्वाश न हो पर हमारे संग्रह `हम कहाँ हैं ` जो कि प्रारंभ प्रकाशन ,गाजियाबाद से 2006 में प्रकाशित हुआ है,दो ,तीन ,चार,पांच ,छ ,सात आठ ,दस ,बारह ,चौदह,पंद्रह ,सोलह,और इससे अधिक मात्राओं की ग़ज़लें हैं ,हमको भी ये आभास नहीं था कि ये एक विश्व रिकॉर्ड है आज यहाँ ये लिम्का रिकॉर्ड की बात पढ़ कर इस पर ध्यान गया है ,
यहाँ आप सभी के अवलोकनार्थ दो मात्राओं की ग़ज़ल पेश है .
ग़ज़ल

दिल
खिल

कल
मिल

ग़म
निल

मत
रिल

चल
पिल - -नित्यानंद `तुषार`
आर-64,सेक्टर-12,प्रताप विहार ,गाजियाबाद-201 009 (उत्तर प्रदेश)

(निल इंग्लिश का शब्द है ,रिल देशज शब्द हैं हिंदी भाषा का )

Er.NITYANAND `TUSHAR` ने कहा…

बहुत अच्छा लगा ये ग़ज़ल पढ़ कर
आपको शायद ये विश्वाश न हो पर हमारे संग्रह `हम कहाँ हैं ` जो कि प्रारंभ प्रकाशन ,गाजियाबाद से 2006 में प्रकाशित हुआ है,दो ,तीन ,चार,पांच ,छ ,सात आठ ,दस ,बारह ,चौदह,पंद्रह ,सोलह,और इससे अधिक मात्राओं की ग़ज़लें हैं ,हमको भी ये आभास नहीं था कि ये एक विश्व रिकॉर्ड है आज यहाँ ये लिम्का रिकॉर्ड की बात पढ़ कर इस पर ध्यान गया है ,
यहाँ आप सभी के अवलोकनार्थ दो मात्राओं की ग़ज़ल पेश है .
ग़ज़ल

दिल
खिल

कल
मिल

ग़म
निल

मत
रिल

चल
पिल - -नित्यानंद `तुषार`
आर-64,सेक्टर-12,प्रताप विहार ,गाजियाबाद-201 009 (उत्तर प्रदेश)

(निल इंग्लिश का शब्द है ,रिल देशज शब्द हैं हिंदी भाषा का )

MUKESH SHARMA ने कहा…

आरंभ और अंत की पंक्ति एक ही है। पांच नहीं छः मात्राएँ भी हैं। मैंने तो चार मात्राओं में ग़ज़ल लिखी है। चार की तीन या पाँच भी नहीं होने दी। लेकिन इतनी छोटी बहर होती नहीं है मान्यवर।

Kaushlendra Singh lodhi ने कहा…

बेहतरीन

Aasee Yusufpuri ने कहा…

अच्छी ग़ज़लें