@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: कला की क्यारी में एक ब्याह

शनिवार, 22 नवंबर 2008

कला की क्यारी में एक ब्याह

पिछले दो दिन से सुबह और रात के समय चौड़ी पट्टी (ब्रॉडबैंड) लिप लिप कर रही है, आज सुबह भी यही हाल रहा। नतीजा है कि चिट्ठे पढ़ने में कमी हो गई। दो दिन काम  भी बहुत रहा, समय नहीं रहा। कल सर्दी की लपट और रात्रि जागरण से आज का दिन सिर जकड़ा रहा।शनिवार के कारण जल्दी घर आ कर कुछ देर सोया तो हलका और स्वस्थ हो गया। ऐसा करना जरूरी भी था। शिवराम जी के तीसरे पुत्र पवन की शादी थी। कल सगाई में नहीं जा सका था। पता था आज उलाहना मिलेगा, जैसे ही शिवराम जी मिले वह भी मिला। कहने लगे आप मेरे परिवार में अपनी स्थिति नहीं जानते। सब लोग आप को पूछते रहे यहां तक कि शशि (उन का मँझला पुत्र) के ससुर आप को पूछ रहे थे। मैं ने क्षमा मांगी। उन सभी से जो कल मुझे पूछ रहे थे। अभी 11 बजे वहाँ से लौटा हूँ।
शिवराम जी का परिवार कला की क्यारी है। वे खुद कवि, नाटककार, नाट्यनिर्देशक, समालोचक संपादक हैं, छोटा भाई पुरुषोत्तम यकीन जो दुनिया में सबसे छोटी बहर की ग़जल लिख चुका है और शायद राजस्थान में सब से अधिक ग़जलें लिखने वाला शायर है। ज्येष्ठ पुत्र रवि पेशे से इंजिनियर लेकिन श्रेष्ठ चित्रकार है और सैंकड़ों कविता पोस्टरों का रचना कर चुका है साथ ही नायाब कवि भी। शशि और पवन नाटकों के कलाकार रहे हैं। मँझला बेटा शशि मुंबई में है तो मेरी बेटी पूर्वा का कम से कम एक दिन उस के परिवार में बीतता है।
इस कला की क्यारी की एक पौध का विवाह हो तो उस में कला की छाप होना अवश्यंभावी था। उस की बानगी इस विवाह के आमंत्रण से मिल सकती है। जिसे मैं यहाँ आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।

नोट : आमंत्रण का पूरा आनंद लेने के लिए दोनों चित्रों को क्लिक करें 

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यह कविता किस ने लिखी यह मैं शिवराम जी से पूछना भूल गया। पर मुझे लगता है यह रवि की है। 

पहली टिप्पणी आने के बाद नहीं रहा गया, शिवराम जी से पूछा तो अनुमान सही था। कविता रवि की ही है।  



  
अन्दर बाएँ छपा चित्र पवन के एक छाया चित्र का रवि द्वारा निर्मित रेखांकन है। पूरा आमंत्रण रवि ने खुद अपनी हस्तलिपि में लिखा है। 

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विवाह के आमंत्रण पत्र पर छपी कविता .......


विवाह बंधन
                                  * रविकुमार

यह बंधन नहीं

शायद बंधनों से मुक्त होना है


प्रेम और जज़्बात की

नवीन सृष्टि में खोना है


यह मुक्ति रचती है

अपने ख़ुद के नये बंधन


अपने अस्तित्व के

अहसास की

रोमांचक शुरुआत है यह


दो  धड़कनों की

एक आवाज़ है यह

एक नए जहाँ का आग़ाज है

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19 टिप्‍पणियां:

Anil Pusadkar ने कहा…

वाह कमाल की कला की क्यारी है.ऐसे लोग हमारे समाज की धरोहर है.

ghughutibasuti ने कहा…

वाह ! बहुत सुन्दर विशेष निमंत्रण पत्र है यह तो !
घुघूती बासूती

राज भाटिय़ा ने कहा…

भारत मै रहने वालो के तो मजे ही मजे है, खुब शादियो की रोनक देखते है, मेरे च्चो तो आज तक भारतीया शादी नही देखी.निमंत्रण पत्र बहुत ही सुंदर लगा.
धन्यवाद

Himanshu Pandey ने कहा…

जब किसी परम्परा में मौलिकता का समावेश हो और वह आधुनिक बन जाय तो रचनाधर्मिता का बिगुल साफ़ ही सुनाई देने लगता है . एक अभिनव प्रस्तुति के लिए आपका धन्यवाद.

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत ही सुरुचिपूर्ण और उत्कृष्ट सौन्दर्यबोध से लबरेज -शुक्रिया !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही कलात्मकौर सुरुचिपूर्ण ! आपको बहुत धन्यवाद और बधाई !

अफ़लातून ने कहा…

रावतभाटा के रविजी को इस सुन्दर और विप्लवी निमन्त्रण पत्र की परिकल्पना के लिए हार्दिक शुभ कामना प्रेषित करें ।

Smart Indian ने कहा…

अति सुंदर! उनकी कला हमारे साथ बांटने के लिए आभारी हैं.

P.N. Subramanian ने कहा…

टिप्पणी करने में विलंब से पता चला कि जो हम लिखना चाहते थे वो सब पहले ही लिखा जा चुका है. अब हम नये शब्द कहाँ से लाएँ.
निमन्त्रण पत्र अनूठा है. हाँ एक बात "चौड़ी पट्टी" का प्रयोग भी अनूठा रहा. यदि आपने अँग्रेज़ी रूप नहीं दिया होता तब तो हम सर खपाते रहते. आभार.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बढ़िया डिजाइन जी। मैने तो पूरा डाउनलोड कर लिया है!

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

पूरा आमंत्रण रवि ने खुद अपनी हस्तलिपि में लिखा है।
यह तो सचमुच जादुई हाथ है। इतनी कलात्मक लिखाई हाथ से की गयी है, यह देखकर तो हम मुग्ध हो गये। रवि जी को शायद यह ईश्वरीय वरदान है। बधाई।

गौतम राजऋषि ने कहा…

यह मुक्ति रचती है
अपने ख़ुद के नये बंधन...

सुंदर....मैंने भी सुरक्षित कर ली है इसकी कापी.
रवि जी की अनुमति ले लूंगा

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बहुत दिन बाद आपको पढ़ पा रहा हूँ /क्या करुँ याद तो रोज़ करता हूँ /कुछ तो मजबूरियां रही होंगी आदमी यूँ बेवफा नहीं होता /कुछ ठौर ठिकाना ही नहीं है /अभी आपके क्षेत्र झालावाड के पिडावा में हूँ चार दिन बाद इन्दोर/नियमित आपको नहीं पढ़ पाता इसका दुःख है /निमंत्रण सहर्ष स्वीकार /

Abhishek Ojha ने कहा…

कला की क्यारी है... इसमें दो राय नहीं. कार्ड देखकर ही सब साफ़ हो जाता है.

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

sach me !!!!!!!!!!!!!!!1


itna badhiya namoona !!!!!!


maine nahin dekha




chaliye 20 -25 saal baad apni betiyon ki shaadi me yaad karoonga !!!!!!!!


bhagvaan unko lambi umra de!!!!!!!

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुंदर शब्द लिखे हैं .बहुत बढ़िया लगा यह

विष्णु बैरागी ने कहा…

अभी शाम को नेट' खोला और निहाल हो गया । निमन्‍त्रण-पत्र, निमन्‍त्रण-पत्र से कही आगे जाकर सुन्‍दर कलाकृति है । और कविता ने मानो इसे सम्‍पूर्णता दे दी ।
दिन भर की थकान दूर हो गई ।
रविजी को अभिनन्‍दन अर्पित कीजिएगा । मेरी शाम इतनी कलामय बनाने के लिए आभार ।

bhuvnesh sharma ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत निमंत्रण पत्र है...शिवरामजी के परिवार के बारे में जानना अच्‍छा लगा

डा० अमर कुमार ने कहा…

बस केवल एक ही शब्द काफी होगा..
अद्वितीय और अद्वितीय के सिवा कुछ भी नहीं !