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शनिवार, 16 मई 2020

निक नेम


मेरा मुवक्किल जसबीर सिंह अपने ऑटो में स्टेशन से सवारी ले कर अदालत तक आया था। अपने मुकदमे की तारीख पता करने के लिए मेरे पास आ गया। उसका फैक्ट्री से नौकरी से निकाले जाने का मुकदमा मैं लड़ रहा था। जब वो आया तब मैं टाइपिस्ट के पास बैठ कर डिक्टेशन दे रहा था। मुझे व्यस्त देख कर वह वहाँ बैठ गया।

इसी बीच एक वृद्ध व्यक्ति तेजी से अदालत परिसर में घुसा।  उसके हाथ में बड़ा सा थैला था। उसने पट से वह थैला जसबीर सिंह के पास रखा और बोला, “सरदार जी, थैला रखा है, ध्यान रखना। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। जसबीर सिंह या मेरी कोई भी प्रतिक्रिया का इन्तजार न करते हुए वह व्यक्ति तेजी से परिसर में अंदर की और चला गया।

मैं टाइप करवा कर निपटा। उसके बाद जसबीर सिंह से बात की। जसबीर उसके बाद भी बैठा रहा। आधा घंटा गुजर गया। आखिर मैं ने ही उससे पूछा, “जसबीर, आज आटो नहीं चला रहे हो क्या?”
“वकील साहब¡ एक बुजुर्ग आदमी यह थैला रख गया है, और मुझे कह कर गया है कि मैं आता हूँ। अब उसने विश्वास किया है तो उसके आने तक रुकना तो पड़ेगा।“

जसबीर की बात सुन कर मुझे जोर की हंसी आ गयी। मैं ने उसे कहा, “तुम जाओ, इस थैले का ध्यान मैं रख लूंगा। असल में वह बुजुर्ग मेरे रिश्तेदार हैं, वह तुम्हें नहीं मुझे कह कर गए थे कि, “सरदार जी, थैला रखा है, ध्यान रखना। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। मेरा निक  नेम भी  सरदार है। इसलिए तुम गलत समझ गए कि तुमसे कह कर गए हैं।“

मेरे इतना कहते ही जसबीर ने राहत की साँस ली। उठते हुए बोला, “तो अब मैं चलता हूँ। में तो समझा था, यह पता नहीं कौन आदमी मुझे यहाँ थैले की रखवाली में बिठा गया।“


कल एक पोस्ट पर सब से निक नेम बताने को कहा था। मैं ने अपना निक नेम बताया तो उनकी प्रतिक्रिया थी, वाकई “सरदार” ही निक नेम है क्या?

निक नेम

मेरा मुवक्किल जसबीर सिंह अपने ऑटो में स्टेशन से सवारी ले कर अदालत तक आया था। अपने मुकदमे की तारीख पता करने के लिए मेरे पास आ गया। उसका फैक्ट्री से नौकरी से निकाले जाने का मुकदमा मैं लड़ रहा था। जब वो आया तब मैं टाइपिस्ट के पास बैठ कर डिक्टेशन दे रहा था। मुझे व्यस्त देख कर वह वहाँ बैठ गया।

इसी बीच एक वृद्ध व्यक्ति तेजी से अदालत परिसर में घुसा।  उसके हाथ में बड़ा सा थैला था। उसने पट से वह थैला जसबीर सिंह के पास रखा और बोला, “सरदार जी, थैला रखा है, ध्यान रखना। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। जसबीर सिंह या मेरी कोई भी प्रतिक्रिया का इन्तजार न करते हुए वह व्यक्ति तेजी से परिसर में अंदर की और चला गया।

मैं टाइप करवा कर निपटा। उसके बाद जसबीर सिंह से बात की। जसबीर उसके बाद भी बैठा रहा। आधा घंटा गुजर गया। आखिर मैं ने ही उससे पूछा, “जसबीर, आज आटो नहीं चला रहे हो क्या?”
“वकील साहब¡ एक बुजुर्ग आदमी यह थैला रख गया है, और मुझे कह कर गया है कि मैं आता हूँ। अब उसने विश्वास किया है तो उसके आने तक रुकना तो पड़ेगा।“

जसबीर की बात सुन कर मुझे जोर की हंसी आ गयी। मैं ने उसे कहा, “तुम जाओ, इस थैले का ध्यान मैं रख लूंगा। असल में वह बुजुर्ग मेरे रिश्तेदार हैं, वह तुम्हें नहीं मुझे कह कर गए थे कि, “सरदार जी, थैला रखा है, ध्यान रखना। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। मेरा निक  नेम भी  सरदार है। इसलिए तुम गलत समझ गए कि तुमसे कह कर गए हैं।“

मेरे इतना कहते ही जसबीर ने राहत की साँस ली। उठते हुए बोला, “तो अब मैं चलता हूँ। में तो समझा था, यह पता नहीं कौन आदमी मुझे यहाँ थैले की रखवाली में बिठा गया।“

कल एक पोस्ट पर सब से निक नेम बताने को कहा था। मैं ने अपना निक नेम बताया तो उनकी प्रतिक्रिया थी, वाकई “सरदार” ही निक नेम है क्या?

सोमवार, 12 मार्च 2012

बन्दर की रोटियाँ देने वाला यह वृक्ष कौन सा है?

मित्रों!
विगत साढ़े तीन माह से अनवरत अनियमित था। लेकिन इस बार तो एक लंबा विराम ही लग गया। एक बार जब खिलाड़ी कुछ दिन के लिए मैदान से बाहर होता है तो उस का पुनर्प्रवेश आसान नहीं होता। मेरे साथ भी यही हो रहा है। सप्ताह भर से सोच रहा हूँ कि कहाँ से आरंभ करूँ।  कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। कल अचानक तीसरा खंबा पर 1000 पोस्टें पूरी हो गयी। यह कैसे हो गया। इतना कैसे लिख गया। मुझे स्वयं पर आज आश्चर्य हो रहा है। लेकिन यह सब ब्लागिरी का ही प्रताप है जिस ने मुझ से इतना काम करवा लिया। वाकई ब्लागरी में बहुत ताकत है। अनवरत पर आज अपनी अनुपस्थिति इस पोस्ट के साथ तोड़ रहा हूँ।  लिखने को अनेक विषय हैं लेकिन आज बात कुछ हट कर।


वृक्ष
 कोटा  कलेक्ट्रेट परिसर में एक वृक्ष है।  इस के नजदीक की चाय आदि की दुकानें हैं उन्हीं में से एक पर हम अक्सर कॉफी पीने आते हैं। गर्मी में उस की घनी शीतल छाया में बैठ कर कॉफी सुड़कने का आनंद ही कुछ और है।  मैं लोगों से हर बार इस वृक्ष का नाम पूछता हूँ.  लेकिन मैं आज तक इस वृक्ष का नाम नहीं जान सका। जिन से भी पूछा उन्हों ने आड़े तिरछे नाम बताए। मैं जानना चाहता हूँ कि इस वृक्ष का नाम क्या है? यदि पता लग सके तो इस वृक्ष का वानस्पतिक विज्ञानी नाम भी जानना चाहता हूँ। इस वृक्ष का ऋतुचक्र वार्षिक है। वर्ष भर यह हरे पत्तों से भरा रहता है। लेकिन जनवरी में इस के पत्ते झड़ने लगते हैं और यकायक केवल नंगी शाखाएँ दिखाई देने लगती हैं। लेकिन कुछ ही दिनों में पुनः यह हरा हो उठता है। इस बार इस पर पत्तों जैसी हरी संरचनाएँ उग आती हैं जैसे दो पत्तियों को जोड़ कर उन के बीच पराठे की तरह मसाला भर दिया हो। मई माह तक इन की हरियाली बनी रहती है। फिर यह सूखने लगती हैं और जून में बड़े आकार के कोमल पत्ते निकल आते हैं जो पकते हुए गहरे हरे हो जाते हैं और जनवरी तक बने रहते हैं। अनेक व्यक्तियों इसे बन्दर की रोटी का पेड़ बताया। ऊपर का चित्र उसी वृक्ष का है। मैं कभी कभी इस पेड़ की शाखा पर ट्री हाउस बनवा कर उस में मनपसंद किताबों के साथ छुट्टियाँ बिताने की कल्पना करता हूँ।  शाखाओं के चित्र नीचे हैं। क्या आप बताएंगे इस वृक्ष का नाम क्या है? इस का वानस्पतिक नाम क्या है? परिवार और जाति बता सकें तो और भी बेहतर।

शाखाएँ

शाखा

शाखाग्र

बंदर की रोटियाँ

प के उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।