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शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

हॉकी : जर्मनी के विरुद्ध भारत का सफर

लिम्पिक हॉकी में भारत का सफर अभी तक निराशाजनक रहा है।  पहले दो मैच हार जाने पर सेमीफाइनल प्रवेश की आशाएँ धूमिल हुई हैं।   यूँ भारतीय खिलाड़ियों में इस सफर को आगे ले जाने की क्षमता है, यदि खिलाड़ी बेहतर तालमेल स्थापित करें और अपनी रक्षापंक्ति को कुछ मजबूती प्रदान करें।  आज 3 अगस्त 2012 को भारत का मुकाबला दुनिया की नंबर एक टीम जर्मनी से हैं।  किसी भी तरह यदि वे जर्मनी से यह मैच जीत पाएँ तो न केवल सेमीफाइनल में पहुँचने की आशा को बरकरार रखेंगे साथ ही अपने आत्मविश्वास को भी लौटा सकेंगे।  

श्री बीजी जोशी


ज के इस मैच को भारतीय समयानुसार शाम 6.15 बजे ईएसपीएन व दूरदर्शन के डीडी स्पोर्ट्स चैनल पर देखा जा सकता है।

र्मनी के साथ भारत का अब तक का ओलिम्पिक सफर कैसा रहा है? 
यह बता रहे हैं हॉकी स्क्राइब श्री बीजी जोशी। 



 
भारत का जर्मनी के विरुद्ध अब तक का सफर
विवरण
खेले
जीते
बराबर रहे
हारे
गोल किए
गोल खाए
कुल
85
17
22
46
126
182
ओलिम्पिक में  अब तक
9
4
3
2
17
11
ओलिम्पिक में टर्फ पर
5
0
3
2
4
8
पिछले 10 मुकाबले
10
2
1
7
18
25
पिछला मुकाबला
लंदन में टेस्ट मैच दिनांक 5 मई 2012 को खेला
1 के मुकाबले 2 गोल से हारा
पिछली जीत
3 मार्च 2009 को पंजाब गोल्ड कप, चंडीगढ़ में
2 के मुकाबले शून्य गोल
सब से बड़ी जीत
8 के मुकाबले 1 गोल से
15 अगस्त 1936 को बर्लिन ओलिम्पिक फाइनल में
सब से बुरी हार
25 मार्च 1978 को विश्वकप में पूल मैच
शून्य के मुकाबले 7 गोल
ओलिम्पिक में अंतिम जीत
26 अक्टूबर 1968 को कांस्य पदक के लिए मैच
2 के मुकाबले 1 गोल से  जीता
पृथीपाल सिंह और बलबीर सिंह (रेलवे) ने गोल किए

बुधवार, 1 अगस्त 2012

ओलिम्पिक हॉकी - आज भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से

लंदन ओलिम्पिक पुरुष हॉकी स्पर्धा में आज भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से होना है। नीदरलैंड्‌स के हाथों अपना पहला मैच गँवाने के बाद प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए भारत को मैच जीतना होगा।  भारत को पहले ही मैच में नीदरलैंड्‌स ने भारत को ३-२ से हराया था। पैनल्टी कॉर्नर को शतप्रतिशत गोल में बदलने की नीदरलैंड्स की क्षमता का लाभ उसे मिला। भारत ने दोनों गोल मैदान से किए थे।

न्यूजीलैंड टीम के ओलिम्पिक सफर की शुरुआत भी जीत से नहीं हुई है।  उसे भी अपने शुरुआती मैच में दक्षिण कोरिया के हाथों हारना पड़ा है।  पहले मैच में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखते हुए वह न्यूजीलैंड से बेहतर दिखाई रही है।  भारतीय फॉरवर्ड्‌स को जीतने के लिए अधिक आक्रामक शैली में खेलने की जरुरत है।  भारतीय टीम को पदक की दौड़ में बने रहने के लिए अंक बनाने का यह मौका नहीं खोना चाहिए।  भारत को सेमीफाइनल में पहुँचने के लिए न्यूजीलैंड के अलावा पूर्व चैंपियन जर्मनी, कोरिया और बेल्जियम की टीमों से भिड़ना है।  

ह मैच भारतीय समयानुसार शाम 6:15 बजे दूरदर्शन के डीडी स्पोर्ट्स व ईएसपीएन चैनलों पर देखा जा सकता है।

 
हॉकी : भारत विरुद्ध न्यूजीलैंड
विवरण
खेले
जीते
बराबर
हारे
गोल किए
गोल खाए

कुल
77
43
15
19
176
120

ओलिम्पिक में अब तक
6
4
0
2
12
8

ओलिम्पिक में टर्फ पर
3
2
0
1
5
4

पिछले 10 मुकाबले
10
4
4
2
19
21

पिछला अंतिम मुकाबला
अजलान शाह कप, ईपो में 24 मई 2011 को 1-5 से हारे .

पिछली जीत
ऑकलैंड में टेस्ट सिरीज 1 मार्च 2009 को 2-0 से जीता

सब से बड़ी जीत
1964 की सिरीज में वेलिंग्टन में तीसरा टैस्ट 8-2 से जीता

सब से खराब हार
अजलान शाह कप ईपो 12 मई 2011 को लीग मैच 3-7 से हारा

ओलिम्पिक में पिछली जीत
बार्सीलोना में 7 अगस्त 1992 को सातवें स्थान के लिए मैच 3-2 से जीता मुकेश कुमार ने 2 व परगट सिंह ने 1 गोल किया




सांख्यकी : श्री बीजी जोशी के सौजन्य से

सोमवार, 30 जुलाई 2012

हॉकी : भारत की भिड़न्त आज नीदरलैंड से / जीत मुश्किल लेकिन असंभव नहीं

बीजी जोशी, 
हॉकी स्क्राइब

भारत और नीदरलैंड्स के बीच लंदन ओलिम्पिक की हॉकी स्पर्धा में भिड़ंत भारतीय समयानुसार आज शाम 8.30 बजे रिवरबैंक एरिना में होगी।  आठ वर्ष बाद ओलिम्पिक में वापसी करने वाली भारतीय टीम अपने अभियान की अच्छी शुरुआत कर पुराना गौरव हासिल करने की कोशिश करेगी। इस मैच का लाइव टेलीकास्ट ईएसपीएन पर देखा जा सकता है।

र्ष 1996 और 2000 ओलिम्पिक की स्वर्ण विजेता नीदरलैंड्स एकमात्र टीम है जिसने भारत के बाद लगातार ओलिम्पिक स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले हैं।  भारत ने 1928 से 1956 तक लगातार ओलिम्पिक स्वर्ण जीते थे लेकिन अब वह पिछले 32 वर्षों में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए जूझ रहा है।

भारत ने पिछला स्वर्ण बहिष्कार से प्रभावित 1980 मॉस्को ओलिम्पिक में जीता था।  महिला टीम को अगर शामिल कर लिया जाए तो नीदरलैंड्स ने किसी भी अन्य देश से अधिक 14 ओलिम्पिक हॉकी पदक जीते हैं।  भारतीय पुरुषों के नाम आठ स्वर्ण के अलावा एक रजत और दो कांस्य से कुल 11 पदक हैं।  भारतीय टीम नीदरलैंड्स के प्रमुख हथियार ट्यून डिनायर से सतर्क रहेगी, जिन्हें सैंकड़ों अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव है और वे अपना पाँचवाँ ओलिम्पिक खेल रहे हैं।

बीजी जोशी, हॉकी स्क्राइब
भारतीय टीम के कोच माइकल नॉब्स ने कहा -नीदरलैंड्स की टीम काफी आक्रामक है और हमें सीखना होगा कि उसे किसी तरह का मौका नहीं दें।  हम ओलिम्पिक की तैयारियों के लिए कई तरह की चुनौतियों से जूझे हैं और खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की हैं।  नीदरलैंड्स की टीम अच्छी है लेकिन भारतीय बेहतरीन खेल दिखाने को प्रतिबद्ध हैं।  भारतीय टीम के कप्तान भरत छेत्री ने कहा -हम अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं।

च्छी शुरुआत, आधी जीत को चरितार्थ करने हेतु आज भारत के समक्ष  सशक्त नीदरलैंड्स को हराने का हिमालयी लक्ष्य है।  नीदरलैंड्स के कोच को उभरते विशेषज्ञ रॉडरिक वेउस्थाप (141 मैच में 69 गोल) व दुनिया के सर्वाधिक अनुभवी टयून डिनायर (446 मैच में 214 गोल) पर भरोसा है।

डिफेंस भारत का कमजोर पक्ष है।  कप्तान व गोलकीपर भरत छेत्री हवाई गेंदों को सुरक्षित बाहर फेंक देते हैं पर सतह पर सरपट दौड़ती गेंद को उनके पैर क्लियर नहीं कर पाते।  ऐसे में डीप डिफेंडर्स को अत्यधिक सजगता से खेलना होगा।  फॉरवर्ड्स को मिले मौके भुनाने ही होंगे। उम्मीद है कि संदीप सिंह तथा रघुनाथ पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर टीम को संजीवनी देंगे।  भारत की डगर मुश्किल दिख रही है, लेकिन असंभव नहीं। 

Ø  यह भारत का 187 वाँ टूर्नामेंट है व 19 वाँ ओलिम्पिक।
Ø  अब तक 1455 मैच भारत ने खेलकर 814 जीते हैं।
Ø  59 देशों के खिलाफ भारत खेला है।  नीदरलैंड्स के खिलाफ 93 मैचों में भारत ने 30 जीते,41 हारे तथा 22 ड्रॉ खेले हैं।
Ø  टर्फ हॉकी पर नीदरलैंड्स भारी है, उसने खेले गए 60 मैचों में भारत को 39 में हराया है।
Ø  भारत ने मात्र 11 जीते तथा 10 ड्रॉ रहे।
Ø  ओलिम्पिक की 10 भिड़ंतों में भारत ने 7 जीते, 2 हारे व 1 ड्रॉ खेला।

गुरुवार, 31 मार्च 2011

शील ने इत्मिनान से क्रिकेट मैच देखा

सुरेश के सुबह सो कर उठने के पहले अखबार आ जाता है। शील ही पहले उसे पढ़ती है। सुरेश यदि बीच में उठ जाए तो उसे कॉफी बना कर दे देती है और फिर अखबार पकड़ लेती है। जब तक पूरा न पढ़ लिया जाए, उसे नहीं छोड़ती। यह अपने शहर, देश दुनिया के बारे में ताजा होने का सब से अच्छा तरीका है। फिर उसे अक्सर यह भी तो देखना होता है कि उस दिन पूनम, प्रदोष या कृष्णपक्षीय चतुर्थी तो नहीं पड़ रही है या कोई ऐसा त्यौहार तो नहीं है जिस में व्रत या पूजा वगैरा करनी हो। कहीं ऐसा न हो कि उन में से कोई छूट जाए। सोने से ले कर दाल-चावल तक के भाव उसी से तो पता लगते हैं और किसी के मरने-गिरने की खबर भी। अखबार से उसे यह सब जानकारी सुबह-सुबह मिल जाती है और दिनचर्या तय करना आसान हो जाता है। उसी से उसे यह भी खबर लगती है कि आज अदालत में काम होगा या वकील लोग यूँ ही मुकदमों में तारीखें ले कर वापस लौटेंगे। पिछले दो-एक बरस से यह खूब होने लगा है। महीने में दो-चार दफ़े तो वकील हड़ताल कर ही देते हैं और साल में कम से कम एक बार लंबी हड़ताल  भी करते ही हैं। इस से वह जान जाती है कि सुरेश को दिन में आज कितनी फुरसत रहेगी? उसी हिसाब से वह सुरेश से करवाए जाने वाले बाहर के कामों की उसे याद दिलाती है। 
शील को सप्ताह भर से ढोल पीट रहे टीवी चैनलों से पता चल गया था कि बुधवार को क्रिकेट विश्व-कप का फाइनल मैच होने वाला है। वह समझ गई थी कि सुरेश की कोशिश रहेगी कि ढ़ाई बजे के पहले घर पहुँच जाए और बिस्तर पर बैठे-लेटे वह मैच का आनंद ले सके। पहले तो सुरेश को क्रिकेट का बहुत ज़ुनून होता था। लेकिन अब उस पर उतना ध्यान नहीं देता। आखिर दे भी कब तक? वह ऐसा करने लगे तो धंधा ही चौपट हो जाए। फिर भी अगर भारत की टीम खेल रही हो तो मैच देखने की उस की कोशिश जरूर रहती है। उसे सुबह के अखबार से ही पता लग गया था कि आज के मैच के लिए वकील लोग अदालतों में काम नहीं करेंगे। सुबह जब सुरेश कॉफी पी रहा था तो शील ने पूछ लिया "आज अदालत में काम कितना है?" सुरेश भी अब इस तरह के सवालों का आदी हो चला है। वह तुरंत ही भाँप गया कि उसे कुछ काम बताया जाने वाला है। उस ने केवल इतना ही उत्तर दिया "कोई अधिक काम नहीं है।" तब शील ने बताया कि अदालत में तो आज वकील काम ही नहीं करेंगे। 
-हाँ, काम तो नहीं करेंगे, लेकिन अदालत तो जाना पड़ेगा। जो मुकदमे आज लगे हैं उन में पेशी तो लानी पड़ेगी। तुम तो अपना काम बताओ जो मुझे करने के लिए कहने वाली हो। सुरेश ने कहा। 
शील बताने लगी - मैं सोचती थी कि पोस्ट ऑफिस जा कर पोस्ट मास्टर को नया पता दे आओ। कहीं ऐसा न हो बच्चों की डिग्रियाँ आएँ और लौट कर फिर से युनिवर्सिटी चली जाएँ। फिर वहाँ से निकालना बहुत मुश्किल काम होगा। बच्चों को ही आ कर लेनी होंगी। वैसे भी वे घर कितने दिन के लिए आते हैं। फिर जब आते हैं तो युनिवर्सिटी में अवकाश होता है। वो गुप्ता जी की लड़की उसकी डिग्री आज तक भी युनिवर्सिटी से नहीं ला पाई है। जब गुप्ता जी पत्नी सहित एलटीसी पर गए थे तब आई थी, डाकिए ने लौटा दी। 
शील कुछ देर के लिए रुकी तो सुरेश बोल उठा -अगला काम बताओ। एक वो आप के मिर्च वाले को फोन कर के पूछ लो कि वह मिर्चें कब ला कर देगा? गरमी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। अधिक देर हो गई तो उन्हें पीसने में परेशानी होगी। यदि वह एक दो दिनों में ला दे तो ठीक, वर्ना पोस्ट ऑफिस के नजदीक की दुकान पर अच्छी वाली मिर्चें हैं, आधा किलो लेते आना। बिलकुल खतम हो हो जाएंगी तो परेशानी आ जाएगी। गणगौर नजदीक है, गुणे तो बनाने पड़ेंगे। बिना मिर्च के तो बनने से रहे।
... और? सुरेश ने पूछा? 
..... यूआईटी हो कर भी आना। नयी आवासीय योजना में  प्लाटों के आवंटन के फार्म मिलने लगे हों तो वह भी लाना। गुल्लू कह रहा था कि इस बार जरूर भर देना चाहिए। यदि आवंटन मिल गया तो फायदा हो जाएगा। उसे वैसे भी इस बार प्रोपर्टी में इन्वेस्ट के लिए लोन लेना पड़ेगा। वर्ना बहुत सा पैसा सिर्फ इन्कमटैक्स में कट जाएगा। गुल्लू की सैलरी स्लिप ले जा कर लोन एजेंट को दिखा कर पूछ भी लेना कि उसे कितना लोन मिल सकता है। 
... और?  इस बार सुरेश ने पूछा तो यकायक शील हँस पड़ी। कहने लगी - आज के लिए इतना ही बहुत है, फिर अदालत जा कर आज की पेशियाँ भी तो लेनी हैं और  फिर मैच भी तो देखना है। आज शाम तुम्हें दूध लेने नहीं जाना है, मैं ने गाँव वाले से एक किलो ले लिया है। 
सुरेश कहने लगा -कभी कभी बहुत समझदारी करती हो। सच में, आज मैच शाम पाँच बजे क्रिटिकल हो जाता तो मैं नहीं ही जाता।
-कभी कभी क्यों जनाब? हमेशा क्यों नहीं कहते। क्या कभी मैं ने कोई बेवकूफी भी की है? 
सुरेश की कॉफी कभी की खत्म हो चुकी थी, तम्बाकू को चूने के साथ घिस कर सुपारी मिला कर भी फाँक चुका था। वह उठा टॉयलेट में घुसते हुए बोला -मुझे बता कर दिन थो़ड़े ही खराब करना है। शील फिर हँस पड़ी। स्नानादि से निवृत्त हो कर सुरेश ने भोजन किया और निकल गया। उस ने शील के बताए सारे काम कर डाले थे। अदालत पहुँचा तो दुपहर का अवकाश होने में पंद्रह मिनट ही शेष बचे थे। उसे रोज ही अपनी कार पार्क करने के लिए जगह तलाशनी पड़ती थी। कभी कभी तो इस तलाश में कार को एक किलोमीटर बेशी चलाना पड़ जाता था। पर आज तो सारी ही जगह खाली पड़ी थी। कार को एक पेड़ की छाँह भी मिल गई थी। वरना कई सप्ताह से कार दिन फर धूप में तपती रहती थी। ज्यादातर लोग अपना काम निपटा कर घरों को जा चुके थे। अदालत में सन्नाटा पसरा था। मुवक्किलों का तो नाम भी नहीं था। वहाँ या तो अदालतों के कर्मचारी थे या फिर कुछ वकील, मुंशी और टाइपिस्ट आदि ही बचे थे। उन में से भी कुछ जाने की तैयारी में थे। कुछ ने मैच की एक पारी यहीं बार एसोसिएशन के टीवी पर मैच देखना था। जब भीड़ मैच देखती है तो उस का आनंद कुछ और ही होता है। 
सुरेश ने जल्दी-जल्दी देखा कि उस के आज के मुकदमों की तारीख उस के जूनियर और मुंशी ले आए हैं या नहीं। देखा कि एक-दो ही मुकदमे रह गए हैं तो मुंशी को हिदायत दी कि लंच होने के पहले ही शेष तारीखें भी नोट कर ले और बस्ता गा़ड़ी में रख दे। मुंशी ने एक दो नोटिसों पर दस्तखत कराए, जिन्हें आज ही डिस्पैच करना था। कुछ और अदालती कागजों पर दस्तखत करने के बाद सुरेश अपनी लंच-टीम के साथ चाय के लिए निकल गया। उस ने साथियों से पूछा -मैच देखने की क्या तैयारी है? अधिकतर चाय के बाद घर जाने वाले थे। एक दो ने वहीं मैच देखना था। जगदीश कोई गाना गुनगुना रहा था। सुरेश ने पूछा -क्या गुनगुना रहे हो?
-कुछ नहीं, यार! हर कोई ऐरा-गैरा, नत्थू खैरा किरकेट पर गाना बना रहा है तो मैं ने सोचा मैं भी क्यूँ न बना दू? 
-फिर कुछ सूझा? सुरेश ने पूछा।
-हाँ, दो पंक्तियाँ तो सूझ गई हैं। पर गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं रही है। 
-तो दो ही सुना दो। गाना वर्डकप फाईनल शुरू होने तक तो बन ही जाएगा। पूरा तब सुन लेंगे। 
- तो सुन ही लो। जगदीश सचमुच गाने लगा ....

देखो देखो देखो S S S S S S S S ओ
किरकट का मैच देखो S S S S S S S S ओ
भारत-पाक भिड़ते देखो S S S S S S S S ओ
भूलो भूलो भूलो S S S S S S S S ओ
राष्ट्रमण्डल को भूलो S S S S S S S S ओ
धोनी-सहबाग-सचिन याद रखो S S S S S ओ
भूलो भूलो भूलो S S S S S S S S ओ
कलमाड़ी की कालिख भूलो S S S S S S ओ
देखो देखो देखो S S S S S S S S ओ
किरकट का मैच देखो S S S S S S S S ओ ...

सुरेश ने जगदीश को बाहों में भर लिया। उस्ताद आज तो मिर्जा और मीर भी तुम्हें दाद दे रहे होंगे। 

चाय से निपट कर सुरेश घर पहुँचा तो टीवी से मैच की आवाजें आ रही थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि पंद्रह दिन पहले तक अपने फेवराइट सीरियल के समय शील उसे कहती थी कि वह मैच इंटरनेट पर देख ले।  आज अपने फेवराइट सीरियल के समय क्रिकेट मैच देख रही है। उस ने गेट खोल कर कार अंदर रखी। शील ने दरवाजा खोला और तुरंत अंदर जा बैठी। बेडरूम का टीवी चल रहा था। दो ओवर हो चुके थे। शील जम कर बेड पर बैठ कर मैच देखने लगी। सुरेश ने कपड़े बदले और वह भी बेड पर लेट कर मैच देखने लगा। 
शील ने पूरा मैच तन्मय हो कर देखा। आखिरी ओवर की पहली गेंद फेंकने के बाद जब सुरेश ने कहा कि अब भारत जीत गया। तो शील बोली -जीत गया, तो फिर अब गेंद क्यों फैंकी जा रही है? जब तक आखिरी पाक खिलाड़ी आउट न हो गया तब तक वह नहीं उठी। उठी तो सब से पहले घड़ी देखी। उस की प्रतिक्रिया थी -अरे! ग्यारह बज गए! मैं तो सोच रही थी अभी साढ़े नौ ही बजे होंगे।
सुरेश ने कहा -अब भोजन भी बना लो। वर्ना जीत की खुशी में भूखा ही सोना पड़ेगा। 
-भोजन मैं ने दो बजे के पहले ही बना लिया था। बस, गरम कर के लाती हूँ। 
सुरेश सोच रहा था ... तो ये वजह थी, कि शील ने बड़े इत्मिनान से मैच देखा।