पिछले साल एक दिन अदालत में अचानक मुझे ऐसा लगा कि एक भी कदम चला तो गिर पड़ूंगा। किसी को कुछ बताए बिना ही जैसे-तैसे बाहर निकल पास ही जज साहब के पीए के चैम्बर में जा कर बैठा, कि थोड़ा आराम कर सकूँ। जज ने तुरन्त ही बुलवा भेजा। मैं जैसे-तैसे इजलास में पहुँचा और इस बुलावे को निपटा कर वापस वहीं आ बैठा। घंटे भर बाद वहीं बैठ कर कॉफी पी, तब सामान्य होने पर अपने काम पर लगा। शाम को अपने डॉ. ङी.आर. आहूजा को चैक कराया, तो रक्तचाप १००-१६० था। याने दिन में वह अपनी सीमाऐं तोड़ रहा होगा। डॉ. ने कहा कोई खास बात नहीं है, एक गोली रात को लेने को दे दी, कोलेस्ट्रोल की जाँच कराने और कुछ दिन रोज रक्तचाप नियमित रुप से जँचाते रहने की हिदायत कर दी। अगले मित्र ड़ॉ. आर.के. शर्मा की पेथोलोजी लेब में यह काम हुआ। पता लगा कोलेस्ट्रोल सीमा में ही है, लेकिन ऊपरी सतह को छू रहा है।
हमने गोली एक दिन ही खाई, रक्तचाप कुछ दिन चैक कराया। वह कभी ९५-१३५ आता, तो कभी १००-१४०, इस से नीचे आने को तैयार न था। डॉ. आहूजा का कहना था गोली तो लेनी ही होगी। अपने राम को पता था गोली जीवन भर के लिये बंध जाएगी, इस के लिए हम तैयार न थे। खुद की डॉक्टरी से इलाज को पत्नीजी तैयार नही। हम खुद बी. एससी. (बायो), ऊपर से निखिल भारतवर्षीय आयुर्वेद विद्यापीठ के वैद्य विशारद। नॉवल्जीन-एविल के अलावा कोई एलोपैथी गोली कभी ही खाई हो। पच्चीस साल से घर की होमियोपैथी से खुद, पत्नीजी और बेटी-बेटी के चार सदस्यों के परिवार को चला रहे हैं, तो ऐलोपैथी कैसे रास आती? तय हुआ कि किसी दूसरे होमियोपैथ को इन्वॉल्व किया जाए। तो रोज अदालत जाते समय होमियोपैथ चिकित्सक डॉ बनवारी मित्तल के सरकारी क्लिनिक पर अपने राम की चैकिंग होने लगी। डॉ. मित्तल ने एक सप्ताह कोई दवा नहीं की। सप्ताह भर बाद एक मदर टिंचर सुबह-शाम बीस-बीस बून्द लेने को दिया।
इस बीच नैट पर सारी सलाहें देख डालीं। हम समझ गए, अधिक वजन बीमारी का असल कारण है और इसे कम करना है। अपने राम ने भोजन से घी बिलकुल नदारद किया। चीनी चौथाई कर दी (पूरी छोड़ने में ब्राह्मणत्व को खतरा था)। रोज सुबह जॉगिंग चालू की। जॉगिंग के लिए कहॉ जाएं? इसलिए अपने ही घर की छत की बत्तीस फुट लम्बाई में सौ राउण्ड बना कर एक किलोमीटर बनाया। एक माह में बढ़ा कर तीन सौ राउण्ड कर लिए। कुल तीस मिनट का काम। मदर टिंचर का असर कि दूसरे दिन से ही रक्तचाप ८०-१२० पर आ ठहरा। एक माह तक स्थिर रहा। तब तक वजन पाँच किलोग्रामं कम हो चुका था। हम ने डॉ. को सलाह दी कि अब मदर टिंचर बन्द कर देना चाहिए? वह बिलकुल तैयार नहीं था। हम ने उसे समझाया कि हमारे पास एक मेडीकल सेल्स रिप्रेजेण्टेटिव मुवक्किल के सौजन्य से नया रक्तचापमापी आ गया है। रोज दो बार जाँचेंगे, और कोई भी गड़बड़ नजर आई तो तुरंत उन के दरबार में हाजरी देंगे। डॉ. साहब थोड़ा मुश्किल से ही, पर तैयार हो गए। हम डॉ. साहब को तीन माह तक हर सप्ताह रिपोर्ट करते रहे। बाद में वह भी बन्द कर दिया। हमारा रक्तचाप ८०-१२० चल रहा है। वजन तकरीबन सोलह किलो कम कर चुके हैं। एक बात समझ गए हैं कि नब्बे किलोग्राम वजन को रक्त संचार करने वाला दिल, साठ किलो वजन में डेढ़ गुना अधिक समय तक रक्त संचार करने तक एक्सपायर नहीं होगा।
गणतंत्र दिवस की पूर्व-संध्या की पूर्व-दोपहरी से ही नैट अवकाश पर था। गणतन्त्र मना कर शाम पाँच बजे वापस ड्यूटी पर लौटा। अपने राम सुबह चार बजे उठे, नैट की गैरहाजरी दर्ज कर वापस रजाई के हवाले हो लिए। साढ़े सात बजे उठे तो आलस करते रहे। धूप भी अदृश्य बादलों से छन कर आने से बीमार थी, सो छत पर जाने का मन न हुआ और नहाने के लिए साहस जुटाने को कम्प्यूटर पर स्पाईडर सोलिटेयर खेलने लगे। यह सब पत्नीजी की सहनशीलता के परे था। चेतावनी मिली कि- आज क्या इरादा है? हम ने कहा -सर्दी बहुत है, फिर से रजाई के हवाले होने का मन कर रहा है। वे चिढ़ गईं। बोली दस मिनट छत पर टहल ही लो। हमें जाना पड़ा। मन तो ब्लॉगिंग में भटक रहा था। मन्थर गति से जोगिंग चालू की, अपने राउण्ड गिनने लगे। फिर गिनती भूल गए। चमत्कार हुआ, हर तीसरे राउण्ड पर एक नया विषय याद आ रहा था। आधे घंटे में वापस लौटे तो कम से कम दस विषयों से उपर की मंजिल ओवर लोड थी। नीचे ऑफिस में एक सहायक वकील आ चुका था, दूसरा आने वाला था। उन्हें कुछ पढ़ने का काम बता कर बाथरूम पकड़ा। स्नान कर, प्रसाद पा, ऑफिस में घुसे तो छूटते-छूटते तीन बज गए। तब तक विषयों का लोड एक तिहाई रह चुका था। तय किया, कल से जोगिंग में राउण्ड की जगह विषय गिना करेंगे, और नीचे आते ही कागज पर लिख लेंगे। जिस से वे जान न छुड़ा भागें।
तो आज का सबक है, हर ब्लॉगर को बीस मिनट रोज जॉगिंग करनी चाहिए। इस से उस की ऊपरी मंजिल हमेशा ओवर लोड रहेगी। उसे किसी दिन इस वजह से एग्रीगेटर्स पर गैर हाजरी नहीं लगानी पड़ेगी, रक्तचाप सामान्य बना रहेगा। और 'रवि' भाई को कम सफाइयां देनी पड़ेंगी।