@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: यात्रा के पहले काम का एक दिन

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

यात्रा के पहले काम का एक दिन

सुबह शेव बना कर दफ्तर में आ बैठा था। सुबह से कोहरा और बादल थे तो रोशनी की कमी ने दुपहर चढ़ने का अहसास ही समाप्त कर दिया। काम और आगंतुकों में ऐसा फँसा कि 12 बजे के पहले उठ नहीं सका। आगंतुकों के उठते ही ने उलाहना दिया -आज नहीं नहाना क्या?  मैं तुरंत उठ कर अंदर गया तो देखा भोजन तैयार है। पर स्नान बिना तो भूख दरवाजे के बाहर खड़ी रहती है। शोभा ठहरी शिव-भक्त दो दिन की उपवासी। मैं तुरंत स्नानघर में घुस लिया। बाहर निकला तब तक उपवासी उपवास खोल चुकी थी। 
आज शाम जोधपुर निकलना है। सोमवार की सुबह ही वापस लौटूंगा। उस दिन का अदालत के काम की आज ही तैयारी जरूरी थी, तो भोजन के बाद भी बैठना पड़ा। एक बजे फिर मकान का मौका देखने के लिए एक सेवार्थी का संदेश आया। थका होने से उसे तीन बजे आने को कहा और मैं काम निपटा कर कुछ देर विश्राम के लिए रजाईशरणम् हुआ।
ह साढ़े तीन बजे आया। कोहरा छंट चुका था, धूप निकल आई थी। लेकिन हवा में नमी और ठंडक मौजूद थी। फरवरी के मध्य़ में बरसों बाद ऐसा सुहाना मौसम दीख पड़ा। सेवार्थी का घर नदी पार था। चंबल बैराज पर बांध के सहारे बने पुल पर हो कर गुजरना पडा। बांध के पास बहुत लोग प्रकृति और बांध की विपुल जलराशि का नजारा लेने एकत्र थे और कबूतरों को दाना डाल रहे थे। सैंकड़ों कबूतर दाने चुग रहे थे। सैंकड़ों इंतजार में थे। मौका देख कर वापस लौटा तो फिर से काम निपटाने बैठ गया। प्रिंट निकालते समय लगा कि  इंक-जेट कार्ट्रिज में स्याही रीतने वाली है। तुरंत उसे भरने की व्यवस्था की गई। सूख जाने पर कार्ट्रिज खराब होने का अंदेशा जो रहता है। सिरींज में स्याही जमी थी। शोभा ने प्रस्ताव किया कि सिरींज वह ला देगी। वह चार रुपए की नई कुछ बड़ी सिरिंज तीन मिनट में केमिस्ट से ले आई। हमने स्याही भर कर दुबारा प्रिंट निकाल कर देखा ठीक आ रहा था। काम की जाँच की। अब सोमवार को सुबह कोटा पहुँचने पर अदालती काम ठीक से करने लायक स्थिति है और दफ्तर से उठ रहा हूँ।
ल जोधपुर में काम से निपटते ही हरि शर्मा जी को फोन करना है। उन्हों ने वहाँ एक छोटा ब्लागर मिलन रखा है। तीसरे पहर तक उस से निपट कर कुछ और लोगों से मिलना हो सकेगा। देखते हैं जोधपुर की इस यात्रा में क्या नया मिलता है? कल ब्लागीरी से अवकाश रहेगा।

12 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

कितनी दौड़ धूप और व्यस्तता रहती है आपकी भी और तिस पर ये ब्लागिंग भी !

बेनामी ने कहा…

भाग दौड़ ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होती है :-)

बी एस पाबला

निर्मला कपिला ने कहा…

ितनी व्यस्तता मे भी पोस्ट लिख देते हैं आप आपकी ये ऊर्ज़ा बनी रहे शुभकामनायें

उम्मतें ने कहा…

गज़ब जीवटता है आपमें यायावरी और ब्लागिंग वो भी अनवरत :)

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

yatra manglmay ho...

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप की यात्रा शुभ हो, भाग दोड तो आप खुब कर लेते है यह मेने रोहतक मे देख लिया था, अच्छा है इस से चुस्ती बनी रहती है

Khushdeep Sehgal ने कहा…

द्विवेदी सर,
कल आप जोधपुर होंगे तो शायद आप से वहां शोभना चौधरी मिलेगी...वही शोभना जिसने आज ब्लॉगिंग छोड़ने पर पोस्ट लिखी थी...मैंने ऐसा न करने के लिए फोन पर समझाया है..हो सके तो आप भी समझाइएगा...

जय हिंद...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत उर्जा है आपमें.

रामराम.

Kulwant Happy ने कहा…

यहाँ ब्लॉगवुड अपना ब्लॉग दर्ज करवाएं। मुझे खुशी हो गई, शायद आपको भी।

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

जी ये तो स्टेटस रिपोर्ट हो गयी :) एक सार्थक ब्लागिग..

विष्णु बैरागी ने कहा…

आपकी सक्रियता, नियमितता और निरन्‍तरता सचमुच में प्रेरक है।

Abhishek Ojha ने कहा…

अपनी व्यस्तता और यात्राओं के चलते तो ब्लॉग्गिंग बंद ही है !