@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: झाड़ू ऊँचा रहे हमारा

शनिवार, 23 जनवरी 2010

झाड़ू ऊँचा रहे हमारा

नाटक शिवराम की प्रमुख विधा है। नाटकों की आवश्यकता पर उन्हों ने अनेक गीत रचे हैं। ऐसा ही उन का एक गीत ...... आनंद लीजिए, गुनिए और समझिए....


झाड़ू ऊँचा रहे हमारा
  • शिवराम
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा
सब से प्यारा सब से न्यारा

इस झाड़ू को लेकर कर में
हो स्वतंत्र विचरें घर घर में
आजादी का ये रखवाला ।।1।।
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा ...



गड़बड़ करे पति परमेश्वर

पूजा करे तुरत ये निःस्वर
नारी मान बढ़ाने वाला ।।2।।
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा ...

 

झाड़ेगा ये मन का कचरा
फिर झाड़ेगा जग का कचरा
कचरा सभी हटाने वाला ।।3।।
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा ...


राज जमेगा जिस दिन अपना
झंडा होगा झाड़ू अपना
अपना राज जमाने वाला ।।4।।
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा ...


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13 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया तरीका है गीत के माध्यम से प्रदर्शित करने का..

Khushdeep Sehgal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Khushdeep Sehgal ने कहा…

द्विवेदी सर,

झाड़ू सफ़ाई का ही तो काम करती है...घर की भी और घरवाले की भी...

जय हिंद...

वाणी गीत ने कहा…

झाड़ू की इस उपयोगिता के बारे में तो पता ही नहीं था ...:) ...

उम्मतें ने कहा…

"गड़बड़ करे पति परमेश्वर
पूजा करे तुरत ये निःस्वर"

बढ़िया !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही गजब.

रामराम.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

राज जमेगा जिस दिन अपना
झंडा होगा झाड़ू अपना
अपना राज जमाने वाला
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा ...
वाह ,झाड़ू राज....?

गौतम राजऋषि ने कहा…

दिलचस्प स्टाइल है प्रदर्शन का। शिवराम जी हैरान करते हैं हरबार....

राज भाटिय़ा ने कहा…

झाड़ू ऊँचा रहे हमारा... मै तो झंडा ही पढता रहा, लेकिन जब कविता को पढा तो मुस्कुराये बिना नही रह पाया.... इस लिये मुझे कोई डर नही क्योकि हमारे यहां झाडू है ही नही:)

Arvind Mishra ने कहा…

कविराय की लाठी वाली कुण्डलियाँ याद हो आयीं !

Kulwant Happy ने कहा…

अद्भुत।
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Ashok Kumar pandey ने कहा…

वाह जी वाह
क्या ख़ूब गीत
और क्या ही उम्दा तस्वीरें!!

निर्मला कपिला ने कहा…

शैव राम जी की हर रचना मे एक सन्देश छुपा होता है । बहुत अच्छी रचना है बधाई