- Hmmm,लगता है इन वकील लोगो के पास भी आजकल कोई काम नहीं , खामखा लोगो को डरा रहे है :)
कविता देखिए ...
काँईं डाग्दर, काँईं जोशी अर काँईं वकील
डरिया ने और डरावै
फेर डर सूँ खड़बा को गेलो बतावै
अर जे, अश्याँ न करे
तो आपणा घर का गबूल्या ही बकावै
हिन्दी रूपांतरण...
क्या डाक्टर, क्या ज्योतिषी और क्या वकील
डरे हुए को और डराए
फिर डर से निकलने का रास्ता बताए और,
जो ऐसा न करे तो,
खुद के घर के बिस्तर/कपड़े बेचे
- दिनेशराय द्विवेदी