इस सप्ताह रोजमर्रा कामों के साथ कुछ काम अचानक टपक पड़े, बहुत व्यस्तता रही। अपना कोई भी चिट्ठा ठीक से लिखने का काम नहीं हो सका। तीसरा खंबा के लिए कुछ प्रश्न आए। मुझे लगा कि इन का उत्तर तुरंत देना चाहिए। इसी कारण से तीसरा खंबा पर कुछ चिट्ठियाँ इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए आ गई हैं।
अनवरत पर चिट्ठियों का सिलसिला इस अवकाश के उपरांत फिर आरंभ कर रहा हूँ। आज हाथी की बहुत चर्चा है। इरफान भाई के चिट्ठे इतनी सी बात पर कार्टून आया है, हाथी पसर गया!
इसे देख कर एक घटना स्मरण हो आई। आप को वही पढ़ा देता हूँ......हाड़ा वंश की राजधानी, वंशभास्कर के कवि सूर्यमल्ल मिश्रण की कर्मस्थली बूंदी राष्टीय राजमार्ग नं.12 पर कोटा से जयपुर के बीच कोटा से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मार्ग के दोनों और हरे भरे धान के खेत हैं। बीच में तीन नदियाँ पड़ती हैं पहाड़ों के बीच बसा बूंदी नगर पांच किलोमीटर दूर से ही दिखाई देने लगता है। बूंदी से सैंकड़ों लोग प्रतिदिन अपने वाहन से कोटा आते हैं और इसी तरह कोटा से बूंदी जाते हैं। राजमार्ग होने के कारण वाहनों की रेलमपेल रहती है।
कोई दस वर्ष पहले की घटना है। तब राष्ट्रीय राजमार्ग पर इतनी रेलमपेल नहीं हुआ करती थी। बरसात का समय था। सड़क की साइडों की मिट्टी गीली हो कर फूल चुकी थी और किसी भी वाहन को सड़क से उतार देने पर वह मिट्टी में धंस सकता था। यातायात भी धीमा था। इसी सड़क पर एक हाथी सड़क के बीचों बीच चला जा रहा था। यदि उसे ओवरटेक करना हो तो वाहन को स़ड़क के नीचे उतारना जरूरी हो जाता जहाँ वाहन के धँस कर फँस जाने का खतरा मौजूद था।
अचानक एक कार हाथी के पीछे से आई और हाथी के पीछे पीछे चलने लगी। कार चालक हाथी को ओवरटेक करना चाहता था जिस से उस की कार सामान्य गति से चले। पर हाथी था कि दोनों तरफ स्थान नहीं दे रहा था। कार चालक ने हॉर्न बजाया लेकिन हाथी पर इस का कोई असर न हुआ। इस पर कार चालक ने ठीक हाथी के पिछले पैरों के पास तक कार को ले जा कर लगातार हॉर्न बजाना आरंभ कर दिया। हाथी पर उस हॉर्न के बजने का असर हुआ या कार ने हाथी के पिछले पैरों का धक्का मारने का, हाथी झट से बैठ गया। कार का बोनट हाथी की बैठक की चपेट में आ गया। बोनट पिचक गया। गनीमत थी कि चालक और कार की सवारियों को आँच नहीं आई। वे किसी भी प्रकार के शारीरिक नुकसान से बच गए। कार चलने लायक नहीं रही। उन्हें कार को वहीं छोड़ अन्य वाहन में लिफ्ट ले कर आगे का सफर तय करना पड़ा। कार तो वहाँ से सीधे वर्कशॉप वाले ही ले कर आए।
जब भी इस घटना का स्मरण आता है हँसी आ जाती है। हाथी को मार्ग से हटाना या उसे ओवरटेक करना आसान नहीं है। कीजिए! मगर पूरे ऐहतियात के साथ।
28 टिप्पणियां:
बहुत ही रोचक।
काश वह ऎतिहात भी बता देते तो --
ओवरटेक तो हर कोई करना चाहता है फिर वह हाथी हो या चीटी क्या फर्क पडता है.
गजराज को राह दी जाती है, उनसे राह ली नहीं जाती । धन्यवाद।
आजकल तो हाथी सडको पर कम ही नजर आते है |
Majedaar yaatra sansmaran hai. Photo se yah aur sajeev ho gaya hai.
ये तो कमाल की घटना सुनाई आपने..हाथी ने तगड़ा डेमेज किया..शुक्र है की ..यहाँ तो सिर्फ गाय-भैंसों को ही ओवरटेक करना पड़ता है...हा..हा..हा.दिलचस्प
पंगा वह भी हाथी से? न बाबा न!
इनकी कार का तो बाजा बज गया!
बढियां संस्मरण !यहाँ यूं पी में भी हांथी पसर गया है और नुक्सान का आकलन शुरू हो गया है !
इस तरह से हाथी को ओवरटेक करना एक अवैज्ञानिक हरकत है ,मैं आपको बताउं की मेरी जानकारी में ऐसे कई मामले हैं जिसमें हार्न बजा कर ओवरटेक करने के चक्कर में हाथी बिदक गया और वाहन को सवारी सहित कुचल दिया है या पलट दिया है. इस मामले में इन सब की जान बच गयी ये लोग भाग्यशाली रहे.
किसी को शारीरिक हानि नहीं हुई ..यह भी बड़ी बात है
यूपी में भी हाथी को ओवरटेक करने की कोशिश हो रही है, कहीं वहाँ भी यह "राजकुमार" के बोनट पर न बैठ जाये…
@Suresh Chiplunkar
हाथी तो बोनट पर बैठ चुका, राजकुमार की गाड़ी तो अब वर्कशॉप में रिपेयर पर है।
शुक्र है कि झटका देकर चलता बना, सोचिये भन्ना कर पीछे पड़ जाता तो!!!
वाह..अच्छी बात बताई आपने. हमारे यहां तो अब हाथी नही कोई कोई भैन्स ही दिख जाती हैं रोड पर अब.:)
रामराम.
हाथी के पीछे तो
मारूति ही नजर
आ रही है पर
डेमेज कार कोई
और ही है
कृपया भली प्रकार
चित्र की जांच कर
ने
का कष्ट करें।
ध्यान रहे कभी
हाथी को रूष्ट
न करें।
हाथी किस फ्रीक्वेन्सी पर सुन कर अलग हटता है - इसपर शोध जरूरी है।
कांग्रेस के हाथों 20-22 लोसकभा सीटें खो देने के बाद से यू0पी0 क हाथी भी ठीक ऐसे ही बिदका हुआ है...यही कारण है कि मौक़ा मिलते है पसरा जा रहा है...और अगर बोनट कांग्रेस का हो..तब तो सोने पर सुहागा हो गया.
गाड़ी की हालत देखकर हॅसी आ गई, बेचारे हाथी को बैठना ही था तो कार में लिफ्ट ले लेता:(
बडा ही मज़ेदार किस्सा है.
हाथी को ओवरटेक करने का मजा देख ही रहे हैं पूरे प्रदेश वाले। हा..हा.. एक साथ बहुत कुछ कह दिया आपने।
बहुत दिलचस्प पोस्ट। हाथी की शान में कोई गुस्ताखी नहीं होनी चाहिए। और किसी भी जानवर से हमेशा सावधान रहना चाहिए चाहे आप कार में ही क्यों न हों।
बढ़िया, रोचक्।
एक किस्सा तो हमारे खुद के साथ हो चुका, कभी लिखूँगा।
दूसरा किस्सा तो एक वीडियो का है, जिसे उस समय शूट किया गया था जब हाथी की सफाई की जा रही थी । बेचारा सफाई कर्मचारी … की चपेट में आ गया था जब हाथी अचानक बैठ गया। ;-)
हाथी ओवरटेक हो चुका, जो क्षति करनी थी वह भी कर दी !
अब देखें आने वाली कौन सी सरकार इसकी मरम्मत करती है !
चिपलुनकर जी, क्षमा करें.. यह पोस्ट पढ़ते हुये पूरे समय माया दीदी की छवि ही दिखती रही !
हो बहना.. काहे को करत बरजोरीऽऽ
अयँ हियाँ भी मोडरेशन ?
जायें तो जायें कहाँऽऽ
किस्सा रोचक रहा कभी हाथी सामने आ गया तो हम तो गाडी कड़ी कर के इंतज़ार कर लेंगे :)
अच्छा हुआ यह समस्या ट्रैफिक विभाग तक न पहुंची, अन्यथा वह पत्रकारों को जवाब देने से बचने के लिए तुरत फुरत में एक और कानून बना देते की हाथी के पीछे भी लिखो, "जगह मिलने पर पास दिया जायेगा". हाती पलने वाले मजबूरी में ऐसा लिखते और शायद जैसे ट्रक के पीछे लिखा होता है कुछ उसी तरह यह भी लिखते "हाथी को ओवरटेक कर जान जोखिम में न डालें, आपके जान- माल के हानि की जिम्मेदारी हमारी नहीं.'
और तो और
कानून बनते ही वकीलों को केस लड़ने का एक और मुद्दा भी हाथ लग गया होता..........
majedar ghatna sunayi aapne.. :)
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