देश के महत्वपूर्ण दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर स्थित कोटा रेलवे स्टेशन सहित कोटा मंडल से होकर गुजरने वाली तीन रेलगाडियों को आतंककारियों द्वारा बम से उडाने की कथित धमकी के बाद कोटा स्टेशन और नगर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। मामले की जांच पडताल में मिलेट्री इंटेलीजेंस सहित अन्य गुप्तचर एजेंसियों को शामिल किया गया है।
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के पुलिस उप अधीक्षक तृप्ति विजयवर्गीय ने आज बताया कि रेलवे पुलिस के कोटा थाना प्रभारी को गत 18 दिसम्बर को ही एक पत्र मिल गया था जो मुंबई से 12 दिसंबर को डाक में छोड़ा गया है। इस पत्र में कोटा से गुजरने वाली तीन रेल गाडियों सहित कोटा स्टेशन को बम से उडाने की आतंकी धमकी दी गई है। पत्र मिलने के बाद इस के बारे में गोपनीयता बनाए रखी गई और सबसे पहले प्राथमिक रूप से रेल गाडियों और रेलवे स्टेशन की सुरक्षा को मजबूत करने के अलावा विभिन्न इंटेलीजेंस एजेंसियों की मदद ली गई।
विजयवर्गीय ने बताया कि जिन गुप्तचर एजेंसियों की जांच में मदद ली जा रही है, उनमें मिलेट्री इंटेलीजेंस भी शामिल है। इसके अलावा पुलिस की इंटेलीजेंस ब्रांच और रेलवे की विजीलेंस टीम भी स्थिति पर लगातार निगाह बनाए हुए है। उल्लेखनीय है कि जीआरपी के थाना प्रभारी को भेजे गए कथित धमकी भरे पत्र में 25 दिसम्बर को कोटा रेलवे स्टेशन सहित कोटा मंडल से गुजरने वाली तीन रेल गाडियों को बम से उडाने की धमकी दी गई है।
11 टिप्पणियां:
बहुत दुखद स्थिति है....दिन प्रतिदिन हिम्मत बढती जा रही है आतंकवादियों की।
अच्छा है. इस तरह की धमकियाँ से हमारा सुरक्षा तंत्र जागरूक बना रहेगा. हमें तो लगता है कि यह डाइवर्ट करने के लिए किया गया प्रयास है.
भयावह...। लगता है कि पूरा देश बारूद के ढेर पर बैठा है।
बहुत चिन्तित करने वाली खबर है !
रामराम !
शुक्र है चेतावनी से चौकसी है -
सकुशल बीते समय
यही आशा है
चिन्तित करने वाली खबर है। आशा है कोई गड़बड़ी नहीं होगी।
घुघूती बासूती
भगवान करे सब ठीक रहे !! इन चुहो आतंकवादियों की हिम्मत दिन पर दिन बढती जा रही है,ओर भुखा नंगा पकिस्तान भी हमे आंखे दिखा रहा है,
ओर हम वहा जा कर क्रिकेट खेलना चाहते है....कब तक हम मारते रहेगे, कब तक अपनो की मोत देखते रहेगे???
मुझे नहीं लगता कि अब कोई ऎसी वारदात ढोल-ताशे के साथ अंज़ाम दी जायेगी !
पर.. पूरा का पूरा भारत महान असुरक्षित तो है ही !
इस तरह की घटनाएं तब तक नहीं रुक सकती हैं जब तक आतंकवाद मुनाफे का धंधा है. जिस दिन आतंकवादियों को यह पता लग जायेगा कि न सिर्फ़ उनका बल्कि उनके सभी पैरोकारों को क़ानून के अंतर्गत वाजिब सज़ा मिलेगी तो वे सब सीधे हो जायेंगे. अदालत में जुर्म साबित न होने का अर्थ यह नहीं है कि जुर्म किया नहीं गया है. इसका अर्थ सिर्फ़ इतना है कि प्रशासन, पुलिस, जनता, विशेषज्ञों और न्यायकर्मियों में से कईयों ने अपना काम ठीक से नहीं किया है. साथ ही अधिकारियों का भ्रष्टाचार, निकम्मापन और आम जनता से दूरी बनाए रखने की अकड़ भी ऐसी घटनाओं को बढावा देने में सहायक है.
अब ये शरारत है या वास्तविक -क्या कहा जाय !
इस प्रकार की धमकियां/फोन काल्स बहुत होते हैं। और उनसे ट्रेने लेट होना, यातायात अवरोध होते ही रहते हैं। पर इन कॉल्स को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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