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मंगलवार, 1 अगस्त 2023

नस्लीय और धार्मिक राष्ट्रवाद लोगों को हत्यारों में तब्दील कर देते हैं

 क्या आप जानते हैं साथ के इस चित्र में यह क्या है? इसे क्या कहते हैं?

इस औजार का नाम fasces है, यह एक लैटिन शब्द है और यह औजार प्राचीन रोम में पाया जाता था।
इस औजार में एक लकड़ी का डंडा है जिस पर कुछ छोटे डंडों का एक गट्ठर बंधा है, उसके भी सिरे पर एक कुल्हा़ड़ी जैसा धारदार औजार बंधा है। यह एक प्राचीन प्रतीक है जो सामुहिक दंडाधिकार को प्रकट करता है। लेकिन इसी अधिकार को यदि किसी नस्लीय, धार्मिक या जातीवादी राष्ट्रवाद से जोड़ दिया जाए तो वह मनुष्यता के लिए सबसे खतरनाक राजनैतिक विचार बन जाता है।
 
यह काम सबसे पहले इटली में मुसोलिनी ने किया और एक रोमन राष्ट्रवाद खड़ा करते हुए इस प्रतीक नाम का उपयोग किया और अपनी राजनैतिक विचारधारा को FASCISM फासीवाद नाम दिया। बाद में पड़ौसी देश जर्मनी में हिटलर ने इसी विचारधारा का उपयोग कर जर्मन राष्ट्रवादी पार्टी नेशनल सोशलिस्ट पार्टी खड़ी की जिसका प्रतीक स्वास्तिक को बनाया। नेशनल सोशलिज्म शब्दों के एन ए सोशलिज्म के इज्म को मिला कर इसे नाजिज्म नाम बना। दोनों ने आपस में गुट बनाया और यूरोप में कत्लेआम मचा दिया, जो दूसरे विश्वयुद्ध का एक आधार बना।

उस समय की वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों ने इस विचारधारा के लिए खाद पानी का काम किया। पूंजीवाद भयानक मंदी में फँसा था। साम्राज्यवादी देशों को नए बाजार चाहिए थे। जनता में असन्तोष था। उस असंतोष को दबाने के लिए शासकों को लगा कि राष्ट्रवाद का झुनझुना बढ़िया है और नासमझ जनता में बहुत बढ़िया तरीके से काम करता है।

मुसोलिनी से प्रेरणा प्राप्त कर लगभग एक सदी पहले भारत में भी एक संगठन खड़ा किया गया जिसे हम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नाम दिया गया। इसने भारत में हिन्दू धार्मिक राष्ट्रवाद को फैलाने की कोशिश की। बाद में जिस तरह नस्लीय राष्ट्रवाद को जर्मनी में नाजिज्म नाम दिया गया था, यहाँ भारत में उसी तरह इस विचारधारा को हिन्दुत्व नाम प्राप्त हुआ है, जो भारतीय सनातन धर्म की मूल शिक्षाओं के बिलकुल विपरीत विचार है।

यह विचारधारा लोगों को व्यक्तिगत रूप से एक हत्यारे के रूप में परिवर्तित कर देती है। इसका उदाहरण कल जयपुर मुंबई एक्सप्रेस में इसी विचार से प्रभावित आरपीएफ के एक सिपाही ने आरपीएफ के ही एक अधिकारी और तीन यात्रियों की हत्या कर दी है।