आज शाम मैं ने काफी बनाई, मैं और मेरा क्लर्क दोनों पीने बैठे। अपार्टमेंट के चौकीदार का बेटा मेरे यहाँ टीवी पर कार्टून चैनल देख रहा था।
किसी ने सुनहरे रंग की एक बत्तख मोटू पतलू को यह कह कर बेच दी कि ये सोने के अंडे देती है। उन्हें बत्तख को संभालने का कोई अनुभव तो था नहीं। बत्तख उन के पास से छूट भागी। पीछे पीछे मोटू पतलू चिल्लाते हुए भागे। मेरी सोने के
अंडं देने वाली बत्तख,. कोई तो पकड़ो उसे। अब जिस के वह हाथ आ जाती वही मोटू पतलू से अच्छी खासी रकम ऐँठ सकता था। तो लोग साथ में भागने लगे। कोई दस-पाँच लोग पीछे भागने लगे तो बत्तख नदी में कूद पड़ी। लोग उस के पीछ नदी में कूदै। बत्तख पार निकली तो उस का सुनहरा रंग नदी के पानी में उतर चुका था। बत्तख को उस का मालिक भी मिल गया। उस के हाथों में जाते ही बत्तख ने एक सफेद अंडा दे डाला।
मोटू-पतलू ने जब देखा कि पाँच हजार के महंगे दाम में खरीदी बत्तख साधारण अंडे दे रही है तो उन्हों ने माथा पीट लिया। पर जो लोग मोटू पतलू के साथ भाग रहे थे वे तो मोटू पतलू के पीछे पड़ गए कि उन्हें तो फोकट ही भागना पड़ा जिस का हर्जाना वे मोटू पतलू से वसूलेंगे।
इस अंत पर आ कर मैं औऱ मेरा क्लर्क दोनों एक साथ चिल्लाए -यही तो अपना मुकदमा है।
दरअसल मेरे मुकदमे में साथ भागने वालों ने मोटू-पतलू पर 420, 406, 467, 468, 120-बी भा.दं.संहिता में प्रथम सूचना रिपोर्टे दर्ज करवा दी हैं। मुझे कल उन दोनों की अग्रिम जमानत की अर्जी पर बहस करनी है। बस यहाँ फर्जी बत्तख की जगह खेती की जमीन पर बनाई गयी आवासीय योजना के भूखंडों के फर्जी सौदे हैं। असल 420 मजे ले रहा है।
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