मनुष्य प्रजाति को अपने संरक्षण और विकास के लिए यह आवश्यक था कि वह जाने कि जिस दुनिया में वह रहता है उस में क्या है जो उस के श्रेष्ठ जीवन और उस की निरंतरता के लिए सहायक है, और क्या घातक है। कौन सी वनस्पतियाँ हैं जो जीवन के लिए पोषक हैं और कौन सी हैं जो घातक हैं? शिकार, भोजन संग्रह और मौसम से संबंधित वे क्या जानकारियाँ हैं जो उस के जीवन को सुरक्षित बनाती हैं। इन जानकारियों के प्राप्तकर्ता के लिए यह भी आवश्यक था कि उन्हें वह अपने समूह को संप्रेषित करे। जिस से समूह को इन्हें जुटाने में अपना समय जाया न करना पड़े। जानकारियों और सूचनाओं के संप्रेषण की आवश्यकता ने बोली के विकास का मार्ग प्रशस्त किया और जब मनुष्य ने इन्हें संकेतों के माध्यम से संप्रेषित करने का आविष्कार कर लिया तो भाषा ने आकार ग्रहण किया।
अलग अलग समूहों ने अपनी अपनी भाषाएँ और लिपियाँ विकसित कीं। जैसे जैसे समूहों में आपसी संपर्क हुए भाषाओं का विकास हुआ और आज की आधुनिक भाषाएँ अस्तित्व में आईं। भाषाएँ कभी जड़ नहीं होतीं। वे लगातार विकासशील होती है। जिस भाषा में विकासशीलता का गुण नष्ट हो जाता है, जड़ता आ जाती है वह शनैः शनैःअस्तित्व खोने लगती है। भाषा की आवश्यकता के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है कि उस की मनुष्य को कितनी और क्यों आवश्यकता थी और है? जो भाषा मनुष्य की वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करती रहेगी, और भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिएविकसित होती रहेगी। उसे अधिकाधिक लोग अपनाते रहेंगे। किसी भी भाषा की उन्नति इस बात पर निर्भर करती है कि वह मनुष्य समाज की कितनी आवश्यकता की पूर्ति करती है। यदि कोई ऐसी भाषा विकसित हो सके जो पूरी मनुष्य जाति की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर दे और नई उत्पन्न हो रही आवश्यकताओं की पूर्ति करती रहे तो लगातार विकसित होती रहेगी और उस का अस्तित्व बना रहेगा। इस तरह हम कह सकते हैं कि भाषा मनुष्य द्वारा आविष्कृत वह उपकरण है जिस की उसे संप्रेषण के लिए आवश्यकता थी। इस उपकरण का मनुष्य की नवीनतम आवश्यकताओं के लिए विकसित होते रहना आवश्यक है।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है। वह हमारे लिए सर्वाधिक संप्रेषणीय है और संज्ञेय भी। हम अधिकांशतः उसी का उपयोग करते हैं। हमारी आवश्यकता की पूर्ति उस से न होने पर हम अन्य भाषाओं को सीखने की ओर आगे बढ़ते हैं। यदि हिन्दी हमारी तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगे तो क्यों कर हम अन्य भाषाओं को सीखने की जहमत क्यों उठाएँगे। लेकिन हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरी दूसरी भाषाओं को सीखना पड़ता है। जिस का सीधा सीधा अर्थ है कि हिन्दी को अभी मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विकसित होना है। यदि किसी दिन हिन्दी इतनी विकसित हो जाए कि वह मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगे तो अधिकाधिक लोग हिन्दी सीखने लगेंगे और एक दिन वह हो सकता है जब कि वह मनुष्य जाति द्वारा सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली भाषा बन जाए।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है। वह हमारे लिए सर्वाधिक संप्रेषणीय है और संज्ञेय भी। हम अधिकांशतः उसी का उपयोग करते हैं। हमारी आवश्यकता की पूर्ति उस से न होने पर हम अन्य भाषाओं को सीखने की ओर आगे बढ़ते हैं। यदि हिन्दी हमारी तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगे तो क्यों कर हम अन्य भाषाओं को सीखने की जहमत क्यों उठाएँगे। लेकिन हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरी दूसरी भाषाओं को सीखना पड़ता है। जिस का सीधा सीधा अर्थ है कि हिन्दी को अभी मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विकसित होना है। यदि किसी दिन हिन्दी इतनी विकसित हो जाए कि वह मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगे तो अधिकाधिक लोग हिन्दी सीखने लगेंगे और एक दिन वह हो सकता है जब कि वह मनुष्य जाति द्वारा सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली भाषा बन जाए।
हम मन से चाहते हैं कि हिन्दी एक विश्व भाषा हो जाए। सारी दुनिया हिन्दी बोलने लगे। उस का दुनिया में एक छत्र साम्राज्य हो। दूसरी भाषाएँ संग्रहालय की वस्तु बन कर रह जाएँ। लेकिन ऐसा तभी हो सकता है कि हम हिन्दी को इस योग्य बनाएँ। दुनिया में जितना भी ज्ञान है वह हिन्दी में संग्रहीत हो। हम अपना नवअर्जित ज्ञान हिन्दी में सहेजना आरंभ करें। हिन्दी का भविष्य इस पर निर्भर है कि हम हिन्दी वाले नए ज्ञान को अर्जित करने मे कितना आगे बढ़ पाते हैं? अभी तो हालात यह हैं कि जो भी नया ज्ञान हम हिन्दी वाले अर्जित करते हैं उसे सब से पहले अंग्रेजी में अभिव्यक्त करते हैं। हम अंग्रेजी में सोचते हैं और फिर हिन्दी में अनुवाद करते हैं। कुछ लोग हिन्दी को भी उस दिशा में डाल रहे हैं कि एक हिन्दी भाषी को भी उसे समझने के लिए पहले अंग्रेजी में समझना पड़े।
देवनागरी इन्स्क्रिप्ट कुंजीपट
आज हम हिन्दी दिवस मना रहे हैं क्यों कि 14 सितम्बर को इसे भारत की राजभाषा घोषित किया गया। लेकिन वस्तुतः यह हिन्दी दिवस नहीं है अपितु हमारा राजभाषा दिवस है। हम हमेशा रोना रोते हैं कि सरकार इस के लिए कुछ नहीं करती, या करती है तो बहुत कम करती है और दिखावे भर के लिए करती है। लेकिन हम खुद उस के लिए क्या कर रहे हैं। सरकार ने कंप्यूटर पर देवनागरी और तमाम भारतीय भाषाएं लिखने के लिए इन्स्क्रिप्ट कुंजीपट विकसित करने के काम को कराया, उस के लिए टंकण शिक्षक बनवाया जिस से केवल एक सप्ताह में ही हिन्दी टाइपिंग सीखी जा सकती है। लेकिन हम हिन्दी वाले जो कंप्यूटर पर काम करते हैं वे ही नहीं सीख पा रहे हैं। उस के लिए हम हजारों लाखों हिन्दी शब्दों की रोमन वर्तनी सीखने को तैयार हैं लेकिन एक सप्ताह उंगलियों को कसरत कराने को तैयार नहीं हैं।
आसान हिन्दी कम्प्यूटर-टंकण शिक्षक
यदि हिन्दी को विश्वभाषा बनना है तो वह हिन्दी की अंदरूनी ताकत से बनेगी। उस की अंदरूनी ताकत हम हिन्दी वाले हैं। हम कितना ज्ञान हिन्दी में सहेज पाते हैं? हम कितना नया ज्ञान हिन्दी में, सिर्फ और सिर्फ हिन्दी में अभिव्यक्त करते हैं। इसी पर हिन्दी का विकास निर्भर करेगा। इस बात को हिन्दी के शुभेच्छु जितना शीघ्र हृदयंगम कर लें और अपने पथ पर चलने लगें उतना ही इस का विकास तीव्र हो सकेगा। फिलहाल तो मेरा एक निवेदन है कि हम जो कंप्यूटर और इंटरनेट पर हिन्दी का काम कर रहे हैं, कम से कम अपना इनस्क्रिप्ट कुंजीपट का प्रयोग सीख लें। यह सीखने पर ही पता लग सकता है कि यह कितना आसान है और कितना उपयोगी और कितनी ही परेशानियों से एक बार में छुटकारा दिला देता है। इस से हिन्दी में काम करने की गति और शुद्धता बढ़ेगी और हम हिन्दी का अधिकाधिक काम कर सकेंगे। मैं आशा कर सकता हूँ कि अगले साल जब हम राजभाषा दिवस मनाएँ तो इन्स्क्रिप्ट कुंजीपट से टंकण कर रहे हों।
19 टिप्पणियां:
बढ़िया सलाह दी है आपने हिंदी के प्रसार के लिए सर्वप्रथम हम हिंदी भाषियों को ही प्रयास करने होंगे | जल्द ही इन्स्क्रिप्ट कुंजीपट का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे |
मन से किये आह्वान .संकल्प पूरे होते हैं -हिन्दी को लेकर आपका मनसा वाचा कर्मणा समर्पण अनुकरणीय है -हाँ भाषाएँ आक्रान्ताओं द्बारा विनष्ट भी की जाती रही हैं ! संस्कृत भी इस प्रवृत्ति की शिकार हो सकती है -कोई शोध तो करे ! और अब हिन्दी पर संकट है !
हिंदी दिवस पर आपकी सलाह को अपनाकर हिंदी का मान बढ़ाने वालों को अग्रिम बधाई ..!!
आपकी इस पोस्ट से आशा है कि अगले साल कम्प्यूटर पर हिंदी में लिखने वालों की संख्या बढ़ेगी। फिर चाहे वह इनस्क्रिप्ट में लिखें या फोनेटिक में
बी एस पाबला
द्विवेदी जी सबको हिंदी दिवस की शुभकामनाएं!!
पहले यह देखना चाहिए की ब्लॉग के आने बाद हिंदी के पाठकों और लेखकों में कितनी बढोत्तरी हुयी है.
दूसरी बात अलग अलग फोन्ट के चक्कर में न फंसकर हिंदी के पाठकों और लेखकों के लिए इनस्क्रिप्ट/उनिनागरी जैसे उपयोग में आसान सुविधाओं के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा बताना चाहिए. हिंदी की राह आसान हो जायेगी.
मैं इन्स्क्रिप्ट कुंजीपट का ही इस्तेमाल करती हूं .. अभ्यास के बाद अब इसी में मेरा हाथ बैठ गया है .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका प्रयास बहुत ही सराहनीय है. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
रामराम.
मैं तो रोमन कीबोर्ड ही इस्तेमाल करता हूँ. पर इसकी कोशिश भी करता हूँ एक बार.
" हम अंग्रेजी में सोचते हैं और फिर हिन्दी में अनुवाद करते हैं....."
हम तो हिंदी में सोचकर ही हिंदी में लिखते हैं जी:)
आप के लेख ने मेरे मै ओर शक्ति भर दी, आत्मसम्मन भर दिया, मै हमेशा हिन्दी मै ही बोलता हुं अपने लोगो से, चाहे मै हबाई जहाज मै होऊ या हवाई अड्डॆ पर कभी हीन भावना नही आने दी, बच्चो को हमेशा सिखाया जब कोई भारतीया दिखे सिर्फ़ हिन्दी मै बोलो, ओर हम सब शान से हिन्दी बोलते है, अग्रेजी का जबाब भी हिन्दी मै, क्योकि हम कही भी रहे, हमारी पहचान "हमारा देश हमारी मात्रा भाषा" है, ओर दुसरे हमारी तभी इज्जत करते है जब हम उन्हे शान से कहते है हम भारतिया है, हमारी भाषा हिन्दी है.
धन्यवाद
हिंदी दिवस पर इससे बढिया ..और कुछ पढने -सीखने को मिल ही नहीं सकता था...बहुत काम के हैं ये हिंदी औजार...
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं। आपने हिन्दी दिवस के अवसर पर लाजवाब जानकारी दी, आभार।
ये टंकण औजार पहली बार देख रही हूँ
हिन्दी हर भारतीय का गौरव है
उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास जारी रहें
बहुत अच्छी सलाह है । आपका आदेश शिरोधार्य करेंगे । ये है हिन्दी के प्रति सच्चे प्रेम का उदाहरण बहुत बहुत बधाई
बेशक़ वही भाषा बचेगी जो समय के साथ चलेगी।
हिन्दी यह काम बख़ूबी कर रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि न सिर्फ़ हिन्दी दीर्घजीवी होगी अपितु संस्कृत और उर्दू को भी अपने साथ जीवित बनाये रखेगी।
शुभकामनायें
संगणक में अंग्रेजी टंकण मैं वर्षों से कर रहा हूँ. इसलिये जब भी जरूरत पड़ी, हिंदी के लिए या तो मैंने phonetic Shusha फ़ॉन्ट का प्रयोग किया फिर किसी लिप्यांतरण औजार (transliteration tool) का सहारा लिया ताकि हिंदी के लेआउट को याद न करना पड़े. पर अब मैं हिंदी में ज्यादा काम कर रहा हूँ, इसलिये सोचा कि क्यों न खास हिंदी के लिए बने उपलब्ध लेआउटों पर करीबी नज़र डाली जाए.
मुझे इंसक्रिप्ट का लेआउट पसंद तो आया पर कुंजीपटल पर कुछ punctuation marks की नामौजूदगी से हैरान हूँ. हिंदी में भी हमें question mark, slash, exclamation mark, single quotes, double quotes का अक्सर प्रयोग करना पड़ता है. Transliteration tool (http://bhashaindia.com/SiteCollectionDocuments/Downloads/IME/Indic2/HindiIndicInput2_32-bit.zip) से तो समस्या नहीं आती थी. पर इंस्क्रिप्ट के default लेआउट में इन punctuation marks के लिये Alt codes का सहारा लेना पड़ता है. क्या इन punctuation marks के लिये कोई faster तरीका है?
अपने पिछले पोस्ट पर उठाए सवाल का जवाब मुझे मिल गया है. किसी और नौसिखिये को खोजना न पड़े इस उम्मीद में बता दे रहा हूँ.
सबसे पहले तो ध्यान रखें कि कुंजीपटल add करते समय “Devanagari – Inscript” न चुनें. इस लेआउट में English punctuation marks डालने के लिये आपको अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ेगी जिससे बचना आसान है.
आपको बल्कि add करना है “Hindi Traditional”. इस लेआउट में अंग्रेजी के सारे punctuation marks दाहिने Alt कुंजी (बायाँ नहीं) के साथ उपलब्ध हैं. दाहिने Alt कुंजी के साथ Shift भी प्रयोग करके आप अंग्रेजी के सभी punctuation marks जैसे कि slash, question mark, semi colon, colon, single/double quotes, exclamation mark, back slash आदि इस्तेमाल कर सकते हैं.
भाई,
आप का प्रश्न मैं पहले देख नहीं सका था।
मैं आरंभ से हि्न्दी ट्रेडीशनल की बोर्ड ही उपयोग कर रहा हूँ। आप ने स्वयं ही यह मार्ग खोज निकाला। कहते हैं। तलाश करने पर मार्ग मिल ही जाता है।
इन्स्क्रिप्ट से बढ़िया कुछ नहीं। जब हमने सोचा था कि हमें हिन्दी मे लम्बी पारी खेलनी है तभी निश्चय कर लिया था कि इन्स्क्रिप्ट सीखनी ही है।
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