राजस्थान की कुछ स्वायत्त संस्थाओं के लिए मतदान कल संपन्न हो गए। 26 नवम्बर को मतगणना होगी और पता लग जाएगा कि मतदाताओं ने क्या लिखा है। इस चुनाव में मतदाताओं के पास विकल्प नहीं थे। वही काँग्रेस और भाजपा द्वारा मनोनीत और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार। कोटा नगर निगम के लिए भी मतदान हुआ। लोगों का नगर की गंदगी, सड़कों, रोडलाइट्स, निर्माण आदि से रोज का लेना देना है। उन की वार्ड पार्षद से इतनी सी आकांक्षा रहती है कि मुहल्लों की सफाई नियमित होती रहे, रोड लाइट्स जलती रहें, सड़कें सपाट रहें, अतिक्रमण न हों। लेकिन उन की ये आकांक्षाएँ कभी पूरी नहीं होतीं। हो जाएँ तो अगले चुनाव में उम्मीदवारों के पास कहने को क्या शेष रहे?
पिछली तीन टर्म से कोटा नगर निगम में भाजपा का बोर्ड रहा। नगर की सफाई, रोशनी, अतिक्रमण आदि की स्थिति वैसी ही नहीं है जैसे आज से पन्द्रह वर्ष पहले थी। हर टर्म में बद से बदतर होती गई है। अधिकांश पार्षदों ने अपने रिश्तेदारों के नाम ठेके ले कर अपने बैंक बैलेंस बढ़ाए हैं। उन्हें सफाई के लिए मिलने वाले रोज मजदूरी के मजदूरों की फर्जी हाजरी भर कर ठेकेदार से कमीशन खाने के कीर्तिमान बनाए हैं। नगर वैसे का वैसा है।
मेरे घर के सामने एक पार्क है। इस की व्यवस्था नगर निगम के पास है। जब भी इस की सफाई और घास कटाई की आवश्यकता होती है पार्षद के पास जाना होता है। वह कभी मजदूर लगा देता है कभी हटा देता है। जब वह नहीं सुनता है तो निगम के अफसरों और विधायक को कहना पड़ता है। उस का असर होता है तत्काल कोई न कोई व्यवस्था हो जाती है। लेकिन चार दिन बाद वही अंधेरी रात।
निगम चुनाव के बीस दिन पहले बिना कुछ कहे मजदूर आए साथ आया पुराना पार्षद। पार्क की घास की छंटाई और सफाई कर दी। घास को पानी दिया। रोज सार संभाल होने लगी। नालियाँ सड़कें भी साफ हुई। कचरा भी समय से उठने लगा। लोग प्रसन्न हुए कि चुनाव के बहाने कुछ तो हुआ। कुछ लोगों ने इस अवसर का व्यक्तिगत लाभ भी उठाया। अपने घरों के बागीचों को भी साफ कराया। कुछ ने अपने गमलों में मिट्टी भरवा कर नए पौधे लगवा लिए।
आज मतदान के बाद का पहला दिन है। पार्क से काम करने वाला माली गायब है। आज सड़क बुहारने वाले भी नहीं आए हैं। कचरा परसों उठा था, आज उठने का नंबर था लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है, जानते हैं आएगा भी नहीं। आएगा तो तब जब कचरा सड़क रुद्ध करने लगेगा और कोई शिकायत करेगा। मैं सोचता हूँ कि कहीं पार्षद मिल जाए तो उसे कहूँगा। पर उस से भी क्या लाभ मुझे पता है उस का जवाब होगा कि अब तो 26 तारीख के बाद नए पार्षद से बात करना।