मैं उनसे किसी काम से मिलने पहुंचा। तब वे बैठे हुए किसी की जन्मकुंडली देख रहे थे। मैंने कहा, अरे आप तो कुंडली भी देखते हैं। तो कहने लगे, हां देखता हूं। मुझे उनकी एक अतिरिक्त योग्यता का पता लगा।
मैंने कहा, फिर तो मेरी भी देख दीजिए। एक कागज दीजिए, मैं बना देता हूँ। वे तो बोले उसकी जरूरत नहीं, आप हाथ ही दिखा दीजिए। मुझे उनकी दूसरी अतिरिक्त योग्यता का पता लगा।
मैंने उनकी तरफ दाहिना हाथ बढ़ा दिया। उन्होंने मेरा हाथ तीन चार जगह दबाकर देखा और फिर मुझे कहा, बायां हाथ भी दिखाइए। मैं ने अपना बायां हाथ भी आगे बढ़ा दिया। उन्होंने उसे भी गौर करके देखा फिर बोले, आप तो खुद मुझसे बड़े ज्योतिषी हैं। आपके सामने मेरी विद्या काम नहीं आएगी। मुझे उनकी तीसरी अतिरिक्त योग्यता का पता लगा।
... दिनेशराय द्विवेदी
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