@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: पहेली!

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

पहेली!

ल मैं ने एक चित्र आप को यहाँ दिखाया था और पूछा था आप बताएंगे यह क्या है?
जवाब समीर लाल जी ने देना आरंभ किया बेर है, फिर किसी ने उसे देख सेब की याद आई किसी ने उसे आड़ू और गूलर भी बताया। पर बिलकुल सही उत्तर दिया अभय तिवारी जी ने। वे कहते हैं ....
ये बरगद का फल/ फूल है। बरगद फ़िकस या फ़िग परिवार का पेड़ है जिसमें फूल ही फल होता है। इस परिवार के दूसरे पेड़ हैं - पीपल, पाकड़ और गूलर। गूलर के बारे में कहावत है - तू त गुलेरवा के फूल हो गयल! क्योंकि गूलर का फूल कभी दिखता ही नहीं.. असल में दिखता खूब है लेकिन उसे फूल नहीं फल मानते हैं लोग।
ऐसे ही यह फल है दिखता फल है लेकिन असल में है फूल।
मेरी आँख कहती है कि ये वही बरगद का फूल है।
ही में यह बरगद का फूल ही था। कल दोपहर बाद जैसे ही हम कॉफी पी कर उठे तो देखा सामने वाले बरगद पर सुर्ख फूल दमक रहे हैं। मैं ने तुरंत तीन चित्र ले डाले। अब आप ही देखें कितने सुंदर लग रहे हैं ये लाल फूल बरगद के पत्तों के हरे रंग के पार्श्व के साथ।



14 टिप्‍पणियां:

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यह भी खूब रही.,
आपको सपरिवार होली शुभ हो.

M VERMA ने कहा…

बरगद छाँव के लिये मशहूर है, उसके फूलों को तो आपने ही दिखाया

M VERMA ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
अमिताभ मीत ने कहा…

मैं ने नहीं देखे थे बरगद के फूल.

आप को और आप के परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

wah Abhay ji ko badhai.. is baat ki bhi ki paheli meri nazar me nahin padee.. :)
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

निर्मला कपिला ने कहा…

अभय जी को बधाई । सब को होली की हार्दिक शुभकामनायें

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

nice ! Happy holi....

sanjay vyas ने कहा…

कल एक अंदाज़ा ऐसा ही कुछ मैंने भी लगाया था.इसे हम बड़ बोट या बड़ बोर कहते थे.

होली की शुभकामनाएं.

पंकज ने कहा…

बरगद जब फूलता है तो सुंदर दिखता है और जब वह फूटता है तो अनगिनित वरगदों को बीजता है. इस फल फूल के माध्यम से तो उपनिषद लेखकों ने बृहमांड का रहस्य बताया. आदर.

राज भाटिय़ा ने कहा…

विजेतओ को ओर आप को बहुत बधाई, बचपन मे देखे थे बरगद के पेड ओर फ़ुल.
धन्यवाद

आप ओर आप के परिवार को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

बरगद के ये फल खाए भी जा सकते हैं पर ये छोटे-छोटे बीजों से भरे होते हैं

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

लो जी हमको नही जिताया आपने? हमने भी बड के बडबंटे ही बताये थे. हमारी देशी भाषा मे बरगद को बड ही बोलते हैं...और यहां हमारे घर के पास एक सैकडों साल पुराना बड (बरगद) का पेड है...यह उसपर लदे ही रहते हैं.

होली की आपको घणी रामराम.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अरे ताऊ! आप भी कहाँ फेर में पड़ गए जीतने के। वैसे जीतना तो आप को ही था। पर आप का जवाब आया तब तक यह पोस्ट लिख कर शिड्यूल हो चुकी थी। हम भी भांग के तरंग में जा सोए। जब तक आप का उत्तर पढ़ते पोस्ट ही पब्लिश हो गई।
पर मुझे लगता है हम आसपास की चीजों को ही भूलते जा रहे हैं।

शरद कोकास ने कहा…

वाह बरगद के फूल का चित्र भी कितना सुन्दर है । बधाई ।