@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: बाज़ार पर निगरानी न रखी जाए तो वह बेकाबू हो सकता है

बुधवार, 21 जनवरी 2009

बाज़ार पर निगरानी न रखी जाए तो वह बेकाबू हो सकता है

"पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के बारे में बहस का यह न तो समय है, न ही गुंजाइश. लेकिन मौजूदा संकट से हमने सीखा है कि अगर बाज़ार पर निगरानी न रखी जाए तो वह बेकाबू हो सकता है."  .....



यह दुनिया के सब से ताकतवर देश के नए राष्ट्रपति के पहले भाषण का मुख्य अंश है।  यह कह रहा है कि पूंजी
मनुष्य को नियंत्रित नहीं कर सकती, उस का नियंत्रण मनुष्य के हाथों में होना चाहिए।   पूंजी का अपना चरित्र है।  वह अपने भले के लिए काम करती है और इस के लिए वह मनुष्यों की, उन के जीवन की परवाह नहीं करती।  पूंजी को मनुष्यों के जीवन के अनुकूल नियंत्रित करना होगा।

शायद यही इस सदी का सब से बड़ा सच है।  अमरीकी जनता ने पूंजी के मनुष्य पर प्रभुत्व को पराजित कर दिया है।  बराक ओबामा की जीत पूंजी के प्रभुत्व पर मनुष्य की जीत है।  यह दूसरी बात है कि कोई भी सत्ताधारी हार कर भी नहीं हारता।  वह बाजी को पलटने का प्रयत्न करता है।  फिर से अपनी पुरानी सत्ता की स्थापना के प्रयत्नों में जुट जाता है।  यही बराक ओबामा के समक्ष सब से बड़ी चुनौती है कि पूंजी के फिर से प्रभुत्व प्राप्त करने की कोशिशों को वे नाकाम कर दें। मनुष्य के पूंजी पर प्रभुत्व को कायम ही नहीं रखें, उसे और मजबूत बनाएँ।

वे आगे घोषणाएँ करते हैं...
"हम रोज़गार के नए अवसर पैदा करेंगे, सड़कें बनाएँगे, पुल बनाएँगे, फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाएँगे, सौर और पवन ऊर्जा की मदद से देश को आगे बढ़ाएँगे, अपने कॉलेज और यूनिवर्सिटियों को बेहतर बनाएँगे, हम ये सब कर सकते हैं और हम करेंगे."


"अमरीका ईसाइयों, मुसलमानों, यहूदियों, हिंदुओं और नास्तिकों का भी देश है, इसे सबने मिलकर बनाया है, इसमें सबका योगदान है, अमरीका की नीतियों को हम हठधर्मी विचारों का गुलाम नहीं बनने देंगे।"

"पूरी दुनिया की शानदार राजधानियों से लेकर ग़रीब दुनिया के छोटे शहरों तक, वहाँ भी जहाँ से मेरे पिता आए थे, अमरीका हर उस देश का दोस्त है जो शांति चाहता है."


"हम ग़रीब देशों से कहना चाहते हैं कि हम उनके साथ हैं, हम उनकी तकलीफ़ के प्रति उदासीन नहीं हैं, हम चाहते हैं कि दुनिया के हर सुदूर कोने में लोगों तक खाना और पानी पहुँच सके." 

"अमरीका दुनिया का महान लोकतंत्र है, आज पूरी दुनिया की नज़र हम पर है, अमरीका आज जो है वह अपने नेताओं की बुद्धिमत्ता की वजह से ही नहीं, बल्कि अमरीका की जनता की वजह से है."

अमरीका के 44वें राष्ट्रपति  की इन घोषणाओं की दिशा में यदि अमरीका चल पड़ा तो तो न केवल अमंरीका बदलेगा, सारी दुनिया बदलेगी।  बस अमरीका की तासीर उसे इस दिशा में चलने तो दे।

12 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

देखें - आगे क्या होता है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हर नया ताऊ गद्दीनशीं होते समय यही सब कुछ कहता है. पर हकीकत ये है कि जो लंका की गद्दी पर बैठता है वो ही रावण बन जाता है.

जिमी कार्टर जब राष्ट्रपति बने थे तब भी उनके बारे और खासकर भारत के साथ रिश्तों के बारे मे बहुत कुछ कहा गया था, पर आखिर वो ही सब हुआ जो होता आरहा है.

वैसे चलिये कोई बात नही कुछ दिन की खुशफ़हमी तो रही. शेयर बाजार को उनके शपथ लेने से बडी उमीद्दे थी पर उधर शपथ और इधर पटिये उल्लाल.
:)

रामराम.

P.N. Subramanian ने कहा…

कुछ कहना अभी जल्दबाज़ी होगी.

Vinay ने कहा…

jo hoga bhala hoga aisee soc duniya badal sakti hai, america ne kar dikhaya ab hamaari baare hai

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

बेनामी ने कहा…

हमारी शुभकामनाएं इन सपनों के लिए जो हम सभी की आंखों में पलते रहे हैं
उम्मीद करते हैं क ओबामा एक नई मिसाल पेश करेंगे
हमें लगता है कि अगर इंसान ख़ुद के प्रति इमानदार है तो सबकुछ हो सकता है आने वाले साल बताएँगे कि ओबामा कितने इमानदार रहे

डा. अमर कुमार ने कहा…


एक बेहतरीन गुरु ज्ञानदत्तीय पोस्ट
पढ़वाने का आभार !:)

बेनामी ने कहा…

उम्मीद है ओबामा अमेरिका के पिछले राष्ट्रपतियों की गलतियों से सबक लेंगे व अपनी शिक्षा व तजुर्बे को सही दिशा में लगायेंगे। अब अमेरिका अलग थलग रहकर ख़ुद को सुपर पॉवर कहलवाना सोच भी नही सकता, सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं इतनी अधिक आपस में गूँथ गई हैं। अमेरिका को भारत की जरूरत है एशिया में चीन के वर्चास्व को संतुलित करने के लिए।

विष्णु बैरागी ने कहा…

आशा से आकाश थमा है।
उम्‍मीद पे दुनिया जिन्‍दा है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

हमे क्या, वेसे उसे पहले अपने देश का फ़िक्र होगा, फ़िर उन देशॊ का जो उस के करीब है, अब हम किस करीब मै है ?? कटॊरा ले कर यह सभी जानते है इस लिये हमे खुश होने की कोई वजह भी नही, यहां युरोप मै तो किसी को कोई फ़र्क नही पडा, कोन आये कोन जाये हमारी जुती से यह साफ़ कहते है.
धन्यवाद

Smart Indian ने कहा…

ओबामा का वक्तव्य का एक एक शब्द इस महान लोकतंत्र के राष्ट्राध्यक्ष की गरिमा और उसके सामने पडी समस्याओं के हिसाब से बिल्कुल उपायुक्त है.

Abhishek Ojha ने कहा…

वक्त ही बतायेगा !

Sachin Jain ने कहा…

पश्चिम के व्यवसायीकरण दुनिया पर छाया है रे,
कोशिश से तू अपनी, पार अगर ले पाया रे,
दुनिया तुझको पूजेगी और बन जाएगा तू राजा रे,
आया रे लोगो....ओबामा आया रे.....

बरसों के कर्म तुम्हारे आसान नहीं है भुलाने रे,
राजा बनकर तुम लोगो ने दुनिया को रुलाया रे,
पूर्व से अब सूर्य उगेगा और राजा ना अब कोई रहेगा...
आया रे लोगो....ओबामा आया रे.....

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