@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: जब्भी चाहो मनाऔ नयो साल, मना मती करो ....(1)

सोमवार, 31 दिसंबर 2007

जब्भी चाहो मनाऔ नयो साल, मना मती करो ....(1)

आज साल का आखिरी दिन है, कुछ ही घंटों के बाद नया साल २००८ ईस्वी शुरू हो जाएगा। बहुत से लोग हैं जो इस दिन को नए साल के आगमन के रूप में नहीं मनाना चाहते हैं। कोई जबरदस्ती थोड़े ही है, मत मनाइये। पर जो लोग इसे इस रुप में मनाना चाहते हैं, उन के आनन्द में खलल तो मत डालिए। कुछ लोगों ने इसे इसलिए मनाने से मना किया कि यह देशी यानी भारतीय परम्परा नहीं है। पर देशी परम्परा क्या है? हमे कौन बतायेगा?

चलो जितना हमें याद है उतना हम ही बताए देते हैं। जिस से जो लोग इस रात नये साल का लेने से वंचित हो जाऐं, वे आगे वंचित नहीं हों।

जनवरी माह में १४ तारीख को मकर संक्रांति होती है, दक्षिण भारतीय इसे ‘पोंगल’ के नाम से मनाते हैं। मगर यह वर्ष २००८ लीप इयर होने के कारण इस वर्ष मकर की संक्रांति १५ जनवरी को आ रही। यदि २००७ का साल लीप इयर हो जाता, तो पिछले साल २००७ में भी और २००८ में भी मकर संक्रांति १४ जनवरी को ही होती। भारत और भारतीय संस्कृति से प्रभावित अनेक देशों में इस दिन से नए वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है। आप चाहें तो इस दिन नववर्ष मना सकते हैं। आप को इस दिन में कोई आपत्ति हो तो आप आगे चलिए।

अब आ गया है मार्च का महीना। २२ मार्च को पूरी दुनियां में दिन-रात बराबर होते हैं। यहीं से उत्तरी गोलार्ध में दिन रात से बड़े होना शुरू होते हैं, आप उत्तरी गोलार्ध के निवासी हैं तो इस दिन को साल के पहले बड़े दिन के रूप में मना सकते हैं। इस समय वसन्त ऋतु होती है। भारत सरकार के (केलेण्डर माफ कीजिए कुछ लोगों को इस पर आपत्ति हो सकती है इसलिए) तिथिपत्र में यहीं से साल शुरू होता है और पहला महीना चैत्र होता है। आप चाहें तो इस दिन नया साल मना सकते हैं। हालांकि ऐसा लगता है कि खुद भारत सरकार भी इस दिन नया साल मनाना भूल चुकी है।

इस के बाद आ जाती है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा। यह दिन मैं कभी नहीं भूलता। मेरे दादा जी जो एक बड़े मन्दिर के पुजारी थे, इस दिन से लगातार पन्द्रह दिनों तक रोज सुबह मंगला आरती के समय नीम की कोंपलों को काली मिर्च के साथ पीस कर बनाई गयी गोलियों का मिश्री के साथ ठाकुर जी को भोग लगाया करते थे। बाद में गोलियों के खत्म होने तक ठाकुर जी के दर्शनार्थियों को ये गोलियाँ प्रसाद के रूप में निगलनी पड़ती थीं। बाद में मुखस्वाद बदलने के लिए मिश्री भी उपलब्ध रहती थी। मुझे तो पूरे पखवाड़े यह गोलियाँ खानी ही पड़ती थीं, आखिर ठाकुर जी को भी तो मिश्री के पहले वही खानी पड़ती थीं, तो पुजारी के पोते को तो वह खाना लाजमी था। दादाजी जिन्हें हम दाज्जी पुकारते थे कहते थे कि पन्द्रह दिनों तक निरणे ही, अर्थात् सो कर उठने के बाद बिना कुछ खाए-पिए ही, कंचे जितनी बड़ी दो गोलियां रोज खाने से व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ रहता है। यह दिन हिन्दु नववर्ष के रूप में मनाया जाने लगा है। विश्व हिन्दु परिषद्, रा.स्व.से.संघ और उस के सभी उपांग संगठन इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाते हैं, और औरों को भी मनाने को कहते हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं। मुझे पूरे नवरात्र नौ दिनों तक एक समय आहारी रहना अच्छा लगता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उत्तम है। दोनों नवरात्र मौसम के बदलने के समय आते हैं। और एक समय निराहार रहने से पेट को तनिक आराम मिलता है, और वह मौसम का शिकार होने से बच जाता है। आप चाहें तो इस दिन नया साल मना लें। सिन्धी इसी दिन, या अगले दिन, जब भी चान्द दिखे नववर्ष मनाते हैं और तेलगू नववर्ष भी इसी दिन मनाया जाता है।

मैं भी यह दिन मनाता हूँ, लेकिन नववर्ष के रूप में इसे मनाना मुझे अच्छा नहीं लगता। एक कारण तो यह कि पूरे दिन निराहार रहने पर भोजन शाम को मिलता है, दूसरे सुबह-सुबह खायी गोलियों से हुआ कड़वा मुहँ दिन भर वैसा ही बना रहता है। खाने पीने का मजा ही चला जाए, तो काहे का नववर्ष। दूसरा कारण जरा वैज्ञानिक है। वर्ष का मतलब है, पृथ्वी जितने समय में सूरज का एक चक्कर पूरा कर ले, यानी ३६५ दिन ६ घंटे। अब कभी तो यह नया साल ३५५ दिनों में यानी साल के पूरे होने में दस दिन पहले ही आ जाता है और तीन साल में एक बार ३८५ दिनों बाद टपकता है कि इन्तजार कर के ही बोर हो जाऐं।

(आप भी इस आलेख को खत्म होने के इन्तजार में बोर हो गए होंगे। इसलिए विराम देता हूँ। शेष कुछ घंटों के बाद नए साल में..............)

3 टिप्‍पणियां:

इरफ़ान ने कहा…

नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com

Sanjeet Tripathi ने कहा…

शुक्रिया इस बढ़िया जानकारी के लिए।

नए साल की शुभकामनाएं आपको भी।
इस साल ये मकर संक्रांति 15 को पड़ने के लोचे के कारण हम सोच में डूबें है कि अपना जन्मदिन तारीख से मनाएं या तिथि अर्थात मकर संक्रांति के आधार पर!! ;)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

नए साल की शुभकामनाएं आपको भी।