@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: जर्मनी एक अजेय टीम की तरह खेला, माराडोना का निर्वस्त्र प्रदर्शन का सपना चकनाचूर

शनिवार, 3 जुलाई 2010

जर्मनी एक अजेय टीम की तरह खेला, माराडोना का निर्वस्त्र प्रदर्शन का सपना चकनाचूर

जर्मनी की ओर से दो गोल बनाने वाले मिरोस्लाव कोसे
विश्वकप फुटबॉल के तीसरे क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जर्मनी एक अजेय टीम की तरह खेला और अर्जेंटीना पर 4-0 से विजय हासिल की। खेल के आरंभ से ही जर्मन टीम ने आक्रामक रुख अपनाया और तीसरे मिनट में ही पहला गोल दाग दिया। एक गोल से पीछे हो कर भी माराडोना के अर्जेंटीनी खिलाड़ी ऐसे खेलते रहे जैसे मैदान के बाहर से माराडोना कोई जादू करेंगे और वे गोल करने लगेंगे और मैच जीत लिया जाएगा। पूरे मैच के दौरान कभी लगा ही नहीं कि अर्जेंटीनी टीम का एक भी खिलाड़ी जीतना चाहता है। ऐसा लगता था जैसे उन के पैरों में पत्थर बंधे हों और दिमागों पर काई छा चुकी हो। 
माराडोना
ब-जब भी गेंद अर्जेंटीनी खिलाड़ियों के कब्जे में आई तब-तब वे या तो अपने पाले में कब्जा बनाए रखने की कोशिश करते रहे या फिर जल्दी ही गेंद उन से छीन ली गई। जब भी एक खिलाड़ी को गेंद मिलती वह सोचने लगता कि उसे क्या करना है? इस के लिए वह पहले मैदान का निरीक्षण करता और फिर गेंद को आगे बढ़ाने का कदम उठाता इस बीच जर्मन खिलाड़ी उसे घेर चुके होते। जर्मन खिलाड़ी हमेशा गेंद के नजदीक नजर आए। वे पूरी तरह चाक चौबंद थे। किसी भी जर्मन खिलाड़ी के पास गेंद आने से पहले उसे पता होता था कि उसे आगे क्या कदम उठाना है। यदि कोई अर्जेंटीनी खिलाड़ी गेंद को ले कर आगे बढ़ता भी और गेंद उस से जरा भी दूर होती तो झट से कोई न कोई जर्मन खिलाड़ी उसे तुरंत अपने कब्जे में कर लेता। आज जर्मनों ने दिखा दिया कि फुटबॉल कैसे खेली जाती है। उन के खेल से लग रहा था जैसे उन्होंने ठान रखी है कि इस बार वे ही विश्वकप जीतेंगे। 
सेमीफाइनल में तीन टीमें प्रवेश पा चुकी हैं इन में एक उरुग्वे दक्षिणी अमेरीकी है। शेष हॉलेंड व जर्मनी दोनों युरोपियन टीमें हैं। एक क्वार्टर फाइनल और शेष है जिस में दक्षिण अमेरीकी पराग्वे और यूरोपियन स्पेन को आपस में भिड़ना है। हालांकि पराग्वे कभी स्पेन का उपनिवेश रह चुका है। इस कारण से लगता है इस मुकाबले में भावनाओं की भूमिका भी कम न होगी। पराग्वे दो बार फुटबॉल विश्व चैम्पियन रह चुका है। इस मैच को देखने वाले दर्शक मैदान में पराग्वे की उग्र समर्थक हसीना लारिसा रिक्वेल और उस के अपने खेल को समर्पण को देख सकते हैं। पराग्वे अर्जेंटीना और उरुग्वे के मध्य स्थित देश है। लगता है दक्षिण अमेरिका में निर्वस्त्र दौड़ एक फख्र की बात है। माराडोना का निर्वस्त्र दौड़ का सपना तो अपनी टीम की हार से चकनाचूर हो चुका है, लेकिन अभी पराग्वे की इस हसीना लारिसा रिक्वेल का यह सपना अभी बरकरार है। 
लारिसा रिक्वेल   

15 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

हम तो जर्मनी के दीवाने हैं पर लारिसा रिक्वेल को देखने का लालच आपने दे दिया है।

0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये

राम त्यागी ने कहा…

अर्जेंटीना से इतने बुरे खेल की उम्मीद नहीं थी, हो सकता है कि खिलाड़ियों को माराडोना के नंगे नाचने पर शर्म आ रही हो इसलिए जानबूझ कर हार गए होंगे :-)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

मेरा तो दिल ही टूट गया ..................और क्या कहे !!

PD ने कहा…

Messi messed everything.

Rohit Singh ने कहा…

अर्जेंटिना की टीम पर सिर्फ नजर मरोडोना के कारण ही थी। वैसे मैसी उससे पहले रोनाल्डो का जादू बेअसर रहा है। क्या देश के लिए खेलते हुए पैर जम चाते हैं स्टारों के या हर वर्ल्ड कप नए सितारों को जन्म देता है।

Udan Tashtari ने कहा…

क्या कहें..खेल है!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

मैं तो माराडोना का दीवाना रहा हूं. मुझे भी दु:ख हुआ जब माराडोना की टीम हारी. पर इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जर्मनी की टीम कहीं ज़्यादा जवान टीम है जिसमें उत्साह भी भरपूर है. अब अगर ऐसे में भी जर्मनी वर्ल्ड कप न जीती तो मुझे शायद ज़्यादा दु:ख होगा.

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

कल मेरी नाइट ड्यूटी थी, लेकिन मैच की वजह से जाने में लेट हो गया। खैर, लेटलतीफ़ी वसूल हो गयी मैच देखकर।

Arvind Mishra ने कहा…

मैंने भी देखा यह मैच ...अर्जेंटीना शुरू से ही कुछ कमतर लग रहा था ...
दुहरा दुःख पहुंचा है प्रेमियों को -अनावृत सौन्दर्य का अपलक पान करने से वंचित रह जाने का भी !
(आप सुन्दरी मैराडोना की बात कर रहे हैं न ? उफ़ फ़ुटबाल में अब मैं अनाडी हूँ ! )

दीपक 'मशाल' ने कहा…

निराशा हुई अर्जेंटीना का कल का खेल देखकर

उम्मतें ने कहा…

एक तरफ़ा लगा मैच !

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

अर्जेंटीना ने मुझे भी निराश किया। लगा ही नहीं कि वे अपना स्वाभाविक खेल खेल रहे हैं।
उनके डिफेंडर भी ठीक नहीं थे और मेस्सी की अन्य फॉरवर्डों के साथ ताल मेल की कमी खली।
@ आप सुन्दरी मैराडोना की बात कर रहे हैं न ?
अब क्या कहें इस पर महराज! लारिसा रिक्वेल को सुन्दरा कहें ! :)

अजय कुमार झा ने कहा…

क्या कह रहे हैं ..जीतने के बाद लंगटे नाच होने वाला था ..राम राम राम । चलिए इससे बढिया तो यही रहा फ़िर । वैसे भी इस बार तो उलटफ़ेर ही उलट्फ़ेर चल रहा है ..सब ग्लोबल वार्मिंग का असर है .....या हो सकता है औनर किलिंग का कोई कोण छुपा हो । आजकल यही दोनों शब्द फ़ैशन में हैं ..सो ठेल दिया है ..जो सूट करे फ़िट कर लीजीएगा ।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

@ झा जी की टिप्पणी
हा हा हा ।
ग़जब !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

और हमारा उसे देखने का भी । पॉवर गेम सर चढ़कर बोल रहा है ।