हमें दो बजे तक दुर्ग बार ऐसोसिएशन पहुँचना था। मैं धीरे-धीरे तैयार हो रहा था। पाबला जी की बिटिया के कॉलेज जाने के पहले उस से बातें कीं। फिर कुछ देर बैठ कर पाबला जी के माँ-पिताजी के साथ बात की। हर जगह डेजी मेरे साथ थी। मैं ने पाबला जी को बताया कि डेजी अजीब व्यवहार कर रही है, शायद वह भाँप गई है कि मैं आज जाने वाला हूँ।
इस बीच अवनींद्र का फोन आ गया। मैं ने उसे बताया कि 5 बजे मुझे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस पकड़नी है दुर्ग से। उस से पहले दो बजे दुर्ग बार एसोसिएशन जाना है। तो वह कहने लगा कि वहाँ से वापस आकर निकलेंगे तो ट्रेन पकड़ने में परेशानी होगी। मैं ने उसे बताया कि मैं अपना सामान ले कर उधर से ही निकल लूंगा। हम नहीं मिल पाएँगे। उस ने कहा वैसे उस की कुछ मीटिंग्स हैं। यदि वह उन से फुरसत पा सका तो दुर्ग स्टेशन पहुँचेगा। कुछ देर में दुर्ग बार से शकील अहमद जी का फोन आ गया उन की भी यही हिदायत थी कि हम दो बजे के पहले ही पहुँच लें। वहाँ एक डेढ. घंटा लग सकता है, फिर लंच में भी घंटा भर लगेगा तो मैं सामान साथ ही ले लूँ। थोड़ी ही देर में संजीव तिवारी का भी फोन आ गया। मैं सवा बजे पाबला जी के घर से निकलने को तैयार था। मैं ने अपना सभी सामान चैक किया। कुल मिला कर एक सूटकेस और एक एयर बैग साथ था। मैं ने पैर छूकर स्नेहमयी माँ और पिता जी से विदा ली। मैं नहीं जानता था कि उन से दुबारा कब मिल सकूँगा? या कभी नहीं मिलूँगा। लेकिन यह जरूर था कि मैं उन्हें शायद जीवन भर विस्मृत न कर सकूँ।
मैं सामान ले कर दालान में आया तो देखा वे मुझे छोड़ने दरवाजे तक आ रहे हैं और डेजी उन के आगे है। मैं डेजी को देख रुक गया तो वह दो पैरों पर खड़ी हो गई बिलकुल मौन। मैं ने उसे कहा बेटे रहने दो। तो वापस चार पैरों पर आ गई। गुरप्रीत पहले ही बाहर वैन के पास खड़ा था। उस ने मेरा सामान वैन के पीछे रख दिया। मैं पाबला जी और वैभव हम वैन में बैठे सब से विदाई ली। डेजी चुप चाप वैन के चक्कर लगा रही थी। शायद अवसर देख रही थी कि पाबला जी का इशारा हो और वह भी वैन में बैठ जाए। पाबला जी ने उसे अंदर जाने को कहा। वह घर के अंदर हो गई और वहाँ से निहारने लगी। हमारी वैन दुर्ग की ओर चल दी। मैं ने डेजी जैसी पालतू अपने जीवन में पहली बार देखी जो दो दिन रुके मेहमान के प्रति इतना अनुराग कर बैठी थी। मैं जानता था कि कभी मैं दुबारा वहाँ आया तो वह तुरंत शिकायत करेगी कि बहुत दिनों में आ रहे हो।
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1-2. डेजी, 3. डेजी और गुरप्रीत, 4. अवनीन्द्र और ज्योति, 5. अवनीन्द्र, ज्योति और उन के दोनों पुत्र