कल जब दूध लेने गए, तो दूध निकलने में देर थी। मैं अपनी कार में बैठे इन्तजार करने लगा। पास में एक भैंस खूंटे से बंधी थी। वह खड़ी होना चाहती थी लेकिन उस के मुहँ से बंधी रस्सी इस तरह उस के सींग में फँस गई थी कि वह खड़ी होती तो जरा भी इधर उधर न खिसक सकती थी, जो उस के लिए बहुत कष्ट दायक स्थिति होती। वह लगातार प्रयास कर रही थी कि सींग में फँसी रस्सी निकल जाए। वह निकाल भी लेती लेकिन फिर से सींग में फँस जाती। आखिर वह खड़ी हुई और सिर झुकाए झुकाए रस्सी को निकालने का प्रयत्न किया। एक दो बार असफल हुई। मैं ने सोचा उस का वीडियो लिया जाए। मैं तैयार हुआ, भैंस ने कोशिश की और इस बार वह असफल नहीं हुई। उस ने सींग में से रस्सी को निकाल ही दिया। शायद वह वीडियो उतारने का ही इंतजार कर रही थी। शॉट पहली बार में ही ओ.के. हो गया।
सही कहा है ...
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात हि सिल पर होत निसान
16 टिप्पणियां:
मक्खन अपनी भैंस के बीमार होने से बड़ा परेशान था...ढक्कन से उसने पूछा...तेरी भैंस भी तो पिछले साल ऐसे ही बीमार हुई थी...ढक्कन के हां कहने पर मक्खन ने पूछा कि तूने क्या दवाई दी थी...ढक्कन ने बताया कि भैंस को ढाई सौ ग्राम अफ़ीम खिलाई थी...अगले दिन मक्खन मिला तो ढक्कन ने भैंस का हाल पूछा...मक्खन ने कहा...यार वो तो सुबह मर गई...ढक्कन...ऐसे ही मेरी भैंस भी पिछले साल मरी थी...
अक्ल बड़ी या मक्खन-ढक्कन...
जय हिंद...
भैंस को लाइमलाइट में ले आये जी आप।
:)
वाह, दूसरी ओर लहराकर निकाल ही लिया।
आखिर भैंस का अभ्यास और लगातार किया गया प्रयास सफल रहा :)
ये तो भाग्यशाली रही मगर उन कितनियों का हाल हवाल कौन पूच्छे जो जीवन भर यह रसरी न निकल पायीं .....
यह तो रीयल और रायल टाईम वीडियो है !
भैंस को भी अकल होती है ....
:-)
इंतज़ार का सही सदुपयोग किया आपने द्विवेदी जी ।
आभार भाई जी ।
अब जेट युग है. भैंस एक दिन अकल से बड़ी हो जायेगी.
लक्ष्य यदि स्पष्ट हो...
प्रयास यदि संकेंद्रित हों...
तो बेतरतीब जुंबिशें भी राहें निकाल दिया करती हैं...
आपने तो उलझन में डाल दिया। एक कहावत उलट रही है तो दूसरी सच साबित हो रही है। लेकिन जो भी हो, है रोचक और आपकी सिध्दहस्तता का परिचायक।
आपसे अपेक्षा थी कि कैमरा छोड़ भैंस की रस्सी निकालने में सहयोग देते।
आखिर कोशिश की जाये तो क्या नहीं हो सकता.... :)
पराजय नहीं उसकी स्वीकृति पराजय है .
रस्सी जरा सी लम्बी हो गई. बन्धन से मुक्ति नहीं मिली.
घुघूतीबासूती
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