चीन पर कोविद-19 वायरस को जन्म
देने के लिए चीन पर सन्देह व्यक्त करने के लिए चीन ने ट्रम्प को बुरी तरह लताड़ा
है। सीएनए की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका में
85505 लोग कोविद-19 से प्रमाणित रूप से संक्रमित हो चुके हैं। यह लेख लिखने
तक उन की संख्या में और वृद्धि हो चुकी होगी। जहाँ संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने
वालों की संख्या 681 और मरने वालों की संख्या 1288 है। अमरीका की स्थिति से ऐसा
प्रतीत होता है कि जल्दी ही कोविद-19 से प्रभावितों और मरने वालों की संख्या में
वह दुनिया के सभी देशों के रिकार्ड को चन्द दिनों में ही पीछे छोड़ देगा। भले ही अमरीकी
सरकार को जनता चुनती हो और दुनिया का सर्वोत्तम जनतन्त्र होने का लगातार ढोल पीटती
हो। लेकिन अब कोविद-19 से निपटने के उसके तरीके से यह स्पष्ट हो रह है कि वहाँ की
सरकार पर अमरीकी पूंजीपतियों का नियन्त्रण बहुत मजबूत है। वहाँ जनता के नहीं बल्कि
पूंजीपतियों के हित सर्वोपरि हैं।
चीन से आने वाली रिपोर्टों से
पता लगता है कि उन्हों ने कोविद-19 के संक्रमण को अच्छी तरह से नियन्त्रित कर लिया
है। दस दिन पहले भारत से चीन लौटने वाले एक व्यापारी ने सोशल मीडिया पर अपना अनुभव
शेयर करते हुए कहा है कि चीन में एयरपोर्ट से अपने फ्लैट तक पहुँचने तक उसे अनेक
बार स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ा। प्लेन से उतरते ही, बस में बैठने के पहले, बस से
उतरते ही, स्टेशन में घुसने के पहले, ट्रेन
में बैठने के पहले, ट्रेन में, ट्रेन से उतरने के तुरन्त बाद स्टेशन पर, टैक्सी
में बैठने के पहले, सोसायटी के प्रवेश द्वार पर, फिर अपनी बिल्डिंग में लिफ्ट में
प्रवेश करने के पहले उसकी स्क्रीनिंग हुई। शायद किसी भी अन्य देश में इतनी बड़ी
तादाद में होना संभव नहीं है। उन्हों ने कोविद-19 वायरस की जन्मस्थली वुहान शहर की
ओद्योगिक गतिविधियाँ पुनः आरम्भ कर दीं हैं। उद्योगपति, व्यापारी, विद्यार्थी और
अन्य लोग जो संक्रमण के कारण चीन छोड़ गए थे वापस चीन और वुहान वापस लौटने लगे
हैं। चीन में रह रहे भारतीय सुभम पाल के अनुभव को आज राजस्थान पत्रिका ने अपने
संपादकीय पृष्ठ के अग्रलेख का स्थान दिया है उसे पढ़ें और समझें कि चीन कैसे इस
महामारी पर नियंत्रण किया है और इस
महामारी से लड़ने का सही तरीका क्या होना चाहिए।
कल मेरी बेटी ने मुझे बताया कि
चीन में कोविद-19 के संक्रमण से मरने वालों की संख्या बहुत अधिक होने की संभावना
व्यक्त की जा रही है जिसका आधार यह है कि वहाँ दिसम्बर से अभी तक 70 लाख से अधिक
सेलफोन और 8 लाख से अधिक बेसिक फोन कनेक्शन बन्द हुए हैं। यह सन्देह खुद चीन सरकार द्वारा जारी किए गए
अधिकारिक आँकड़ों पर आधारित हैं। चीन ने उस पर व्यक्त किए जा रहे इस सन्देह पर अभी
तक कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन अनेक विष्लेषकोंल ने यह बताया है कि बन्द टेलीफोन कनेक्शनों की यह
संख्या असाधारण नहीं है। चीन में बन्द हुए टेलीफोन कनेक्शनों की यह संख्या जो एक
करोड़ से भी कम है वहाँ के कुल टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या 162 करोड़ के मुकाबले मात्र आधा प्रतिशत है और नगण्य है। कोविद-19 से निपटने
के क्रम में लाखों आप्रवासी मजदूर अपने काम के नगरों और प्रान्तों से अपने
प्रान्तों में अपने गाँवों को लौट गए हैं और हजारों छोटी औद्योगिक इकाइयाँ और
व्यापारिक प्रतिष्ठान बन्द हुई हैं। चीन में एक व्यक्ति को पाँच सेलफोन तक उपयोग
करने की छूट है। आय के बन्द या कम होने और बचत किए जाने के लिए ये टेलीफोन बन्द किए
गए हो सकते हैं।
आज सोशल मीडिया में कुछ पोस्टें
ऐसे लोगों की हैं जो अमरीका को दुनिया में जनतंत्र का ईश्वर मानते हैं। उन्होंने
लिखा है कि यह वायरस चीन सरकार का षड़यन्त्र है। और यदि चीन के स्थान पर कोई
साधारण देश होता तो अमरीका वहाँ डेमोक्रेसी लाने पहुँच चुका होता। तो अमरीका के
डेमोक्रेसी का भगवान होने सच यह है कि उस ने अब तक कहीं जनतन्त्र नहीं बनाया। जहाँ
भी उसने जनतंत्र के नाम पर हस्तक्षेप किया, वहाँ अपनी दलाल सरकार बना कर लौटा। हाल
ही में अफगानिस्तान का उदाहरण देखें। वह उसे फिर से उन्हीं कबीलावादी तालिबान के
हाथों सौंप चुका है और तालिबान की छाया के तले वहाँ आईएस ने सिखों को कत्ल कर दिया
है।
अमरीका जहाँ भी जाता है उस देश
को वह राजशाही में, कबीलाई हालत में फिर तानाशाही में बदल देता है। अमरीका के तथाकथित
शासक खुद भी अपने जनतंत्र से कम नहीं डरते। ट्रम्प की जनतंत्र के प्रति बिलबिलाहट बार-बार
प्रकट होती है और वैश्विक समाचार बन जाती है। ट्रम्प का बस चले तो वह अमरीका का
फ्यूहरर बन जाए। अमरीका और उसके जनतंत्र पर मर मिटने की हद तक फिदा लोगों के
सन्देह कम्युनिस्ट शब्द से उन के मन में साम्राज्यवादी-पूंजीवादी मीडिया द्वारा
पैदा किए गए भय का परिणाम हैं। दुनिया के कुल मीडिया के 95 प्रतिशत पर
साम्राज्यवादियों-पूंजीपतियों का कब्जा है। वे नए नए आँकड़े रचते हैं, अधिकारिक
आँकड़ों का विश्लेषण मान्य स्टेटिकल रीति से करने के स्थान पर सन्देहपूर्ण तरीकों
से करते हुए तमाम समाजवादी, साम्यवादी, जनप्रतिबद्ध ताकतों के प्रति घृणा उत्पन्न
करने के लिए करते हैं और दुनिया भर में झूठ फैलाते हैं। साम्राज्यवादी-पूंजीवादी
ताकतें यह काम पिछली सदी के आरंभ में हुए पहले विश्वयुद्ध के समय से खूब कर रहा
है।
हम आज की बात करें तो कथित
जनतंत्र के भगवान अमरीका के कोविद-19 से निपटने के तरीकों के सामने आने के बाद मैं यह मानने लगा हूँ कि यह
दुनिया का सौभाग्य और कौविद-19 का दुर्भाग्य था कि वह चीन में पैदा हो गया। यदि उसने
इटली, स्पेन, अमरीका या किसी अन्य पूंजीवादी देश में जन्म लिया होता तो सारी
दुनिया अब तक इससे उत्पन्न महामारी से घायल पड़ी होती। लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के
नियंत्रण में पूंजीवाद को समाजवाद की और धकेलते चीन ने इस वायरस के विरुद्ध लड़ाई को
पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति प्रदान की और उस पर सफलता पूर्वक नियंत्रण पाया। दूसरा
समाजवादी देश क्यूबा है जिस क्रूज को कोई देश अपने बंदरगाह पर लंगर डालने की इजाजत
नहीं दे रहा था उसे क्यूबा ने पनाह दी और संक्रमित लोगों का इलाज किया। अब जिस के
डाक्टर्स अनेक देशों में जा कर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के
नेतृत्व में बनी केरल राज्य की सरकार है जिस ने भारत में सब से बेहतर तरीके से इस
वायरस पर नियंत्रण पाया है।
जिन लोगों को जनतंत्र के भगवान अमरीका
पर बहुत विश्वास है, और जो पहला अवसर मिलते ही तो वहाँ पलायन करने कौ तैयार बैठे
रहते हैं। उसी अमरीका में कोविद-19 की महामारी से मरने वालों की संख्या बहुत तेजी
से रिकार्ड तोड़ रही है। केवल साम्यवादी और समाजवादी ही हैं जो इस महामारी से सबसे
बेहतर रीति से लड़ते हुए न केवल अपने अपने देशों की जनता की रक्षा कर रहे हैं।
अपितु वे दूसरे देशों की मदद कर रहे हैं।