17 मार्च तक अदालत
में कामकाज सामान्य था। 18 को जब अदालत गया तो हाईकोर्ट का हुकम आ चुका था,
केवल अर्जेंट काम होंगे। अदालत परिसर को सेनीटाइज करने और हर अदालत
में सेनीटाइजर और हाथ धोने को साबुन का इन्तजाम करने को कहा गया था, वो नदारद था। काम न होने से हम मध्यान्ह की चाय के लिए 1.30 के बजाय 12.40
पर ही चले गए। वापस लौटे तब तक अदालत के तीनों गेट बंद थे। केवल एक गेट की खिड़की
चालू थी। अब अन्दर जाने के लिए गेट नंबर-1 से ही जाना होता जो दूर था। सब मुकदमों
में पेशियाँ हो चुकी थीं। परिसर के अंदर वाले एक सहायक से बैग मंगाया, बाउंड्री के ऊपर से उसने दिया। मैं 2 बजे के पहले घर आ गया।
कल मैं नहीं,
केवल मेरा सहायक अदालत गया। कोई आधे घण्टे में ही मोबाइल एप पर सारे
मुकदमों की पेशियाँ मिल गयीं। घण्टे भर में तो सहायक भी वापस लौट कर आ गया। उसने
बताया कि केवल गेट नं.1 की खिड़की खुली थी, वहाँ एक पुलिसमेन
और एक अदालत कर्मचारी तैनात था। मात्र अदालत स्टाफ, वकील और
उनके क्लर्कों के अलावा किसी ही अदालत
परिसर में आने दिया जा रहा था।
यूँ मेरे पास वकालत
का काम हमेशा पैंडिंग रहता है, मैंने सोचा उसी को निपटाया
जाए। पर मन नहीं लगा। टीवी पर फिल्म देखने बैठ गया। सालों बाद पूरी फिल्म देखी,
जितेन्द्र-जया की "परिचय"। उत्तमार्ध ने सूची बना रखी थी
बाजार से लाने वाले सामानों की। मैंने उसके दो हिस्से किए। कैश काउंटर से लाने
वाले सामान कल ले आया। उसके यहां हमारी जरूरत वाला चाय का ब्रांड उपयुक्त साइज का
नहीं था। आज उसके और कुछ और चीजों के लिए दुबारा बाजार जाना पड़ेगा। बाजार सामान्य
था। बस भीड़ कम थी, इतनी कि रामपुरा बाजार और उसकी गलियों
में बिना किसी से टकराए आसानी से निकला जा सकता था।
दवा वाले की दुकान
से दो दवाएँ लानी थीं। उनमें से एक नहीं थी। मैं दोनों नहीं लाया। सोचा शाम को ले
लूंगा, पर दुबारा बाजार जाना नहीं हुआ। उसके पास एक
सेनेटाइजर जेल उपलब्ध था। लेकिन बहुत महंगा। इस कारण मैं नहीं लाया। मुझे लगा कि
उसके बिना काम चलाया जा सकता है। साबुन से हाथ धोकर वे कम से कम एक माह की जरूरत
के पहले से घर पर मौजूद थे। कुछ दूसरी जरूरी चीजें लेने के लिए जो घर पर लगभग खत्म
होने की स्थिति में हैं आज फिर बाजार जाना पड़ेगा।
अखबार में खबर है कि
नगर में विदेश से आए 112 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है। तीन सन्दिग्ध हैं इनमें
से दो अस्पताल में भर्ती हैं, शेष एक को घर पर आइसोलेट किया गया है। अब तक आइसोलेट
किए जाने वाले लोगों की संख्या 107 हैं। 7 संदिग्धों के आइसोलेशन के 28 दिन पूरे
हो चुके हैं। फिलहाल 127 लोग चिकित्सा विभाग की निगरानी में हैं। अच्छी बात यह है
कि अभी तक कोई कोविद-19 का पोजिटिव नहीं पाया गया है। फिर भी नगर जिस तरह से
एहतियात बरत रहा है वह अच्छा है।
अखबार में यह भी खबर
है कि इटली में कोविद-19 से हुई मौतों की संख्या 3405 ने चीन में हुई मौतों की
संख्या 3245 को पीछे छोड़ दिया है। यह बहुत बुरी खबर है। सबसे अधिक आबादी वाला चीन
ने इस कोविद-19 के विजय अभियान को बिना कोई हल्ला किए सफलता पूर्वक रोक दिया है। इटली
में अभी वायरस का विजय अभियान जारी है। बाकी विश्व बुरी तरह आतङ्कित है। हमारी
अपनी तैयारी को देख कर बहुत बुरा महसूस हो रहा है। हैंड सेनेटाइजर, हैंड वाश और
मास्क पर जम कर कालाबाजारी हो रही है। पैनिक में खाने-पीने की वस्तुएँ बाजार से
गायब हो गयी हैं। विशेष रूप से पीएमओ की नाक के नीचे एनसीआर में यह संकट है। वहाँ
से जो खबरें आ रही हैं वे अच्छी नहीं हैं। नोएडा में बेटी को तीन दिन से
मल्टीग्रेन आटा नहीं मिल रहा था। कल सामान्य गेहूँ आटा खऱीद कर लाना पड़ा। एक और
मित्र ने कहा कि गाजियाबाद में आटा बाजार से गायब है। निश्चित रूप से गलियों में
यही ऊंचे दामों पर मिल रहा होगा वह भी सीमित मात्रा में। साहेब, आप कितना ही कहें
कि मास्क और सेनेटाइजरों की, घरेलू सामानों की कोई कमी नहीं है। पर जब ग्राउण्ड
रिपोर्ट विपरीत आ रही हो तो साहेब की बात पर विश्वास हो तो कैसे? इसबीच खबर ये भी है कि डॉलर 76 रुपए का हो चला है।
खैर¡ आप तो इतवार के
कर्फ्यू के लिए तैयार हो जाइए। बाहर कतई न निकलें। निकलेंगे तो सोच लीजिए आपके साथ
क्या-क्या हो सकता है? मैं ने बताने का ठेका नहीं ले रखा। बस वेलेंटाइन-डे के अगले
दिन के अखबार की खबरों को याद रखें। हाँ, थाली या ताली बजाना तो मूर्खता लगती है। मैंने
सुना है और बचपन में देखा भी है कि थाली घर में बेटा होने पर बजाई जाती थी और शाम
तक ताली बजाने वाले पहुँच जाते थे, अपना नेग वसूलने के लिए। आप भी तैयार हो जाइए
नेग तो वसूला जाएगा ही। आखिर आपके घर कोविद-19 पैदा हुआ है।
- दिनेशराय
द्विवेदी, कोटा-20.03.2020