अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 15 जुलाई 2012
विवशता को कब तक जिएंगे श्रमजीवी?
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अं तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का कहना है कि सभी देशों में भविष्य निधि के लिए कानून होना चाहिए जिस से औद्योगिक कर्मचारियों के भविष्य के लिए क...
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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012
श्रमिक कर्मचारी आखिर कब तक चुप रह सकेंगे?
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कि सी भी अर्थ व्यवस्था में पुराने उद्योगों का बन्द होना और नए उद्योगों की स...
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शुक्रवार, 29 जून 2012
अभियान का आखिरी दिन
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स र्किट हाउस तिराहे से अदालत की ओर मुड़ना था पर वहाँ सिपाही लगे थे और सब को सीधे निकलने का इशारा कर रहे थे। सिपाहियों के पीछे सर्किट ह...
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रविवार, 24 जून 2012
किसान और आम जनता की क्रय शक्ति की किसे चिंता है?
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कि सी भी विकासशील देश का लक्ष्य होना चाहिए कि वह जितनी जल्दी हो सके विकसित हो, उस की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो। लेकिन साथ ही यह प्रश्न भी ह...
8 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 22 जून 2012
कचरा दरोगा सप्लाई ठेका
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लो ग कहते हैं। देश कचरे से परेशान है। जिधर जाओ कचरा दिखाई देता है। कोई स्थान इस से अछूता नहीं है। मियाँ जी बेड रूम में लेटे लेटे टीवी दे...
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सोमवार, 18 जून 2012
हमें का हानि?
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बा बूलाल फिटर बिना नागा रोज सुबह साढ़े नौ बजे राधे की पान की दुकान पर पहुँच जाता है। तब पान की दुकान खुली ही होती है। वह पान की ...
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शनिवार, 16 जून 2012
एक चिट्ठी सिम्पल अंकल के नाम
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सिम्पल अंकल, सादर प्रणाम! आ खिर आप ने पहली बार भारतवर्ष के विद्यार्थियों का दर्द समझा है। हम ...
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