अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 31 जनवरी 2010
हरि शर्मा जी से एक मुलाकात
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ए क दिन की जोधपुर यात्रा से आज सुबह लौटा हूँ और अब फिर से सामान तैयार हैं शोभा सहित रवाना हो रहा हूँ, फरीदाबाद के लिए। उसे बेटी के पास छोड़ ...
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शुक्रवार, 29 जनवरी 2010
हिन्दी ब्लागीरी बिना पढ़े और पढ़े हुए पर प्रतिक्रिया किए बिना कुछ नहीं
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श निवार को अविनाश वाचस्पति कह रहे थे कि रविवार को अवकाश मनाया जाए। कंप्यूटर व्रत रखें, उसे न छुएँ। मोबाइल भी बंद रखें। लेकिन रविवार को उन क...
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मंगलवार, 26 जनवरी 2010
एक गीत, तीन रंग ....
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आ म तौर पर संगीत सुनने का कम ही समय मिलता है। आते जाते कार में जब प्लेयर बजता है तो सुनाई देता है, या फिर देर रात को काम करते हुए कंप्यूटर प...
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वो राहतों के ख़्वाब दोस्तो सलीब हो गये
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ग णतंत्र दिवस की पूर्व संध्या है। हमारे गणतंत्र ने जहाँ से अपना सफर आरंभ किया था वहाँ से अब वह बहुत दूर निकल आया है। क्या थे हालात और क्या ...
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रविवार, 24 जनवरी 2010
बीज ही वृक्ष है।
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मे रे एक मित्र हैं, अरविंद भारद्वाज, आज कल राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बैंच में वकालत करते हैं। वे कोटा से हैं और कोई पन्द्रह वर्ष पहले तक को...
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शनिवार, 23 जनवरी 2010
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा
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ना टक शिवराम की प्रमुख विधा है। नाटकों की आवश्यकता पर उन्हों ने अनेक गीत रचे हैं। ऐसा ही उन का एक गीत ...... आनंद लीजिए, गुनिए और समझिए.... ...
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गुरुवार, 21 जनवरी 2010
आज किसी ने बताया नहीं, कि बसंत पंचमी है
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मुझे पता था आज बसंत-पंचमी है। पर न जाने क्यों लग रहा था कि आज बसंत पंचमी नहीं है। शायद मैं सोच रहा था कि कोई आए और मुझ से कहे कि आज बसंत पं...
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