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मंगलवार, 26 जनवरी 2010

एक गीत, तीन रंग ....

म तौर पर संगीत सुनने का कम ही समय मिलता है। आते जाते कार में जब प्लेयर बजता है तो सुनाई देता है, या फिर देर रात को काम करते हुए कंप्यूटर पर। मुझे सभी तरह का संगीत पसंद है। भारतीय शास्त्रीय संगीत से ले कर हिन्दी फिल्मी गानों और दुनिया के किसी भी कोने से आए संगीत तक। आज गणतंत्र दिवस पर सुबह स्नानादि से निवृत्त हो दफ्तर में आ कर बैठा तो यूँ ही कंप्यूटर पर गीत सुनने का मन हुआ और एक फोल्डर जिस में पुराने हिन्दी फिल्मी गीत हैं, प्लेयर में पूरा लोड कर चालू कर दिया। एक दो गीत सुने। लेकिन एक गीत ने मन को पकड़ लिया। इस गीत के तीन रंग हैं, दो को गाया है तलत महमूद ने और एक को लता मंगेशकर ने। गीत के बोल से लगता है इस में पलायनवाद है। लेकिन इस में एक नई दुनिया के निर्माण का संदेश भी छुपा है जहाँ गायक अपने साथी के साथ जाना चाहता है। लीजिए आप भी आनंद लीजिए ....

तलत महमूद ...


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लता मंगेशकर......


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फिर .. तलत महमूद


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12 टिप्‍पणियां:

  1. अलग अलग मूड में गाया गीत ...... मज़ा आ गया .... ...... . गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई

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  2. सुनकर आनन्द आ गया। धन्यवाद।

    शुभ गणतंत्र...।

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  3. मोटर में ई-स्नाईप ? अच्छा लगा अनवरत पर सुनना।

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  4. भई वाह...
    अच्छा गणतंत्र...

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  5. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ।
    गीत सुनवाने के लिए आभार।
    घुघूती बासूती

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  6. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ।
    गीत सुनवाने के लिए आभार।

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  7. गीत तो तीनो पहले भी सुन रखे है, लेकिन आज इकट्टॆ सुने तो पहले वाला सब से अच्छा लगा
    गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाऎँ

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  8. एक गीत और तीन मूड बहुत प्रिय गीतों मे से है यह गीत | इसे अब भी मैं गुनगुनाता हूँ |

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कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....