आज भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के शहीदी दिवस पर कोटा के श्रमजीवी विचार मंच ने एक पर्चा वितरित किया है। इस पर्चे में भगतसिंह आज क युवाओं और नागरिकों को संबोधित कर रहे हैं। क्या कहते हैं वे जानिए खुद .....
- मैं जानता हूँ कि आप मेरी कुर्बानी का आदर करते हैं। लेकिन मैं ने यह कुर्बानी इसलिए नहीं दी कि भावी पीढ़ियाँ मेरा आदर करें। बल्कि इस लिए कि मेरे देश की तरुणाई जागे, उस का खून खौले। वे मृत्यु की परवाह किए बिना देश और देशवासियों की आजादी और उन्नति के लिए हर प्रकार की गुलामी, गैर बराबरी और अवनति के बंधनों तो तोड़ फेंक दें।
- सोचिए, अपने और देश-दुनिया के हाल के बारे में सोचिए!
- सोचिए, और अपने हुक्मरानों से सवाल कीजिए कि आखिर इस बदहाली की जिम्मेदारी किस की है? यह जिम्मेदारी इन हुक्मरानों की कैसे नहीं है?
- सब को शिक्षा सब को काम, सब को रोटी, कपड़ा और मकान, सब को चैन सब को आराम, जो दे सके ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
- हमारे वक्त में हम ने पाया कि साम्राज्यवादी बेड़ियों में फँसी सामंती समाज व्यवस्था यह सब नहीं दे सकती, हम उस से लड़ें।
- ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्ति मिली लेकिन अब अमरीकी साम्राज्यवाद के अप्रत्यक्ष जाल में हम लगभग फँस गए हैं।
- सामंती बाहुबली अपनी सत्ता बनाए हुए हैं। पूँजी वादी व्यवस्था असुरक्षा और अनिश्चय के भंवर जाल में फँस गई है।
- विद्यमान व्यवस्था के पेचोखम कौन समझेगा?
- मैं पूछता हूँ आप लोग, देश की युवा पीढ़ी नहीं तो और कौन?
विनीत-