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अनवरत: जुलाई 2013
अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
प्रस्थान ...
ब्लागर को जानें
तीसरा खंबा
बुधवार, 3 जुलाई 2013
धरती पिराती है
'कविता'
धरती के अंतर में
धधक रही ज्वाला के
धकियाने से निकले
गूमड़ हैं, पहाड़
मदहोश इंसानो!
जरा हौले से
चढ़ा करो इन पर
धरती पिराती है,
जब भी पक जाते हैं, गूमड़
तो फूट पड़ते हैं।
दिनेशराय द्विवेदी
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