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अनवरत: ओले-ओले
ओले-ओले
सिर गंजा है इस लिए मुंढ़ाने की जरूरत नहीं और ओलावृष्टि से घबराना पड़ता है। ब्लागिंग की शुरूआत में ही आईएमई रेमिंगटन की कलई खुल गई। तीसरा खंबा की पहली पोस्ट उस का सबूत है। अब इस ब्लाग का टंकणकर्ता इस्क्रिप्ट पर हाथ मांज रहा है इस लिए आगामी पोस्टें गति पकड़ लेने पर ही देखने को मिलेंगी। आशा है पाठक लम्बे अन्तराल के लिए क्षमा करेंगे।: दिनेशराय द्विवेदी
2 टिप्पणियां:
तीसरा खंबा वाली पोस्ट देखी नहीं लेकिन आप बारहा(http://baraha.com) काहे नहीं आजमाते?
सबसे सुगम लगता है मुझे तो यह।
कोटा से ब्लागर देख कर खुशी हुई दिनेश जी...
हम भी आपके आसपास के ही हैं
:)
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