कोई पाँच बरस पहले ब्लागिरी शुरु हुई थी। पहले ब्लाग तीसरा खंबा आरंभ हुआ और लगभग एक माह बाद अनवरत। धीरे धीरे गति बढ़ी और हर तीन दिन में कम से कम दो पोस्टें लिखने लगा। लेकिन 2011 में आ कर गति कम हुई, सप्ताह में तीन चार पोस्टें रह गईं। 2012 में केवल 53 पोस्टें हुई, औसत सप्ताह में केवल एक पर आ कर टिक गया। इस वर्ष तो जनवरी निकला जा रहा है लेकिन एक भी पोस्ट न हो सकी। कहा जा सकता है कि ब्लागिरी से मोह टूट रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है। अखबार, पत्रिकाएँ और पुस्तकें जिस तरह लेखन और विचारों को प्रकाश में लाने के माध्यम है उसी तरह ब्लागिरी भी है। सब से अच्छा तो यह है कि यह एक स्वयं प्रकाशन माध्यम है। जिस पर आप केवल खुद ही नियंत्रण रखते हैं।
ब्लागिरी की गति कम होने के अनेक कारण रहे हैं। जिन में कुछ तो मेरे अपने स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं। दिसंबर 2011 में हर्पीज जोस्टर का शिकार होने के बाद, दाँतों ने कष्ट दिया और उस के तुरंत बाद ऑस्टिओ आर्थराइटिस ने जकड़ा जिस के कारण एक पैर में लिगामेंट का स्ट्रेन भुगतना पड़ा। ऑस्टियो आर्थराइटिस नियंत्रण में है पर उस ने दोनों घुटनों के कार्टिलेज को जो क्षति पहुँचाई है उस की भरपाई में समय लगेगा। जब किसी व्यक्ति के चलने फिरने में बाधा आती है तो उस की सभी गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं। आय के साधन जो व्यक्ति और परिवार को चलाने के लिए महत्वपूर्ण हैं उन्हें नियमित रूप से चलाए रखना आवश्यक होता है। उन कामों को करने के उपरान्त समय इतना कम शेष रहता है कि अन्यान्य गतिविधियों मंद हो जाती हैं। यही मेरे साथ भी हुआ।
वर्ष 2011 के अंत में तीसरा खंबा ब्लाग को एक स्वतंत्र वेबसाइट में परिवर्तित किया गया था। यह साइट कानूनी विषयों पर है और जोर इस बात पर है कि कानूनी मामलों पर पाठकों का विधिक शिक्षण हो तथा अधिक से अधिक मामलों पर आम पाठक की सहायता की जा सके। तीसरा खंबा अनेक बाधाओं के बावजूद लगभग निरंतर है। वर्ष 2012 में उस पर 330 पोस्टें लिखी गईं। यदि सप्ताह का एक दिन अवकाश का समझ लें तो औसतन प्रतिदिन एक पोस्ट से अधिक इस साइट पर लिखी गई है। अधिकांश पोस्टों में पाठकों को उन की कानूनी समस्याओं के हल सुझाए गए हैं। एक समस्या का हल सुझाने और उसे वेबसाइट पर लाने में कम से कम एक से दो घंटे तो लगते ही हैं। मैं समझता हूँ कि एक व्यक्ति के लिए सामाजिक जीवन के लिए इतना समय व्यतीत करना पर्याप्त है।
तीसरा खंबा का एक खास उद्देश्य है। लेकिन अनवरत ब्लाग अपने विचारों व लेखन को और अपनी मनपसंद रचनाओं को सामने लाने का माध्यम बना। उसी से हिन्दी के ब्लाग जगत में मेरी पहचान बनाई। पाँच वर्ष की ब्लागिरी की ओर पीछे मुड़ कर झाँकता हूँ तब महसूस होता है कि बिना किसी योजना के बहुत कुछ कर डाला गया। लेकिन जो कुछ किया गया उसे कुछ योजना बद्ध रीति से और तरतीब से भी किया जा सकता था। पिछले दो माह इसी विचार में निकले कि वहाँ क्या किया जाना चाहिए। निश्चित रूप से यह समय भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है। जब समाज पूरी तरह से बदलाव चाहता है। लेकिन प्रश्न यही हैं कि समाज में किस तरह का बदलाव कैसे संभव है। समाज कोई एक व्यक्ति या समूहों की इच्छा से नहीं बदलता। समाज की भौतिक आर्थिक परिस्थितियाँ उसे बदलती हैं। वे ही नए शक्ति समूह खड़े करती हैं जो समाज को बदलते हैं। निश्चित रूप से यह अध्ययन का विषय है। इस समय में मुझे क्या करना चाहिए? अनवरत ब्लाग का उपयोग किस तरह करना चाहिए? यही सोच रहा हूँ। पर सोच की इस प्रक्रिया के बीच अनवरत का यह ठहराव बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है। अनवरत को अनवरत रहना चाहिए। इस लिए यह तय किया है कि सप्ताह में कम से कम एक बार पोस्ट अवश्य लिखी जाए और इस की गति को बढ़ा कर सप्ताह में 3-4 पर लाया जाए।
10 टिप्पणियां:
@अनवरत को अनवरत रहना चाहिए। इस लिए यह तय किया है कि सप्ताह में कम से कम एक बार पोस्ट अवश्य लिखी जाए और इस की गति को बढ़ा कर सप्ताह में 3-4 पर लाया जाए।
यही मैंने भी करना है भाई जी ...
शुभकामनायें आपको !
द्विवेदी सर,
अपना भी हाल आपके और सतीश भाई जैसा है,
क्या करें हम भी मौसम ही ऐसा है...
अनवरत अनवरत रहे जीवनपर्यंत...
जय हिंद...
शुभकामनायें आपको .... अनवरत को अनवरत रहना चाहिए....
इतना लम्बा ब्रेक-अच्छा नहीं श्रीमान.स्वस्थ रहें यही प्रार्थना है. ज्ञान जी-खुशदीप जी भी बीमार रहे, अब स्वस्थ हैं, अच्छा लग रहा है.
"अनवरत का यह ठहराव बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है। अनवरत को अनवरत रहना चाहिए..."
आमीन... :-)
एक मुकाम तक आकर कुछ चिंतन की आवश्यकता सभी को होती है, आशा है अनवरत अंतत: अनवरत ही रहेगा. शुभकामनाएं.
रामराम.
मैंने देखा है आपमें समाज सेवा की एक सहज प्रवृत्ति है जो सदैव ज्ञान /जानकारी को साझा करने को प्रेरित करती रहती है . ऐसी प्रवृत्ति अन्य बहुत कम ब्लागरों में है -एक उन्मुक्त जी भी हैं . आपके अध्ययन की व्यापकता ने मुझे गहरे अभिभूत भी किया है -विज्ञान और आध्यात्म पर भी आपकी यथेष्ट पकड़ है -आपने सांख्य दर्शन पर लिखा है और गीता का भाष्य करने को तत्पर रहते हैं . विधि /क़ानून में तो पारंगत हैं ही, आप -विगत पांच सालों में आपने ब्लागिरी (यह शब्द भी आप का ही दिया हुआ है) को समृद्ध किया है .....हम सभी जीविकोपार्जन के लिए बहुत कुछ वह भी करने को अभिशप्त हैं जो हमें रुचता नहीं -मगर शायद जीवन इसी का नाम है .
मैं ह्रदय से आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करता हूँ ताकि आपका अहर्निश योगदान यहाँ सुनिश्चित हो सके ..अपना फोन नंबर मेरे इनबाक्स के हवाले करियेगा -अजीब सा बोध हो रहा है कि मेरे पास अभी तक है क्यों नहीं!
पहली बार आपके ब्लॉग "अनवरत" पर आकर बहुत अच्छा लगा। कृपया आप भी हमारे हिंदी ब्लॉग पर पधारे।
ज्ञान-संसार : gyaan-sansaar.blogspot.com
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समाचार NEWS : smacharnews.blogspot.com
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अच्छा आलेख!
अनवरत का यह ठहराव बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है। अनवरत को अनवरत रहना चाहिए..."
गुरुदेव जी, यही मैंने भी करना है. लेकिन मुझे अभी अपना बिजनेस को दुबारा खड़ा करना है. आपका संकल्प (अनवरत को अनवरत रहना चाहिए। इस लिए यह तय किया है कि सप्ताह में कम से कम एक बार पोस्ट अवश्य लिखी जाए और इस की गति को बढ़ा कर सप्ताह में 3-4 पर लाया जाए।) जल्द ही पूरा हो जायेगा. आपकी मुख्य चिंता खत्म होते ही आप सक्रिय हो जायेगें.
शुभकामनायें आपको !
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