अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 10 जनवरी 2010
राजनीति और कूटनीति के सबक सीखती जनता
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सु बह ग्यारह बजे कोर्ट परिसर के टाइपिस्टों की यूनियन के चुनाव थे। मुझे चुनाव में सहयोग करने के लिए ग्यारह बजे तक क्षार बाग पहुँच जाना था। ले...
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शनिवार, 9 जनवरी 2010
कुहरे में लिपटा एक सर्द दिन
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अ ब चार माह कुछ नहीं किया तो उस का कुछ तो वजन उठाना ही होगा। बृहस्पतिवार की रात एक मुकदमा तैयार करते 12 बज गए थे, तारीख बदल गई। फिर एक और क...
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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
दिन भर व्यस्त रहा, लगता है कुछ दिन ऐसे ही चलेगा
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आ ज हड़ताल समाप्ति के दूसरे दिन मैं अदालत सही समय पर तो नहीं, लेकिन साढ़े ग्यारह बजे पहुँच गया था। कार को पार्क करने के लिए स्थान भी मिल गया...
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गुरुवार, 7 जनवरी 2010
ह़ड़ताल समाप्ति के बाद का पहला दिन
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रा त को सोचा था 'अब हड़ताल खत्म हो गई है, कल बिलकुल समय पर अदालत के लिए निकलना होगा'। पत्नी शोभा ने पूछा था -कल कितने बजे अदालत के ...
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मंगलवार, 5 जनवरी 2010
संघर्ष विराम हुआ, चलो काम पर चलें ......
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आ खिर 130 दिन की हड़ताल पर विराम लगा। आज हुई अभिभाषक परिषद की आमसभा में प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ कि वर्तमान परिस्थितियों में संघर्ष को...
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रविवार, 3 जनवरी 2010
ख्वाब में आके वो सताने लगा
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पि छले वर्ष के अंतिम सप्ताह में कोटा से गुजरने वाले अलाहाबाद को अहमदाबाद से जोड़ने के लिए बन रहे राष्ट्रीय उच्चमार्ग पर निर्माणाधीन हैंगिग ब...
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शनिवार, 2 जनवरी 2010
चांदनी चौक से इंडिया गेट
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प राठा गली में प्रवेश के पहले हम चांदनी चौक की मुख्य सड़क से गुजरे तो वह ट्रेफिक विहीन थी, और अधिकांश दुकानें बंद थीं। वह सोमवार का दिन था, ...
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