अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 13 दिसंबर 2009
एक पूरा छुट्टी का दिन : बहुत दिनों के बाद
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ह ड़ताल 105 दिन पूरे कर चुकी है। इधर अभिभाषक परिषद के चुनाव जोरों पर है। उम्मीदवार सभी मतदाताओं से मिलने के प्रयत्न कर रहे हैं। अध्यक्ष औ...
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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009
व्यथा की थाह
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शि वराम के तीन काव्य संग्रहों में एक है 'माटी मुळकेगी एक दिन' । बकौल 'शैलेन्द्र चौहान' इस संग्रह की कविताएँ प्रेरक और जन क...
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बुधवार, 9 दिसंबर 2009
दुल्हन ले आए, ताऊ-ताई को छोड़ आए
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भा रतीय विवाह एक बहुत जटिल और संष्लिष्ट समारोह है। इस में बहुत से सूत्र इस तरह एक दूसरे से गुंथे होते हैं कि अनेक गुत्थियों को समझना बहुत...
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मंगलवार, 8 दिसंबर 2009
तब तो अब हड़ताल भी खत्म हो ही जाएगी
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य दि कोई पूछे कि भारत में सब से अधिक क्या होता है? तो सब से आसान उत्तर है, जी चुनाव! बिलकुल सही है यहाँ चुनाव ही सब से अधिक होते हैं। शायद ...
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सोमवार, 7 दिसंबर 2009
आखिर करोड़ों का क्या करेंगे?
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'कहानी' आखिर करोड़ों का क्या करेंगे? दिनेशराय द्विवेदी भा ई साहब ने दो दिन पहले फोन किया था कि मैं रविवार की रात को उपलब...
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शनिवार, 5 दिसंबर 2009
सौंदर्य और सार -शिवराम के कुछ दोहे
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पि छले दो दिनों से आप अनवरत पर शिवराम की कविताएँ पढ़ रहे हैं। नवम्बर में जब मैं यात्रा पर था तो उन की तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। यात्रा स...
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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009
'अनहद' शिवराम की कविता
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क ल शिवराम की कुछ अटपटी सी, लटपटी सी कविता "सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प" आप के सामने थी। आज उन की एक बहुत ही लघु कविता आप के सा...
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