अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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शुक्रवार, 15 जनवरी 2010
प्रकृति के त्यौहार मकर संक्रांति पर एक स्थाई सद्भावना समारोह
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म कर संक्रांति का धर्म से क्या रिश्ता है? यह तो आप सब को जानते हुए पूरा सप्ताह हो चुका है। टीवी चैनलों ने इसी बात को बताने में घंटों जाया कि...
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गुरुवार, 14 जनवरी 2010
बिलाग जगत कै ताईँ बड़ी सँकराँत को राम राम! आज पढ़ो दाभाई दुर्गादान सींग जी को हाड़ौती को गीत
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सब कै ताईँ बड़ी सँकराँत को घणो घणो राम राम ! ब्ला गीरी की सुरूआत सूँ ई, एक नियम आपूँ आप बणग्यो। कै म्हूँ ईं दन अनवरत की पोस्ट म्हारी बोली ...
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बुधवार, 13 जनवरी 2010
शून्य से नीचे के तापमान पर 39000 बेघर रात बिताने को मजबर लोगों के शहर में कंपनियों ने जानबूझ कर कपड़े नष्ट किए
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अ मरीका का न्यूयॉर्क नगर जहाँ आज का रात्रि का तापमान शून्य से चार डिग्री सैल्सियस कम रहा है और इस शीत में नगर के लगभग 39000 लोग घरों के बिना...
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मंगलवार, 12 जनवरी 2010
अकर्मण्यता का शिकार एक बेहद बकवास अदालती दिन
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क ल का दिन बहुत बकवास और फालतू दिन था, कम से कम मेरे लिए। कुल छह मुकदमे थे। सारे के सारे अन्तिम बहस के लिए निश्चित थे। मैं ने सभी मुकदमों मे...
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सोमवार, 11 जनवरी 2010
कौन बनाए खाना ?
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शिवराम की यह कविता आज की समाज व्यवस्था से पैदा हुई एक अनिवार्य स्थिति को प्रदर्शित करती है, पढ़िए और राय दीजिए ...... कौन बनाए खाना ? शि...
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रविवार, 10 जनवरी 2010
राजनीति और कूटनीति के सबक सीखती जनता
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सु बह ग्यारह बजे कोर्ट परिसर के टाइपिस्टों की यूनियन के चुनाव थे। मुझे चुनाव में सहयोग करने के लिए ग्यारह बजे तक क्षार बाग पहुँच जाना था। ले...
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शनिवार, 9 जनवरी 2010
कुहरे में लिपटा एक सर्द दिन
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अ ब चार माह कुछ नहीं किया तो उस का कुछ तो वजन उठाना ही होगा। बृहस्पतिवार की रात एक मुकदमा तैयार करते 12 बज गए थे, तारीख बदल गई। फिर एक और क...
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