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शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
मौजूदा जमाने के उसूल
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आ ज के स्थानीय दैनिकों में समाचार है कि राज्य सरकार ने सफाई ठेकों पर महापौर की आपत्ति खारिज कर दी है और मुख्य नगरपालिक अधिकारी को राजस्था...
8 टिप्पणियां:
रविवार, 12 सितंबर 2010
अखबारों में खबरें अधूरी क्यों होती हैं?
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दै निक भास्कर के कोटा संस्करण ने स्थानीय नगर निगम के बारे में खबर प्रकाशित की है , " तंगी में भी बदहाली" । यह किसी घटना से उपजा स...
14 टिप्पणियां:
सोमवार, 23 अगस्त 2010
सांसदो के साथ-साथ एम्मेले और कारपोरेटर लोगों की तनख़वाह भी बढ़ानी चाहिए
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पे शे से मैं एक वकील हूँ, अपने मुवक्किलों की ओर से अदालत में पैरवी करता हूँ, उन्हें सलाह देता हूँ और इस के अलावा उन की ओर से कुछ अन्य कानूनी...
13 टिप्पणियां:
बुधवार, 5 मई 2010
मात्रात्मक परिवर्तन हो रहे हैं तो गुणात्मक भी होंगे
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बे टी नौकरी करने के साथ अपना सारा काम खुद करती है। आवास की सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोना, उन पर इस्त्री करना आदि आदि जो भी घर के काम हैं। उसे...
13 टिप्पणियां:
मंगलवार, 4 मई 2010
मैं वकील, एक आधुनिक उजरती मजदूर, अर्थात सर्वहारा ही हूँ।
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पि छले आलेख में मैं ने एक कोशिश की थी कि मैं आम मजदूर और सर्वहारा में जो तात्विक भेद है उसे सब के सामने रख सकूँ। एक बार मैं फिर दोहरा रहा हू...
15 टिप्पणियां:
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