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शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

"मूल्यों की नीलामी" यादवचंद्र के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" का चतुर्दश सर्ग

यादवचंद्र पाण्डेय के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" के  तेरह सर्ग आप अनवरत के पिछले कुछ अंकों में पढ़ चुके हैं। अब तक प्रकाशित सब कड़ियों को यहाँ क्लिक कर के पढ़ा जा सकता है। इस काव्य का प्रत्येक सर्ग एक पृथक युग का प्रतिनिधित्व करता है। युग परिवर्तन के साथ ही यादवचंद्र जी के काव्य का रूप भी परिवर्तित होता जाता है।  इसे  आप इस नए सर्ग को पढ़ते हुए स्वयं अनुभव करेंगे। आज इस काव्य का चतुर्दश सर्ग "मूल्यों की नीलामी" प्रस्तुत है ................
* यादवचंद्र *

चतुर्दश सर्ग
मूल्यों की नीलामी
ठोक बजा कर माल देख लो, दुनिया है बाजार
जेब देखना पहले, पीछे डाक बोलना यार
सोना है या मिट्टी है, सब कुछ रख दिया पसार
बोल हमारा अपना होगा-दल्लाली बेकार
 
हर माल मिलेगा छह आना
पण्डित का मन्तर   छह आना
मुल्ला का जन्तर   छह आना 
गिरजा की रानी   छह आना
गंगा का पानी   छह आना 
अल्लाहो अकबर   छह आना
ईसा वो ईश्वर   छह आना
तस्वीर, सुमरनी   छह आना
हर जेब कतरनी   छह आना
गुरुद्वारा का दर   छह आना
बापू का मन्दर   छह आना
काब औ काशी   छह आना
ताजा और बासी   छह आना
हर सस्ता - महंगा   छह आना
 
गीता बाइबिल और क़ुरान का नया नया एडीसन ले लो
पक्की जिल्द, छपाई सुन्दर, गेट-अप में न्यू फैशन ले लो
 
धर्मा-धर्मी लगा दिया है
धरम-करम सब   छह आना
सीता की इज्जत   छह आना
मरियम की अस्मत छह आना
बम्पाट जवानी   छह आना
बहनों का पानी   छह आना
बेजोड़ पतुरिया   छह आना
वल्लाह संवरिया   छह आना
परदे की राधा   छह आना
कनसेसन आधा   छह आना
गालों का चुम्बन   छह आना
सीने की धड़कन   छह आना
बिन ब्याही गोरी   छह आना
औ ब्याही छोरी   छह आना
मिश्री फुलझरियाँ   छह आना
एथेंसी गुड़िया   छह आना
दजला की हूरें   छह आना
पेकिंग की नूरें   छह आना
   लिंकन की बेटी   छह आना
लन्दन का डैडी   छह आना
हर माल मिलेगा   छह आना
 
कम्पनी न घाटा सहने का व्यापार कभी करती है
लेकिन इस युग की मांग सदा दुनिया के आगे धरती है
 
लो छह आना जी   छह आना 
पण्डित अल्लामा   छह आना
बेकूफ हरामा   छह आना 
इतिहास पुरातन   छह आना
साहित्य सनातन   छह आना
मीरा औ तुलसी   छह आना
जयदेव जायसी   छह आना
पातञ्जल - शंकर   छह आना
गोरख तीर्थंकर   छह आना 
विज्ञान चिरंतन  छह आना 
दुनिया का दर्शन   छह आना 
प्लेटो और गेटे   छह आना
सड़कों पर लेटे   छह आना
एलोर अजन्ता   छह आना
वाणी का हन्ता   छह आना
सम्पादक सन्ता   छह आना
 लेखक लेखन्ता   छह आना
पायल पर सरगम   छह आना
मिलता है हरदम    छह आना
बस छह आना जी   छह आना
 
युग की देन जमाना रोये अँखियाँ दीदा खाये
बाँधो बाँध कि आँसू का सैलाब न तीर डुबोये
 
रोमियो खड़ा है    छह आना
ढोला अटका है   छह आना
राधा लहराई   छह आना
जुलियट मुसकाई   छह आना
दिलजानी  लैला   छह आना
 मजनूँ है छैला    छह आना
नौकरी न मिलती   छह आना
डालो है लगती    छह आना
सुश्री शहजादी   छह आना
नौकर संग भागी   छह आना
प्राणों का रिश्ता   छह आना
हर महंगा सस्ता   छह आना
सपनों का नन्दन   छह आना 
कसमों का बन्धन   छह आना
आशा  का दिअना   छह आना
निरमोही सजना   छह आना
निकला कस्साई   छह आना
झुट्ठा हरजाई   छह आना
अब जेब कतरता   छह आना
हाजत में सड़ता   छह आना
जूते है खाता   छह आना
फिल्मी धुन गाता   छह आना
जलने की सर्दी   छह आना
मरने की गर्मी   छह आना
जल गई नगरिया   छह आना
मर गई गुजरिया   छह आना
हर माल यहाँ है   छह आना
 
नई दुकान, नया चौराहा जयरा डग-मग डोले
माल हमारा, बोल तुम्हारे डाक जमाना बोले
 
भाई औ बहना   छह आना
सजनी औ सजना   छह आना
लहठी औ चूरी   छह आना
मन की मजबूरी   छह आना
सिन्दूर सुहागिन   छह आना
लुट गई अभागिन   छह आना
अन्तर अकुलाते   छह आना
दृग जल बरसाते   छह आना
गोदी का ललना   छह आना
पैसों का छलना   छह आना
करुणा मानवता   छह आना
पशुता दानवता   छह आना
दिल के सब रिश्ते   छह आना
हर महंगे-सस्ते   छह आना
 
जंग आँख का छूट जाएगा देख हमारा माल
त्रेता, द्वापर, सतयुग झूठे कलयुग करे कमाल
 
काजी औ हाजी   छह आना
युग-युग का पाजी   छह आना
इंसाफ करारा   छह आना
कानून सियासत   छह आना
संसद औ हाजत   छह आना
दरबार कचहरी   छह आना
जज - लाट - संतरी   छह आना
जीवन का रक्षक   छह आना
फिरता बन भक्षक   छह आना
घर की चौहद्दी   छह आना
दादा की गद्दी   छह आना
 कानून उलट दो   छह आना
हर बात पलट दो   छह आना
 चाँदी का जूता   छह आना
कश्मीरी कुत्ता   छह आना
 
नाग फाँस यह बैंक धव का कोई निकल न पाए
जो आए इस घेरे में बस, यहीं घिरा रह जाए
 
नेता का हमदम   छह आना
गिलबों का अलबम   छह आना
 यह उलटी शोखी   छह आना
हर बात अनोखी   छह आना
जनता की बानी   छह आना
बिड़ला है दानी   छह आना 
चौरा - काकोरी   छह आना
शिमला - मंसूरी   छह आना
जनखों का जोड़ा   छह आना
वीरों का जोड़ा   छह आना
 भूखों पर फायर   छह आना
पूंजीपति नायर   छह आना
जाँबाज कमेरा   छह आना
खूँखार लुटेरा   छह आना
गोली का बढ़ना   छह आना
सीने पर अड़ना   छह आना
असूर्यम्पश्या        छह आना
घनघोर तपस्या   छह आना
सब की बर्बादी   छह आना
फिल्मी आजादी   छह आना
यह लंदन वाला   छह आना
यूएसए वाला   छह आना
और बालस्ट्रीटी   छह आना
सब सिट्टी - पिट्टी   छह आना
बापू औ बेटा   छह आना
सब छोटा - जेठा   छह आना
सब सस्ता - महंगा   छह आना
 लो, लगा दिया है   छह आना
जी, सजा दिया है   छह आना
हाँ लुटा दिया है   छह आना
सरकारी बोली   छह आना
 
सब छह आना सब छह आना सब छह आना 
यादवचंद्र पाण्डेय
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

6 टिप्‍पणियां:

  1. पांडेय जी भी भयंकर मार करते हैं भाई !

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  2. वाह वाह जी जी बहुत सुंदर ओर लाय भी बनति गई इस कविता को पढते पढते, धन्यवाद

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  3. पहली बार पढ़ा यादवचन्द्र पाण्डेय जी को.........कसम ६ आने की....पूरी दुनिया की तस्वीर दिखा दी.....६ आने में

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  4. ज्ञान के असीमित फैलाव को आम चेतना के समझ में आने लायक तरतीबी की सीमाओं में बांधने और उसे आम भाषा प्रतीकों में प्रस्तुत करने की दार्शनिक चेतना से संपृक्त व्यक्तित्व लगते हैं यादवचन्द्र।

    विरल है ऐसा व्यक्तित्व, और विरल ही हैं ऐसे प्रयास।

    शुक्रिया, आपका।

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  5. सब छः आना सचमुच ! कितना पीड़ाजनक !!

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