में कही गई थी, उसे लगभग सभी पाठकों की सहमति भी मिली थी। बात इतनी सी थी कि लगी आदत छूटती नहीं।
लेकिन बैरागी जी का ई-पत्र मिला और उसे सार्वजनिक करने का आग्रह भी। मेरे विचार में जिस तरह उन्हों ने अपने विचार प्रकट किए हैं वे अनेक लोगों को पुरानी आदत छुड़ाने में मदद कर सकते हैं। ई-पत्र इस प्रकार है...
दिनेशजी,मुझे इस से आगे एक भी शब्द कहने की जरूरत नहीं।नमस्कार,पूर्णविराम से पहले रिक्ति न रखने का आपका सुझाव पूर्णत: उपयोगी रहा। वैयाकरणिकता और व्यावहारिकता का सुन्दर समन्वय है आपका परामर्श।आपके इस परामर्श के बाद आज पहली पोस्ट लिखी/प्रस्तुत की (आपके परामर्श पर अमल करते हुए) और देखा कि यह मेरी ऐसी पहली पोस्ट रही जिसमें पूर्ण विराम, अगली पंक्ति में पृथक शब्द के रूप में नहीं गया। इससे पोस्ट की सुन्दरता और प्रभाव में तो वृध्दि हुई ही, पूर्ण विराम से किसी पंक्ति के प्रारम्भ होने से जो व्याकुलता उपजती थी, उससे भी मुक्ति मिली।मेरी इस टिप्पणी को आप सार्वजनिक कर सकते हैं (अपितु अवश्य कीजिएगा)। सम्भवत:, अन्य मित्रों को भी यह उपाय उपयोगी अनुभव हो।हां, पुरानी आदत, इस पर अमल करने में बाधक बन रही है। नई आदत डालने में समय भी लगेगा और अतिरिक्त श्रम भी। किन्तु जो मिला है, उसके लिए यह बहुत ही कम कीमत है।आपने प्रस्तुति का भोंडापन दूर करने में सहायता की। यह उपकार से कम नहीं है।विनम्र,--
नई आदत डालने में समय भी लगेगा और अतिरिक्त श्रम भी। किन्तु जो मिला है, उसके लिए यह बहुत ही कम कीमत है।
जवाब देंहटाएं--विष्णु जी से शत प्रतिशत सहमत हूँ और आपका आभार तो खैर है ही. :)
लिखने वाले में सौंदर्य बोध हो तो उसे खास परेशानी नहीं होगी. आभार.
जवाब देंहटाएंआपकी सलाह का
जवाब देंहटाएंस्वागतम शुभ स्वागतम
अच्छी व्याकरण चर्चा !
जवाब देंहटाएंखुशी की बात है कि आपकी सलाह काम में लाई जा रही है,
जवाब देंहटाएंiइतनि अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद.
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जवाब देंहटाएंआदरणीय सर जी,
अपने वाक्यविन्यास में सौन्दर्य की सनक के चलते अकिंचन आलोचना का शिकार होता रहा है.. पर यह टोटका वह अनजाने में ही पहले से प्रयोग कर रहा है !
चलिये, लगता है आज कानूनी मान्यता मिली !
बहुत अच्छी जानकारी थी | प्रयोग करना शुरू कर दिया है |
जवाब देंहटाएंइस पूरी श्रंखला मे आपने बहुत काम की बाते बताई हैं. तहेदिल से आपका शुक्रिया जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अपनी कमी दूर करने पर और इस की के दूर होने की जानकारी देने पर आदमी कैसे 'हीरो' बन जाता है-यह आपने बता दिया।
जवाब देंहटाएंमैं क्या कहूं? आपकी इस पोस्ट में विराम चिह्न तो कम और मैं अधिक हूं।
फूलों के साथ धागा भी देव-कण्ठ तक इसी प्रकार पहुंच जाता है।
विष्णु जी तो सज्जन भी हैं और हीरो भी। उनका स्वास्थ्य अच्छा बने/बना रहे; यह कामना है।
जवाब देंहटाएंखुशी की बात है कि आपकी सलाह काम में लाई जा रही है/ वैसे हीरो बनने के बाद भी बैरागी जी का कथन अनुकरणीय है /
जवाब देंहटाएंऐसी उदारता मुझ जैसे नाचीज पर कहाँ ......... वैसे आजकल फोटो भी हीरो वाली ही लगा रखी है????
(कृपया उपरोक्त कथन को गंभीरता से न लें )
सार्थक चर्चा.....
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और उपयोगी जानकारी है| मेरे व्यवसाय में शोधपत्र लिखना एक आम बात है, इसलिए मुझे इस बात का पहले से ज्ञान था| किंतु चिठ्ठे पढ़ते समय पूर्ण-विराम और अर्ध-विराम के पहले रिक्ती देखकर चिडचिडाहट होती थी|
जवाब देंहटाएंकिंतु ये नई बात पता चली कि पूर्ण-विराम के पश्चात २ रिक्ती छोड़ी जाएँ| मैं तो अब तक एक ही रिक्ती छोड़ता आया हूँ|
हमने तो आदत डाल ली है सर। अब इसे बरकरार रखना है, बस। यूं ही प्रकाश डालते रहिये। एक आलेख यदि कुछ संयुक्त स्वराक्षरों या व्यंजनों पर भी हो जाये आपकी तरफ से तो मजा आ जाये।
जवाब देंहटाएंमै तो आप की पहली पोस्ट से ही अपनी गलती सुधारने की कोशिश मै लग गया था.
जवाब देंहटाएंओर विष्णु जी की बात से १००% सहमत है.
धन्यवाद