अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
पेज
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
सोमवार, 31 अगस्त 2009
"आह! कहीं मैं और कहीं तू" : पुरुषोत्तम 'यक़ीन' की जादू वाली दूसरी ग़ज़ल
›
आप ने कल पुरुषोत्तम 'यक़ीन' की जादू वाली पहली ग़ज़ल "खुल कर बात करें आपस में" पढ़ी। कुछ पाठकों ने कहा ग़ज़ल ही जादू भ...
11 टिप्पणियां:
रविवार, 30 अगस्त 2009
पुरुषोत्तम 'यक़ीन' की जादू वाली पहली ग़ज़ल "खुल कर बात करें आपस में"
›
मेरे शायर दोस्त पुरुषोत्तम 'यक़ीन' से आप सब परिचित हैं। आज रविवार की शाम अचानक वे आए, बहुत देर बैठे। खूब बातें हुईं। कहने लगे -तुम...
11 टिप्पणियां:
शनिवार, 29 अगस्त 2009
पाठक की संवेदना चोटिल होने पर लेखक-प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे; पाठक अपनी रिस्क पर पढ़ें
›
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत कीमती है, जनतंत्र में आ कर मिली है। कुछ प्रतिबंध भी हैं, लेकिन उन की परवाह कौन करता है? मैं रेलवे की बुक स्ट...
18 टिप्पणियां:
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
मुन्नी पोस्ट, मुन्नी कविता, 'मम्मी इतना तो बतला दो' पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
›
पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’ की इस मुन्नी कविता और आप के बीच से अब मैं हटता हूँ। आप पढ़िए..... मम्मी इतना तो बतला दो पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’ बिस्कुट त...
8 टिप्पणियां:
सोमवार, 24 अगस्त 2009
गणेशोत्सव या भारतीय लोक जीवन की झाँकी
›
गणेश चतुर्थी हो चुकी है। विनायक गणपति मंगलमूर्ति हो कर पधार चुके हैं। पूरे ग्यारह दिनों तक गणपति की धूम रहेगी। गणपति के आने के साथ ही देश...
14 टिप्पणियां:
शनिवार, 22 अगस्त 2009
'ब्रज गजल' का परी हमकू * पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
›
आप के प्रिय शायर पुरुषोत्तम 'यक़ीन' ने उर्दू और हिंदी के अतिरिक्त ब्रज भाषा में भी रचनाएँ की हैं। मूलतः करौली जिले के निवासी होने के...
10 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 21 अगस्त 2009
'गिरता है शह सवार ही मैदाने जंग में'
›
भारतीय जनता पार्टी के दो पुरोधा अडवाणी और जसवंत (जिन में से एक निकाले जा चुके हैं) जिन्ना को सेकुलर कह चुके हैं, तो कोई तो वजह होगी। नेहरू ...
17 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें