अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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गुरुवार, 7 मई 2009
माला के मनकों को जुड़ा रखने के लिए मजबूत धागे का सूत्र कहाँ मिलेगा : जनतन्तर कथा (25)
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हे, पाठक! अगली प्रातः सूत जी द्रविड़ चेतना के केन्द्र चैन्नई में थे। सभ्यता विकसित होते हुए भी बर्बर आर्यों से पराजय की कसक को यहाँ जीवित...
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मंगलवार, 5 मई 2009
लाल फ्रॉकों को वायरस-बैक्टीरिया विहीन मंडल की आस : जनतन्तर कथा (24)
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हे, पाठक! प्रातः सनत की निद्रा टूटी तो देखा गुरूवर कक्ष में नहीं हैं। घड़ी में सुबह के साढ़े नौ बज रहे थे। यह विजया का असर था जो वह देर...
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रविवार, 3 मई 2009
सूत-सनत का रात्रि विश्राम, चाचा वंश और विकल्प की चर्चा : जनतन्तर कथा (23)
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हे, पाठक! मन भर कर रबड़ी छक लेने के बाद भोजन मात्र औपचारिकता रह गई थी। भोजनशाला में अधिक देर नहीं लगी। सूत जी, सनत और उस का शिष्य तीनों ...
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शुक्रवार, 1 मई 2009
बंगला, साइकिल, लालटेन एकता जिन्दाबाद! ... : जनतन्तर कथा (22)
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हे, पाठक! माया बहन जी की सभा से तेजी से लौट कर सूत जी अपने ठिकाने पहुँचे। चाहते थे इस प्रदेश में आए हैं तो बैक्टीरिया पार्टी के राजकुमार, ...
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देर से छूटी रेलगाड़ी के मुसाफिर
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बत्तीस घंटों के निजि सफर ने बहुत थकान दे दी। जयपुर जाना हुआ और लौटना भी। रेलगा़ड़ी से दोनों ओर की यात्रा की गई। जाने के लिए नियमित रेलगाड़ी ...
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मंगलवार, 28 अप्रैल 2009
बहन जी की रैली : जनतन्तर कथा (21)
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हे, पाठक! यात्रा की थकान से निद्रा देर से खुली,वातायन पर लटक रहे पर्दे के पीछे से बाहर की रोशनी अंदर झांक रही थी। द्वार के नीचे से कुछ अखब...
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सोमवार, 27 अप्रैल 2009
माया नगरी में सूत जी महाराज : जनतन्तर कथा (20)
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हे, पाठक! सूत जी को पहली बार तापघात हुआ था इसलिए उन्हें कष्ट भी बहुत हुआ। विचार किया तो संज्ञान हुआ कि यह दो दिन वातानुकूलन का सुख-भोगने क...
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