अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 31 अगस्त 2008
'भगवान' शब्द के शब्दार्थ
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हिन्दुस्तानी बन्धु ने आज एक आलेख अपने ब्लॉग पर लिखा है- हमारा हिन्दुस्तान...: भगवान का शाब्दिक अर्थ यह है !! इसे पढ़ कर इन हिन्दुस्तानी बन्...
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शुक्रवार, 29 अगस्त 2008
पुरुषोत्तम 'यकीन' की ग़ज़ल ... खो रही है ज़िन्दगी
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आज फिर से आप को ले आया हूँ, मेरे दोस्त और आप के लिए अब अजनबी नहीं पुरुषोत्तम 'यकीन' की ग़ज़लों की महफिल में। पढ़िए हालात पर म...
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गुरुवार, 28 अगस्त 2008
विधवा अपने नौकर के साथ विवाह करना चाहती है, आप की क्या राय है?
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आज सुबह अदालत के लिए रवाना होने के पहले नाश्ते के वक्त टीवी पर एक समाचार देखा। एक विधवा माँ के तीन नाबालिग बच्चों ने पुलिस थाने में शिकायत क...
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मंगलवार, 26 अगस्त 2008
ईश्वर ही ईश्वर को जला रहा है
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नाक में सुबह से जलन थी। ऱात होते होते टपकने लगी सोना भी उस की वजह से मुश्किल हो रहा था। रात साढ़े बारह सोया था। नीन्द खुलती है, सवा तीन बजे ...
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सोमवार, 25 अगस्त 2008
मंजिलों से तो मुलाक़ात अभी बाकी है.... शतकीय नमन ....
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अनवरत का यह सौवाँ आलेख है। 20 नवम्बर 2007 को प्रारंभ हुई यह यात्रा सौवेँ पड़ाव तक कैसे पहुँचा? कुछ भी पता न लगा। स्वयँ को अभिव्यक्त करते हुए...
28 टिप्पणियां:
रविवार, 24 अगस्त 2008
महिलाएँ कतई देवियाँ नहीं, वे तो अभी बराबर का हक मांग रही हैं
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अनवरत के पिछले आलेख " दया धरम का मूल है, दया कीजिए " जैसा कोई भी आलेख किसी भी ब्लाग पर कभी नहीं आना चाहिए था, और न ही आना चाहिए। ल...
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गुरुवार, 21 अगस्त 2008
दया धरम का मूल है, दया कीजिए!
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मेरी बेटी पूर्वा का एक आलेख आजाद भारत की बेटियाँ अनवरत के पिछले दो अंकों में प्रकाशित हुआ। पहले अँक पर आठवीं टिप्पणी थी..... सच ने कहा ......
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