अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 29 जून 2008
ब्रह्मा, विष्णु और महेश को पत्नियों का दास बनाया, किसने ?
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भर्तृहरि की शतकत्रयी की तीनों कृतियाँ न केवल काव्य के स्तर पर अद्वितीय हैं, अपितु विचार और दर्शन के स्तर पर भी उस का महत्व अद्वितीय है। अधिक...
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शुक्रवार, 27 जून 2008
महेन्द्र नेह के दो 'कवित्त'
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(1) धर्म पाखण्ड बन्यो ........ ज्ञान को उजास नाहिं, चेतना प्रकास नाहिं धर्म पाखण्ड बन्यो, देह हरि भजन है। खेतन को ...
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बुधवार, 25 जून 2008
दिखावे की संस्कृति-२.....समाज को आगे ले जाने की इच्छा से काम करने वाले आलोचना की कब परवाह करते हैं?
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विगत आलेख में मृत व्यक्ति के अस्थिचयन की घटना के विवरण पर अनेक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुईं। उन में विजयशंकर चतुर्वेदी ने एक बघेली लोकोक्ति क...
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सोमवार, 23 जून 2008
दिखावे की संस्कृति-1 ....एक दुपहर शमशान में
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आज मुझे फिर एक अस्थि-चयन में जाना पड़ा। मेरे एक नित्य मित्र के भाई का शुक्रवार को प्रातः एक सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया। मैं अन्त्येष्ट...
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शुक्रवार, 20 जून 2008
इतनी अकल है, तो एक बार में नहीं लिख सकते?
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वाह क्या? सीन है! महात्मा मोदी चर्चा में हैं, विश्वविद्यालय में क्या गए, उस के कुलपति गद्गद् और कृतार्थ हो गए। गुरू वशिष्ठ के घर राम पध...
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गुरुवार, 12 जून 2008
हमारी मुहब्बत बज़रिए अभिषेक ओझा।
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जी, उस से हमें बहुत मुहब्बत थी बचपन से ही। स्कूल जाने की उमर के पहले से ही, और वह तब तक प्रेरणा भी बनी रही, जब तक हम किशोर न हो गए। फिर समाज...
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मंगलवार, 10 जून 2008
पितृशोक,..... हिन्दी चिट्ठाकार श्री राज भाटिया वापस जर्मनी पहुँचे
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दो हिन्दी चिट्ठों पराया देश और मुझे शिकायत है के चिट्ठाकार श्री राज भाटिया 29 मई की सुबह भारत से पुनः बेयर्न, जर्मनी अपने वर्तमान आवास पर ...
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