अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 10 अक्तूबर 2010
शेर और भैंस
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शिवराम की एक कविता ................. शेर और भैंस शिवराम जिस जंगल में शेर होता है वहाँ भैंसे झुण्ड में रहती हैं जब विश्राम करती हैं तो ...
8 टिप्पणियां:
शनिवार, 9 अक्तूबर 2010
शिवराम जी के बाद, उन के घर .....
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जी वनसाथी शोभा परसों से मायके गई हुई है। आज लौटना था, लेकिन सुबह फोन आ गया, अब वह कल सुबह आएगी। कल-आज और कल अवकाश के दिन हैं। मैं घर पर अकेल...
7 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010
सिलसिला नहीं रुकेगा, जीवन भर। जैसे शिवराम! तुम न रुके थे।
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मैं जानता हूँ कि जो मंजिल मेरा लक्ष्य है वह बहुत दूर है, मैं इस जीवन में वहाँ नहीं पहुँच सकूंगा। लेकिन वह मंजिल मेरी अकेले की तो नहीं। वह तो...
13 टिप्पणियां:
शनिवार, 2 अक्तूबर 2010
अलविदा !!!!...................... नहीं! ................. शिवराम हमारे बीच मौजूद हैं............................. यह आंधी नहीं थमेगी.............
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शिवराम ने कल हम से अचानक विदा ले गए....... भास्कर कोटा संस्करण ने आज समाचार प्रकाशित किया........... अंतिम यात्रा के कुछ चित्र.........
21 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010
सर्वहारा वर्ग ने अपना एक योद्धा और सेनापति खो दिया
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अ भी शिवराम जी के घर से लौटे हैं। हम शाम को जब उन के घर पहुँचा तो घर के बाहर भीड़ लगी थी, जिन में नगर के नामी साहित्यकार, नाट्यकर्मी, ट्रेड...
11 टिप्पणियां:
नाटककार और मार्क्सवादी चिंतक शिवराम नही रहे!!!
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ख्या त जनवादी नाटक 'जनता पागल हो गई है' के नाटककार, कवि और मार्क्सवादी चिंतक 'शिवराम' का आज तीसरे पहर पौने तीन बजे कोटा में ...
8 टिप्पणियां:
निर्णय का दिन
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श्रा द्धपक्ष चल रहा है। यूँ तो परिवार में सभी के गया श्राद्ध हो चुके हैं और परंपरा के अनुसार श्राद्ध कर्म की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। लेक...
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