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शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

अलविदा !!!!...................... नहीं! ................. शिवराम हमारे बीच मौजूद हैं............................. यह आंधी नहीं थमेगी.............



शिवराम ने कल हम से अचानक विदा ले गए.......
भास्कर कोटा संस्करण ने आज समाचार प्रकाशित किया...........


अंतिम यात्रा के कुछ चित्र...............

ट्रेड यूनियन कार्यालय छावनी कोटा पर अंतिम दर्शन

लाल झंडे से लिपटे हुए




































































 उदयपुर से आए पार्टी साथी


पार्टी साथी पुष्पांजली अर्पित करते

अभिन्न ट्रेड यूनियन साथी महेन्द्र पाण्डे और विजय शंकर झा

छोटे पुत्र पवन के कंधों पर

चिता पर

पुत्र रविकुमार

चिता को अग्नि देते पुत्र रविकुमार पौत्र और पौत्री चीया

इंकलाब जिन्दाबाद का उद्घोष करता पुत्र रविकुमार अपनी पुत्री और पुत्र के साथ

शरीर अग्नि को समर्पित

पुत्र रविकुमार और पौत्री चीया चिता के निकट

चिता के चारों और सम्मान में झुके लाल झंडे

शिवराम नहीं हैं,  लेकिन आग शेष है

श्मशान पहुँचा एक अपंग मजदूर साथी

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी ब्लाग पोस्टों द्वारा शिवराम जी से इतना परिचित हो चुके थे कि लगता है उनसे एक जीवंत रिश्ता था वो आज टूट सा गया है.

    पर उनका लिखा कहां मिटने वाला है?

    ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे एवम परिजनों मित्रों को इस संकट की घडी मे धैर्य प्रदान करें.

    रामराम.

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  2. रविकुमार जी से फ़ोन पर अक्सर मेरी बातें हुई हैं,शिवराम जी से आपकी पोस्ट के माध्यम से परिचित हुआ। रविकुमार जी ने भी कई कविताओं के पोस्टर बनाए और मैं उनके ब्लॉग पर जाता रहा, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि शिवराम जी और रविकुमार जी में पिता-पुत्र का संबंध है।आज आपकी पोस्ट से पता चला।

    शिवराम जी ने जो लिखा है वो कालजयी है, वे अपने लेखन एवं कार्यों के माध्यम से हमारे बीच हमेशा रहेंगे।

    ईश्वर उनके परिजनों एवं इष्ट मित्रों को दारुण दुख: सहने की शक्ति प्रदान करें एवं उनकी आत्मा को अपनी शरण लेकर शांति प्रदान करें।

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  3. इतना जल्दी चला जाना तो स्तब्धकारी है मगर ऐसे व्यक्तित्व अपनी यशः काया में अमर हो रहते हैं -श्रद्धांजलि !

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  4. "शिवराम नहीं है लेकिन आग शेष है .... इस आग को हम ज़िन्दा रखेंगे साथी ।

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  5. शिवराम जी के बारे में आप के ब्लॉग पर पढ़ना होता रहता था... श्रद्धांजलि शिवरामजी को.

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  6. ओह......


    पिछले दिनों ही कवि महेन्‍द्र नेह से ढेरों प्रशंसा सुनी थी। उन्‍होंने बताया था कि श्री शिवरामजी ने कोटा को सक्रिय कर दिया।


    मेरा शत शत नमन्।

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  7. शिवरामजी को जितना जाना, आपसे ही जाना।
    उनका जाना भी आपसे ही जाना।

    एक बार फिर श्रध्‍दांजलि।

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  8. शिवराम जी के जाने का दुख जितना आपको है उतना ही हमे भी है। उनकी कालजयी रचनायें हमे हमेश्क़ा उनकी याद दिलाती रहेंगी। उनको मेरी विनम्र श्रर्धाँजली है। तस्वीरें देख कर आँखें नम हैं।

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  9. ओह दुखद. प्रभु सभी को संभलने की शक्ति दे. दिवंगत आत्मा को प्रणाम.

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  10. साथी शिवराम का अचानक जाना वाकई आघात पहुंचाने वाली खबर है। बेहतर दुनिया का सिर्फ सपना ही नहीं देखने बल्कि उस सपने को जीने वाले शिवराम अपने संकल्‍पों, उम्‍मीदों से हमेशा इस दुर्गम समय में भी मशाल जलाए हुए और उसकी रोशनी फैलाते मिलते थे। उनकी कविताएं, नाटक, आलेख सबकुछ एक महान निधि है हम सबके लिए। उनका जाना उनके संघर्षों के करीबी साथियों के साथ-साथ पूरे आंदोलन की भारी क्षति है। साथी शिवराम की पंक्तियां दोहराते हुए उन्‍हें श्रद्धांजलि...
    रात इतनी भी नहीं है सियाह

    चंद्रमा की अनुपस्थिति के बावजूद
    और बावजूद आसमान साफ नहीं होने के
    रात इतनी भी नहीं है सियाह
    कि राह ही नहीं सूझे

    यहाँ-वहाँ आकाश में अभी भी
    टिमटिमाते हैं तारे
    और ध्रुव कभी डूबता नहीं है
    पुकार-पुकार कर कहता है
    बार बार
    उत्तर इधर है, राहगीर!
    उत्तर इधर है


    न राह मंजिल है
    न पड़ाव ठिकाने

    जब सुबह हो
    और सूरज प्रविष्ठ हो
    हमारे गोलार्ध में
    हमारे हाथों में हों
    लहराती मशालें


    हमारे कदम हों
    मंजिलों को नापते हुए

    हमारे तेजोदीप्त चेहरे करें
    सूर्य का अभिनन्दन।

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  11. Aadarniy Shivram jee ka jana badi hriday vidarak ghatna hai. ve jab indore aaye the tab bhai shri shailendra chouhan ke niwas par ek yadgaar gharelu kavita goshthi hum logon ne ayojit ki thi. uske baad bhopal ke sathiyon ke saath do divsiya goshthi... phir phone par nirantar charcha... kitni urjaa thee unke bheetar...aaj ve hamre beech nahee hain, par hamare saath hamesha rahenge....unhe hardik shrudhhanjali.

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  12. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे! श्रद्धान्जलि!

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  13. शिवरामजी के अचानक जाने की ख़बर देर से मिली।
    कोटा में उनसे मिलना हुआ था। बेहद सहज, सरल, जुझारू और संघर्षशील व्यक्तित्व था उनका।

    ईश्वर उनकी आत्मा को अनंत शान्ति प्रदान करे...

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  14. कई दिनों बाद आप के ब्लॉग में आया तो यह शोक समाचार पढ़ा . शिवराम जैसे लोगों की तो हमारे देश में बहुत ज़रुरत है.
    बलजीत बासी

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  15. पिछले कई घण्टों से शिवराम पर पढ़ रहा हूँ। रवि भाई से लेकर यहाँ तक। अब तो समय बीत चुका है लेकिन शिवराम को तो नहीं जान पाए हम। शायद कुछ जान पाएँ…

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कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....