अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 15 जुलाई 2009
भौतिक परिस्थितियाँ निर्णायक होती हैं।
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कल मैं ने आप को बताया था कि कैसे तीन दिन चौड़ी पट्टी बंद रही और वह समय आकस्मिक रूप से घटी दुर्घटनाओं ने लील लिया। हम कुछ विशेष करने का कित...
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मंगलवार, 14 जुलाई 2009
चौड़ी पट्टी के बंदर से दूर. तीन दिन
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शुक्रवार की शाम अदालत से घर लौटा। अतर्जाल पर कुछ ब्लाग और आई हुई मेल पढ़ी, टिप्पणियाँ कीं और जवाब दिए। आगे चौड़ी पट्टी बोल गई। बरसात के चार...
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गुरुवार, 9 जुलाई 2009
पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’ के चंद दोहे
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मैं ने आप को अब तक अपने शायर दोस्त पुरुषोत्तम यक़ीन की ग़ज़लें खूब पढ़ाई हैं। आज उन के चंद दोहों का लुत्फ उठाइए ..... दोहे पुरुषोत्तम ...
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सोमवार, 6 जुलाई 2009
'मेरी हत्या न करो माँ' कविता -यादवचंद्र पाण्डेय
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बाबा नागार्जुन के संगी-साथी यादवचंद्र पाण्डेय विकट रंगकर्मी, साहित्यका, शिक्षक और संगठन कर्ता थे। जनआंदोलनों में उन की सक्रिय भागीदारी हुआ ...
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शनिवार, 4 जुलाई 2009
आखिर मौसम बदल गया, चातुर्मास आरंभ हुआ
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मानसून जब भी आता है तो किसी मंत्री की तरह तशरीफ लाता है। पहले उस के अग्रदूत आते हैं और छिड़काव कर जाते हैं। उस से सारा मौसम ऐसे खदबदाने लग...
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बुधवार, 1 जुलाई 2009
एक गीत संग्रह और दो पत्रिकाओं के महत्वपूर्ण अंकों का लोकार्पण
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गीत हो या ग़ज़ल, कविता हो या नवगीत, नाटक लेखन हो या मंचन; हिन्दी, हाड़ौती, उर्दू और ब्रज भाषा का साहित्य कोटा की चंबल के पानी और उर्वर भूमि ...
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मंगलवार, 30 जून 2009
कुछ तो ग़ैरत खाइये
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कहीं बरसात हुई है, कहीं उस का इन्तज़ार है। इधऱ मेरे यार, पुरुषोत्तम 'यक़ीन' ने शेरों की बरसात करते हुए एक ग़ज़ल कही है ..... आप इस...
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