अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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गुरुवार, 15 मई 2008
उन्हें भी अपनी रोटी का जुगाड़ करना है
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कल शाम जब से जयपुर बम विस्फोट का समाचार मिला है मन एक अजीब से अवसाद में है। आखिर इस समाज और राज्य को क्या हो गया है? जिस में आतंकवाद की कायर...
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रविवार, 11 मई 2008
माँ
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मातृ दिवस पर प्रस्तुत है कवि महेन्द्र 'नेह ' की कविता "माँ" माँ * महेन्द्र नेह * जब भी मैं सोचता हूँ...
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शनिवार, 10 मई 2008
प्रोफेशनलिज्म क्या है?
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मैं ने, अपनी 28 अप्रेल 2008 की पोस्ट में सवाल किया था कि "क्या चिट्ठाकारों को प्रोफेशनल नहीं होना चाहिए? " इस पोस्ट पर आई 12 टिप...
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मंगलवार, 6 मई 2008
साँड, मई दिवस और स्त्रियाँ
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ज्ञान दत्त पाण्डेय के आलेख "मुन्सीपाल्टी का साँड" पर एक टिप्पणी। बड़े भाई। आप का कोई वाहन नहीं, आप सफर करते हैं गाड़ी में, और आप क...
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शनिवार, 3 मई 2008
चाय की रेट और गाँजा-सिगरेट
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सुबह की अदालतें साढ़े सात बजे आरम्भ होती हैं, हम अधिकतर दीवानी काम करने वाले वकील साढ़े आठ तक अदालत पहुँचते हैं। एक-दो जरुरी काम निपटाते है...
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गुरुवार, 1 मई 2008
नारकीय जीवन का जुआ उतार फेंकने के संकल्प का दिन
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अनेक देशों में पहली मई को वसंत के आगमन, पृथ्वी पर जीवन व नयी फसलों के आगमन और मनुष्य जीवन में खुशियों के स्वागत के लिए मनाया जाता रहा। लेकिन...
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बुधवार, 30 अप्रैल 2008
जरुरत है चिट्ठाकारों की कमाई का जरिया चिट्ठाकारी में ही तलाशने की
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विगत आलेख के अंत में मै ने एक प्रश्न आप के सामने रखा था- क्या चिट्ठाकारों को प्रोफेशनल नहीं होना चाहिए? भाई अनूप सुकुल जी ने कहा वे उत्तर क...
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