अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
पेज
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
गुरुवार, 31 दिसंबर 2009
मेट्रो, पराठा-गली, शीशगंज गुरुद्वारा और लाल-किला
›
मेट्रो में यात्री पीछे खिड़की में एक यात्री, मेरी और पूर्वा की प्रतिच्छाया सी ट पर बैठी बंगाली युवती की मेरी तरफ पीठ थी ल...
20 टिप्पणियां:
मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
छुट्टियों का एक दिन ..... दिल्ली की ओर ........
›
दि संबर 26, 2009 को इस ब्लाग पर आलेख लिखा था अब हुई छुट्टियाँ शुरू, और दिसंबर 27 को अली भाई की मजेदार टिप्पणी मिली ....... वकालत व्यवस...
13 टिप्पणियां:
रविवार, 27 दिसंबर 2009
मैं ने चाहा तो बस इतना
›
क ल बल्लभगढ़ पहुँचा था। ट्रेन में राही मासूम रज़ा का उपन्यास 'कटरा बी आर्ज़ू' को दूसरी बार पढ़ता हुआ। किताब पढ़ना बहुत अच्छा लगा। ...
13 टिप्पणियां:
शनिवार, 26 दिसंबर 2009
अब हुई छुट्टियाँ शुरू
›
आ ज कल तो खूब मजे हैं, छुट्टियाँ चल रही हैं। यह वाक्य पिछले चार माह में अनेक बार सुनने को मिला। मैं हर बार कहता हूँ -कैसी छुट्टियाँ? तो ...
12 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009
वैलकम मिलेनियम!
›
दस वर्ष पहले हमने नई सहस्त्राब्दी का स्वागत किया। कवि-नाटककार शिवराम ने भी हमारे साथ उस का स्वागत किया। पढ़िए मिलेनियम के स्वागत में उन की क...
10 टिप्पणियां:
गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
शाजापुर टू आगर वाया 'धूपाड़ा' सिटी
›
ब स के नजदीक पहुँचते ही दरवाजे के नीचे खड़े कंडक्टर ने पूछा कहाँ जाना है? आगर', मैं ने बताया और पूछा -'जगह मिलेगी, हम तीन सवारी हैं...
12 टिप्पणियां:
अकाल ...... शिवराम की कविता
›
शिवराम जी की कुछ कविताएँ आप ने पढ़ीं। उन के काव्य संग्रह "माटी मुळकेगी एक दिन" से एक और कविता पढ़िए.... अकाल शिवराम कभी-कभी ...
10 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें