अनवरत

क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!

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रविवार, 30 जनवरी 2011

गालियाँ रचें तो ऐसी ...

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इ न दिनों हम लोग जो ब्लागीरी में हैं, गालियों से तंग हैं। एक तो जो नहीं होनी चाहिए वे गालियाँ ब्लागों में दिखाई पड़ती हैं, और जो होनी चाहिए,...
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ब्लागीर ...

दिनेशराय द्विवेदी
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