अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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मंसूरअली हाशमी
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सोमवार, 8 मार्च 2010
खुशी, जो मिलती है आभासी के वास्तविक होने पर
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क ल रात मैं भोजन कर निपटा ही था कि मोबाइल घनघना उठा। जहाँ मैं था वहाँ सिग्नल कमजोर होने से आवाज स्पष्ट नहीं आती। मैं ने मोबाइल उठाया तो नमस्...
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