अनवरत
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मंगलवार, 25 नवंबर 2008
सब तें मूरख उन को जानी। जनता जिन ने मूरख मानी।।
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अनवरत के आलेख पर एक टिप्पणी आई ..... आज तक जैसे लोग चुनकर आए और जिस तरह आए, उससे तो यही मानना पड़ता है कि जनता पागल नहीं तो कम से कम बेवकूफ...
15 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 25 जनवरी 2008
कहाँ हैं दादा जी जैसे कथावाचक
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शाम साढ़े पांच बजे अदालत से घर पहुँचा तो शोभा जी (मेरी पत्नी) किसी धार्मिक टीवी चैनल पर आधुनिक नामचीन्ह कथावाचक की ‘ लाइव ’ कथा सुन रही थीं...
8 टिप्पणियां:
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