मित्रों!
विगत साढ़े तीन माह से अनवरत अनियमित था। लेकिन इस बार तो एक लंबा विराम ही लग गया। एक बार जब खिलाड़ी कुछ दिन के लिए मैदान से बाहर होता है तो उस का पुनर्प्रवेश आसान नहीं होता। मेरे साथ भी यही हो रहा है। सप्ताह भर से सोच रहा हूँ कि कहाँ से आरंभ करूँ। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। कल अचानक तीसरा खंबा पर 1000 पोस्टें पूरी हो गयी। यह कैसे हो गया। इतना कैसे लिख गया। मुझे स्वयं पर आज आश्चर्य हो रहा है। लेकिन यह सब ब्लागिरी का ही प्रताप है जिस ने मुझ से इतना काम करवा लिया। वाकई ब्लागरी में बहुत ताकत है। अनवरत पर आज अपनी अनुपस्थिति इस पोस्ट के साथ तोड़ रहा हूँ। लिखने को अनेक विषय हैं लेकिन आज बात कुछ हट कर।
|
वृक्ष |
कोटा कलेक्ट्रेट परिसर में एक वृक्ष है। इस के
नजदीक की चाय आदि की दुकानें हैं उन्हीं में से एक पर हम अक्सर कॉफी पीने
आते हैं। गर्मी में उस की घनी शीतल छाया में बैठ कर कॉफी सुड़कने का आनंद
ही कुछ और है। मैं लोगों से हर बार इस वृक्ष का नाम पूछता हूँ. लेकिन मैं
आज तक इस वृक्ष का नाम नहीं जान सका। जिन से भी पूछा उन्हों ने आड़े तिरछे
नाम बताए। मैं जानना चाहता हूँ कि इस वृक्ष का नाम क्या है? यदि पता लग सके तो इस वृक्ष का
वानस्पतिक विज्ञानी नाम भी जानना चाहता हूँ। इस वृक्ष का ऋतुचक्र वार्षिक
है। वर्ष भर यह हरे पत्तों से भरा रहता है। लेकिन जनवरी में इस के पत्ते
झड़ने लगते हैं और यकायक केवल नंगी शाखाएँ दिखाई देने लगती हैं। लेकिन कुछ
ही दिनों में पुनः यह हरा हो उठता है। इस बार इस पर पत्तों जैसी हरी
संरचनाएँ उग आती हैं जैसे दो पत्तियों को जोड़ कर उन के बीच पराठे की तरह
मसाला भर दिया हो। मई माह तक इन की हरियाली बनी रहती है। फिर यह सूखने लगती
हैं और जून में बड़े आकार के कोमल पत्ते निकल आते हैं जो पकते हुए गहरे
हरे हो जाते हैं और जनवरी तक बने रहते हैं। अनेक व्यक्तियों इसे बन्दर की रोटी का पेड़ बताया।
ऊपर का चित्र उसी वृक्ष का है। मैं कभी कभी इस पेड़ की शाखा पर ट्री हाउस बनवा कर उस में मनपसंद किताबों के साथ छुट्टियाँ बिताने की कल्पना करता हूँ। शाखाओं के चित्र नीचे हैं। क्या आप बताएंगे
इस वृक्ष का नाम क्या है? इस का वानस्पतिक नाम क्या है? परिवार और जाति बता
सकें तो और भी बेहतर।
|
शाखाएँ |
|
शाखा |
|
शाखाग्र |
|
बंदर की रोटियाँ |
आप के उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।
फिलहाल लौट रहे हैं, जानकारों के आने के पर फिर आएंगे.
जवाब देंहटाएंआपने तो मेरी उत्सुकता भी बढा दी। मालवा में भी इसे 'बन्दर बाटी' या 'बन्दर रोटी' ही कहा जाता है।
जवाब देंहटाएंआपकी वापसी सुखद है। एक सन्नाटा टूटेगा।
पेड़ का बायोलोजिकल नाम पता नहीं है मगर भयंकर एलर्जीकारक है!
जवाब देंहटाएंवाणी जी, हम तो इस के नीचे लगभग रोज ही बैठते हैं, एलर्जी कारक तो नहीं लगा। पर किसी को दाद हो जाने पर इस के पत्तों का रस लगाने को कहा गया था। लगाने पर भयंकर जलन हुई दाद वाली त्वचा जल गई और उस के स्थान पर नई त्वचा आ गई, दाद त्वचा के साथ नष्ट हो गया।
जवाब देंहटाएंयह नाम तो हमें भी पहली बार पता चला..
जवाब देंहटाएंबढ़िया है ये बन्दरबाटी.
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका ।
जवाब देंहटाएंकहीं यह चिल्वल तो नहीं ।
पता चले तो हमें भी बताना .
जवाब देंहटाएंमुझे भी चिलबिल लग रहा है ....अन्यथा लगा कि कहीं यह बाओबाब तो नहीं है -मगर वह नहीं है !
जवाब देंहटाएंएक संभावना
जवाब देंहटाएंHoloptelea Integrifolia
(चिरि-विल्वः, चिरबिल, चिलबिल, चिल्वल, चारोली, बन्दर बाटी, बन्दर रोटी, बंदर पापड़ी)
यदि यह वही है तो दूर जाने की ज़रुरत नहीं, हिन्दी ब्लोगिंग में ही इस पेड़ के कई जानकार बैठे हुए हैं - वाणी जी, रविकर जी के अतिरिक्त सागर जी, नितिन जी. इस पेड़ के बन्दरबाटी होने की संभावना को कम करती दुविधा बस यही है कि नाहर जी की पोस्ट पर आपकी टिप्पणी मौजूद है:
- बंदर पापड़ी (सागर नाहर)
- इन्द्रधनुष (नितिन बागला)
कुछ अधिक जानकारी:
- Flowers of India
आम लोगों की तरह मुझे भी इस पेड़ का नाम बंदर की रोटी ही पाता है और अब आपकी इस रचना ने मेरी भी उत्सुकता बढ़ा दी इस पेड़ का सही नाम जानने की....
जवाब देंहटाएंमैंने यह पेड़ नहीं देखा किन्तु बहुत जिज्ञासा हो गई है.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
१००० पोस्टें हो गई.....बहुत बधाई सर जी!!
जवाब देंहटाएंएक संभावना
जवाब देंहटाएंHoloptelea Integrifolia
(चिरि-विल्वः, चिरबिल, चिलबिल, चिल्वल, चारोली, बन्दर बाटी, बन्दर रोटी, बंदर पापड़ी)
स्मार्ट इंडियन जी सही कहा है , इसे बुंदेलखंड में चिरौल कहा जाता है . यह एक अन्जियोस्पर्म प्रकार का वृक्ष है . और यह वृक्ष दुनिया में सबसे अधिक वीज उत्पन्न करता है .