पेज

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

कुंडली मिलान

ल की पोस्ट में मैं ने वायदा किया था कि आज ईरान के बादशाह के साथ घटी घटना जिस का वर्णन फ्रेंक्विस बर्नियर ने अपनी किताब में किया है आप को बताउंगा। लेकिन कल की पोस्ट पर नीरज रोहिल्ला की बहुत सच्ची टिप्पणी आई है जो फिर से पेशे नज़र है-

दिनेशजी,
इस पोस्ट को लिखने के लिये बहुत आभार।
जब हम बच्चे थे तो अक्सर ही पुरानी पीढी के लोगों से सुनने को मिल जाया करता था कि हमारी तो जनमपत्री है ही नहीं या फ़िर बिना पत्री मिलाये ही विवाह हो गया। मेरे माता पिता का विवाह बिना जन्मपत्री मिलाये हुआ जिसका ताना आज भी दोनो एक दूसरे को मौके-बेमौके देते रहते हैं कि अगर पहले पत्री मिला ली होती तो दोनो बच जाते, वैसे पत्री उनकी आज तक नहीं बनी है।

लेकिन आज के दौर में विवाह के दौरान इस जन्मपत्री और कुंडली साफ़्टवेयर ने आतंक मचा रखा है। लडका/लडकी देख लिया, परिवार की पूरी खबर है, सब कुछ बढिया है लेकिन अरे ये क्या पत्री नहीं मिल रही है। कौन समझाये कि पहले जब विवाह सम्बन्ध मात्र किसी समबन्धी की सलाह पर बन जाते थे तो शायद पत्री का मिलान मन को संतोष देता होगा लेकिन...खैर जाने दीजिये...

इसके अलावा संगीताजी ने भी पहले फ़लित ज्योतिष के बारे में कई भ्रमों को दूर किया और कहा कि गत्यात्मक ज्योतिष अधिक वैज्ञानिक है। भाई, ग्रहों की गणना तो पहले भी गति के आधार पर होती चली आ रही है, उसमें नया क्या है? लेकिन हां, उससे पहले शायद गत्यात्मक ज्योतिष के आधार पर किसी ने शेयर बाजार, क्रिकेट मैच की पहली और दूसरी ईनिंग और सरकारों की भविष्यवाणी शायद ही इतने वैज्ञानिक तरीके से की हो। संगीताजी: असहमति के लिये पहले से ही माफ़ी मांग लेता हूँ, इसे व्यक्तिगत द्वेष कतई न समझा जाये।   

ब इस टिप्पणी के बाद मैं एक और ही किस्सा आप के सामने रख रहा हूँ -

न दिनों मैं अपनी बेटी के लिए जीवन साथी की खोज में हूँ। मुझे पता लगा कि मेरी ही बिरादरी के परिचित व्यक्ति के बारे में मुझे पता लगा कि उस का पुत्र है जो मेरी पुत्री का जीवन साथी हो सकता है। मैं ने उसे टेलीफोन किया। उस ने तुरंत जन्म की तारीख, स्थान और समय चाहा, मैं ने उसे बता दिया। चार मिनट बाद ही उस का फोन आ गया कि कुंडली नहीं मिली। नाड़ी दोष है और ब्राह्मणों में तो इस दोष के कारण विवाह हो ही नहीं सकता। मैं ने उसे त्वरित जवाब के लिए धन्यवाद दिया। उस ने यह भी बताया कि वह छह सौ कुंडलियाँ मिला चुका है लेकिन एक भी नहीं मिली।  

मैंने उस से पूछा कि हमारी बिरादरी में  तीस साल पहले तक कुल साढ़े चार सौ परिवार थे। जिन में से  कम से कम आधे जन्मपत्रिका बनाने , देखने और कुंडलियाँ मिलाने का व्यवसाय ही किया करते थे। वे बिरादरी के बाहर और स्वगोत्रीय विवाह नहीं किया करते थे। इस का अर्थ है कि उन्हें साढ़े चार सौ परिवारों में से स्वगोत्रीय परिवारों को त्याग देने पर लगभग तीन सौ परिवारों  में ही अपने पुत्र या पुत्री के लिए जीवनसाथी तलाशना होता था। फिर उन की जन्म कुंडलियाँ कैसे मिलती थीं? 


ह निरुत्तर था। लेकिन मैं ने उसे  बताया कि वे जन्म कुंडलियाँ नहीं देखते थे। वे परिवार और उन के सदस्यों को देखते थे और विवाह कर देते थे। मैं ने कल बताया था कि मेरे दादाजी, नानाजी, पिताजी, मामाजी, चाचा जी, मौसाजी आदि ज्योतिष का काम करते थे। लेकिन इन में से किसी का भी विवाह जन्मकुंडली मिला कर नहीं हुआ था और सभी विवाह सफल विवाह थे।  जन्म कुंडलियाँ मिलाने का जो फैशन आज कल  ज़नून की तरह चल निकला हैष उस से किसी का भला नहीं हो रहा है, अपितु  विवाह संबंधों में अड़चनें ही पैदा हो रही हैं। अभी लोगों के हाथ में कम्प्यूटर नए नए आए हैं और जन्म पत्रिका और कुंडली मिलाने के  असल और पायरेटेड सोफ्टवेयर मुफ्त में उपलब्ध हैं। अब जो काम पहले नजूमी और ज्योतिषी किया करते थे वे खुद करने लगे हैं। लेकिन जब अड़चनें बहुत बढ़ने लगेंगी और  खूब नाप-तौल कर कुंडली मिलाने के बाद भी विवाह असफल होने लगेंगे तब यह फैशन जल्दी ही तिरोहित होने वाला है। इस लिए लोगों को सावधान हो जाना चाहिए। जन्मकुंडलियाँ बनाना और मिलाना बंद कर देना चाहिए। पैदाइश की तारीख और स्थान तक तो ठीक है लेकिन समय तुरंत ही विस्मृत कर देना चाहिए।  
ईरान के बादशाह का किस्सा फिर कल पर ...

9 टिप्‍पणियां:

  1. जन्मकुंडली, भविष्यफल आदि का ज्योतिष को बदनाम करने के अतिरिक्त कोई योगदान नही है।

    जवाब देंहटाएं
  2. ...हमारा जीवन भी किसी मिलान के बिना ही मज़े में चल रहा है ☺

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन में विचारों का मिलान फिर भी आवश्यक है..

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरे घर वालों को मेरी व ससुराल वालों को मेरी पत्नी की जन्म तारीख सही से याद भी नहीं फिर भी घर वालों ने जन्म कुंडली मिलाने की लकीर पिटी और पंडित जी ने यह देखकर कि इस रिश्ते के लिए दोनों परिवारों बहुत बढ़िया सहमति बनी हुई है झटके से गुणा-भाग करके बढ़िया सा कुंडली-मिलान कर दिया|

    अब जब जन्म तारीख ही सही नहीं तो उसका कुंडली मिलान का क्या महत्त्व??

    मैं भी अक्सर अपने जान-पहचान वालों को उनके बच्चों की कुंडली नहीं मिलने पर यही पूछता हूँ कि क्या उन्हें अपनी सही जन्म तिथि याद है और उनसे ९०% को जबाब नहीं में होता है तब में उन्हें यही पूछता हूँ कि बिना जन्म तिथि के तुम्हारी कुंडली का हुआ मिलान कहाँ सही था और तुम्हारा वैवाहिक जीवन बढ़िया चल रहा है तो फिर बच्चों की कुंडली नहीं मिलने पर उनका जीवन खराब कैसे हो सकता है|

    जवाब देंहटाएं
  5. Nice post.

    होमियोपैथी में भविष्य Carrier in Homoeopathy
    http://hbfint.blogspot.in/2012/02/carrier-in-homoeopathy.html

    जवाब देंहटाएं
  6. यदि आप कुण्‍डली मिलवाते भी हैं, तो आप तो वही जानेंगे जो कुण्‍डली मिलाने वाला ज्‍योतिषी बतायेगा। कई मौकों पर रुपये पैसे का लालच देकर गलत कुण्‍डली मिलान की घटनायें भी होती रहती हैं। व्‍यक्तिगत रूप से मेरा कुण्‍डली मिलान में कोई विश्‍वास नहीं है।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  8. दिनेश जी कुंडली तो हमारी भी नही बनी और उसके ना होने से कोई दिक्कत भी नही आई ।
    किसी को ना कहना है तो कुंडली ना मिलने का बहाना अच्छा है ।

    जवाब देंहटाएं
  9. उम्‍मीद करें कि लोग आपकी बात सुनेंगे और मानेंगे। वैसे, हमारा विवाह भी जन्‍म कुण्‍डली मिलाए बिना ही हुआ।

    जवाब देंहटाएं

कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....